जयपुर. राजस्थान सरकार (Government of Rajasthan) ने आमजन को राहत देने के लिए प्रशासन शहरों और गांवों के संग अभियान की 2 अक्टूबर को शुरुआत की थी. इसमें सरकार ने प्रदेशभर में करीब 10 लाख पट्टे देने का दावा किया था. लेकिन अभियान को एक महीना बीत जाने के बाद भी लक्ष्य के अनुरूप सफलता नहीं मिल पाई है. ऐसे में शनिवार को यूडीएच सलाहकार जीएस संधू (UDH Consultant gs sandhu) ने विभागीय अधिकारियों के साथ समीक्षा करते हुए अभियान को गति देने, प्रचार-प्रसार और जनप्रतिनिधियों का सहयोग लेकर अभियान को सफल बनाने के निर्देश दिए हैं.
बैठक में सभी नगरीय निकायों को निर्देश दिए गए कि 69-ए के पट्टे पुरानी आबादी शहर की चार दीवारी में ज्यादा से ज्यादा दिए जाएं. साथ ही सभी वार्डों, कॉलोनियों में क्षेत्रीय पार्षदों के सहयोग से मिनी कैम्प आयोजित किए जाएं. इसमें नगरमित्रों को आवेदन तैयार करने के लिए लगाया जाए. ताकि नागरिकों को राज्य सरकार की ओर से दी गई छूट की जानकारी मिल सके. इस कार्य में व्यापार मंडलों और गैर सरकारी संगठनों का भी सहयोग लिया जाए. सभी जनप्रतिनिधियों के साथ अभियान को गति देने के लिए साप्ताहिक बैठकें की जाए. उन्होंने अभियान संबंधित छूट के प्रचार-प्रसार के लिए होर्डिंग्स लगवाने, पंपलेट बंटवाने के निर्देश भी दिए हैं.
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अब जल्द ही जिलेवार और संभागवार पार्षदों, चेयरमैनों, आयुक्त,अधिशाषी अधिकारियों के साथ प्रशासन शहरों के संग अभियान को लेकर बैठक की जाएगी. 15 दिन में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अभियान की समीक्षा की जाएगी. जीएस संधू ने बताया कि जिन नगरीय निकायों में कार्मिकों की कमी है, वहां पर कार्मिक लगाये जा रहे हैं. 2 अधिशाषी अधिकारी और 16 सहायक अभियंता पे-माईनस पेंशन पर लगाये गए हैं. साथ ही सभी नगरीय निकायों से कहा गया है कि वे अपने स्तर पर नियमानुसार आवश्यक सेवानिवृत कार्मिकों को लगाएं. सभी ऑब्जरवरों को निर्देश दिए हैं कि शिविरों में ही जनसमस्याओं का प्रभावशाली तरीके से कार्य करते हुए निस्तारण कराएं.
वहीं सभी जिला कलेक्टर्स को भी निर्देश दिए गए है कि वे शिविरों की दैनिक समीक्षा करें. ये निर्णय भी लिया गया कि कई नगरीय निकायों ने पट्टों की रजिस्ट्री करवाने के लिए आवेदकों को स्थानों पर जाना पड़ता है. इसके लिए नगरीय निकायों, यूआईटी, प्राधिकण में नियुक्त तहसीलदारी अन्य अधिकारियों को पंजीयन के अधिकार देने के लिए राज्य सरकार को पत्र लिखने के निर्देश दिए गए.
उधर, वीसी से जुड़े प्रमुख शासन सचिव नगरीय विकास विभाग कुंजी लाल मीणा ने बताया कि वे बीते दो दिनों से अलवर में कैंप कर रहे हैं. इस दौरान अलवर में सभी कॉलोनियों में जनप्रतिनिधियों के साथ 2-2 कर्मचारी और अधिकारियों को साथ लगाकर 69-ए और यूआईटी की योजनाओं के अधिक से अधिक पट्टे देने के लिए सर्वे का कार्य शुरू करवाया गया है. उन्होंने सभी नगरीय निकायों से कहा कि वे राज्य सरकार की ओर से अभियान के दौरान दी गई छूट के पेम्पलेट तैयार करवाकर घर-घर बंटवाएं, साथ ही घर-घर कचरा एकत्रित करने वाली गाड़ियों पर इसके जिंगल चलवाएं.
उन्होंने नगर परिषद भीलवाड़ा को निर्देश दिए कि नगर परिषद की ओर से धारा 69-ए का पूर्ण सर्वे करवायें. उन्होंने निर्देश दिए कि जिन नगरीय निकायों में प्रगति संतोषप्रद नहीं है, वहां पर स्थानीय निकाय निदेशालय से अधिकारियों को भिजवाया जाए. उन्होंने भीलवाड़ा में अतिरिक्त निदेशक संजीव पांडेय और गंगापुर सिटी में अतिरिक्त नगर नियोजक राजेश कुमार तुलारा को वहां जाकर पट्टे देने की गति बढाने के निर्देश दिए हैं.
वहीं एलएसजी शासन सचिव भवानी सिंह देथा ने नगरीय निकायों से पूछा कि पुरानी आबादी मास्टर प्लान के अनुरूप ही बसी है, फिर पट्टे क्यों नहीं दिए जा रहे हैं. जहां कृषि भूमि के ले-आउट अनुमोदित हैं, वहां शेष पट्टे क्यों नहीं दिये जा रहें हैं. उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि वे अभियान के दौरान प्रकाशित मार्ग निर्देशिका में प्रकाशित आदेशों की जानकारी अपने अधीन अधिकारियों और कर्मचारियों को दें. जिससे लोगों को ज्यादा से ज्यादा लाभ मिल सके.
उन्होंने कहा कि यदि नियमानुसार पट्टे नहीं दिये गए तो संबंधित अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ सख्त अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी. देथा ने कोटपुतली, कुचामनसिटी, सीकर और अन्य नगरीय निकायों की ओर से की गई प्रगति के लिए उनकी प्रशंसा करते हुए दूसरे निकायों को इनका अनुसरण करने के निर्देश दिए. उन्होंने सभी उपनिदेशक (क्षेत्रीय), स्थानीय निकाय विभाग को निर्देश दिए कि वे अपने-अपने संभाग की नगरीय निकायों कार्यों की दैनिक समीक्षा करें और विभाग को इस संबंध में सूचना दें.
इस दौरान मौजूद रहे आयुक्त जयपुर विकास प्राधिकरण गौरव गोयल ने बताया कि विकास प्राधिकरण में लीज होल्ड से फ्री होल्ड के शिविर लगाए जा रहे हैं. प्राप्त आवेदनों का उसी दिन निस्तारण किया जा रहा है. 300 मीटर तक के आवासीय भूखंड पर पट्टे के साथ भवन निर्माण स्वीकृति 500 रुपए में दी जा रही है. इसी तरह 500 वर्गमीटर से अधिक के आवासीय भूखंड की स्वीकृति 1500 रुपए के शुल्क पर दी जा रही है. व्यवसायिक 500 वर्गमीटर तक के भूखण्डों पर विनियमों के अनुसार भवन निर्माण स्वीकृति शुल्क लेकर स्वीकृति दी जा रही है.
इस दौरान जीएस संधू ने सभी नगरीय निकायों की ओर से अब तक दिए गए धारा 69-ए के पट्टे, कृषि भूमि के पट्टे, स्टेट ग्रान्ट एक्ट के पट्टे, कच्ची बस्ती के पट्टे और लीज होल्ड से फ्री होल्ड के पट्टों, भवन निर्माण स्वीकृति, नाम हस्तांतरण, उपविभाजन, पुर्नगठन, खांचा भूमि आवंटन, इंदिरा क्रेडिट कार्ड को लेकर भी दिशा-निर्देश दिए.