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वसुंधरा राजे के दिल्ली प्रवास के दौरान ही क्यों आया राजस्थान की सियासत में यू-टर्न, अब शुरू हुई ये सियासी चर्चा - Vasundhara Raje latest news

राजस्थान की राजनीति अचानक से आए यू टर्न की चर्चा लगातार हो रही है. वहीं, कांग्रेस के संग्राम में आए यू टर्न को अब वसुंधरा राजे के दिल्ली प्रवास से जोड़ कर भी देखा जा रहा है. इसे लेकर सियासत के जानकारी अचंभित है कि आखिर बागी हुआ पायलट कैंप एकाएक पार्टी समर्पण में बैक कैसे हुआ.

Rajasthan political crisis,  Vasundhara Raje latest news
राजस्थान की सियासत में यू-टर्न
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Published : Aug 10, 2020, 8:50 PM IST

जयपुर. प्रदेश में पिछले करीब 1 माह से चल रहे सियासी घमासान में एकाएक आया यू टर्न चर्चाओं में है. सियासत के जानकार भी इस बात को लेकर अचंभित हैं कि सचिन पायलट कैंप जो मुख्यमंत्री गहलोत से सियासी जंग में बहुत आगे तक निकल गया था, वो एकाएक पार्टी समर्पण में बैक कैसे हुआ. लेकिन सियासत में यू-टर्न उस समय आया जब पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे दिल्ली प्रवास पर थी. अब सियासी गलियारों में वसुंधरा राजे के दिल्ली प्रवास और कांग्रेस के संग्राम में आए यू-टर्न को जोड़कर देखा जा रहा है.

चर्चा इस बात की भी है कि वसुंधरा राजे जब दिल्ली प्रवास के दौरान पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, संगठन महामंत्री बीएल संतोष और केंद्रीय रक्षामंत्री राजनाथ सिंह से मिली, तो उन्होंने प्रदेश में चल रहे सियासी घमासान को लेकर विस्तार से जानकारी दी. इस दौरान मौजूदा परिस्थितियों में यह भी साफ कर दिया कि इस पूरे घटनाक्रम में बीजेपी की भूमिका सरकार बनाने या गिराने की स्थिति में नहीं है.

पढ़ें- बागी विधायकों के मुद्दों को हल करने के लिए तीन सदस्यीय समिति का होगा गठन: केसी वेणुगोपाल

ऐसे में वसुंधरा राजे के समर्थक विधायकों में शामिल कैलाश मेघवाल पिछले दिनों एक बयान जारी कर यह साफ कर चुके हैं कि वे जनता की चुनी हुई सरकारों को इस तरह गिराए जाने के पक्ष में नहीं हैं. वहीं, वसुंधरा राजे समर्थक विधायक प्रताप सिंह सिंघवी ने भी पिछले दिनों सचिन पायलट के राज्य के खिलाफ आए बयान पर भी आपत्ति जताई थी. यह इस बात का संकेत था कि खुद राजे भी प्रदेश में चुनी हुई सरकार को गिराए जाने से जुड़े किसी भी षड्यंत्र का हिस्सा नहीं बनना चाहती थी.

यही कारण रहा कि वह इस पूरे सियासी घमासान और पॉलिटिकल ड्रामे से दूर ही रही. बताया जा रहा है कि वसुंधरा राजे ने पार्टी आलाकमान को जो फीडबैक दिया था. उस दौरान ही मानेसर के होटल से पुलिस सुरक्षा हटा ली गई थी, जहां पायलट गुट के विधायक ठहरे थे.

पढ़ें- वेट एंड वॉच की स्थिति में बीजेपी और वसुंधरा राजे!

भाजपा विधायकों की बाड़ेबंदी पर सहमत नहीं थीं राजे

बताया जा रहा है कि जिस तरह भाजपा विधायकों को गुजरात भेजकर बाड़ेबंदी हुई, उससे भी पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सहमति नहीं थी. उन्होंने अपनी आपत्ति जेपी नड्डा और राजनाथ सिंह के समक्ष भी जताई थी. ऐसे में अब सियासी गलियारों में चर्चा का विषय यही है कि क्या वसुंधरा राजे के दिल्ली में पार्टी आलाकमान को दिए गए फीडबैक के बाद ही प्रदेश कांग्रेस में चल रहे घमासान में यू-टर्न आया है.

जयपुर. प्रदेश में पिछले करीब 1 माह से चल रहे सियासी घमासान में एकाएक आया यू टर्न चर्चाओं में है. सियासत के जानकार भी इस बात को लेकर अचंभित हैं कि सचिन पायलट कैंप जो मुख्यमंत्री गहलोत से सियासी जंग में बहुत आगे तक निकल गया था, वो एकाएक पार्टी समर्पण में बैक कैसे हुआ. लेकिन सियासत में यू-टर्न उस समय आया जब पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे दिल्ली प्रवास पर थी. अब सियासी गलियारों में वसुंधरा राजे के दिल्ली प्रवास और कांग्रेस के संग्राम में आए यू-टर्न को जोड़कर देखा जा रहा है.

चर्चा इस बात की भी है कि वसुंधरा राजे जब दिल्ली प्रवास के दौरान पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, संगठन महामंत्री बीएल संतोष और केंद्रीय रक्षामंत्री राजनाथ सिंह से मिली, तो उन्होंने प्रदेश में चल रहे सियासी घमासान को लेकर विस्तार से जानकारी दी. इस दौरान मौजूदा परिस्थितियों में यह भी साफ कर दिया कि इस पूरे घटनाक्रम में बीजेपी की भूमिका सरकार बनाने या गिराने की स्थिति में नहीं है.

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ऐसे में वसुंधरा राजे के समर्थक विधायकों में शामिल कैलाश मेघवाल पिछले दिनों एक बयान जारी कर यह साफ कर चुके हैं कि वे जनता की चुनी हुई सरकारों को इस तरह गिराए जाने के पक्ष में नहीं हैं. वहीं, वसुंधरा राजे समर्थक विधायक प्रताप सिंह सिंघवी ने भी पिछले दिनों सचिन पायलट के राज्य के खिलाफ आए बयान पर भी आपत्ति जताई थी. यह इस बात का संकेत था कि खुद राजे भी प्रदेश में चुनी हुई सरकार को गिराए जाने से जुड़े किसी भी षड्यंत्र का हिस्सा नहीं बनना चाहती थी.

यही कारण रहा कि वह इस पूरे सियासी घमासान और पॉलिटिकल ड्रामे से दूर ही रही. बताया जा रहा है कि वसुंधरा राजे ने पार्टी आलाकमान को जो फीडबैक दिया था. उस दौरान ही मानेसर के होटल से पुलिस सुरक्षा हटा ली गई थी, जहां पायलट गुट के विधायक ठहरे थे.

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भाजपा विधायकों की बाड़ेबंदी पर सहमत नहीं थीं राजे

बताया जा रहा है कि जिस तरह भाजपा विधायकों को गुजरात भेजकर बाड़ेबंदी हुई, उससे भी पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सहमति नहीं थी. उन्होंने अपनी आपत्ति जेपी नड्डा और राजनाथ सिंह के समक्ष भी जताई थी. ऐसे में अब सियासी गलियारों में चर्चा का विषय यही है कि क्या वसुंधरा राजे के दिल्ली में पार्टी आलाकमान को दिए गए फीडबैक के बाद ही प्रदेश कांग्रेस में चल रहे घमासान में यू-टर्न आया है.

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