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सहारा प्राइम सिटी पर ढाई लाख का हर्जाना, उपभोक्ता को ब्याज सहित फ्लैट की राशि लौटाने के आदेश

जिला उपभोक्ता आयोग प्रथम ने सहारा प्राइम सिटी लि. पर ढाई लाख रुपये का हर्जाना लगाया है. फ्लैट की राशि चुकाने के 11 साल बाद भी उपभोक्ता को कब्जा नहीं देने पर यह जुर्माना लगाया गया है.

damage imposed on Sahara Prime City, उपभोक्ता की याचिका पर आदेश
सहारा प्राइम सिटी पर हर्जाना
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Published : Jan 15, 2021, 8:29 PM IST

जयपुर. फ्लैट की राशि लेने के 11 साल बाद भी उसका कब्जा नहीं देने पर जिला उपभोक्ता आयोग प्रथम ने सहारा प्राइम सिटी लि. पर ढाई लाख रुपये का हर्जाना लगाया है. वहीं आयोग ने फ्लैट के लिए वसूली गई 22 लाख 77 हजार रुपए की राशि दस फीसदी ब्याज सहित लौटाने के आदेश दिए हैं. आयोग ने कहा है कि उपभोक्ता फ्लैट का असीमित काल तक इंतजार नहीं कर सकता है. आयोग ने यह आदेश एचसी त्यागी के परिवाद पर दिया है.

परिवाद में कहा गया कि उसने वर्ष 2009 में सहारा प्राइम सिटी लि. से फ्लैट बुक कराया था. बिल्डर ने 3 जून 2009 को फ्लैट का आवंटन पत्र भी जारी कर दिया. बिल्डर को फ्लैट का कब्जा 38 माह के भीतर देना था, लेकिन 22 लाख 77 हजार रुपए चुकाने के बाद भी आज तक फ्लैट का कब्जा नहीं दिया गया.

यह भी पढ़ें: कृषि कानून को लेकर SC की समिति में पक्षकार बनना चाहता है भारतीय किसान संघ, SC में प्रार्थना पत्र किया पेश

वहीं यदि बिल्डर को समय पर किस्त का भुगतान नहीं किया जाता है तो वह उस पर 15 फीसदी ब्याज वसूलता है. परिवाद के जवाब में बिल्डर की ओर से कहा गया कि मामले में सुप्रीम कोर्ट का स्टे होने के चलते कब्जा नहीं दिया जा सकता. इस पर आयोग ने कहा कि समय पर कब्जा नहीं देना बिल्डर का सेवा दोष है. इसके साथ ही आयोग ने वसूली गई राशि ब्याज सहित लौटाने के साथ ही बिल्डर पर ढाई लाख रुपए का हर्जाना भी लगाया है.

जयपुर. फ्लैट की राशि लेने के 11 साल बाद भी उसका कब्जा नहीं देने पर जिला उपभोक्ता आयोग प्रथम ने सहारा प्राइम सिटी लि. पर ढाई लाख रुपये का हर्जाना लगाया है. वहीं आयोग ने फ्लैट के लिए वसूली गई 22 लाख 77 हजार रुपए की राशि दस फीसदी ब्याज सहित लौटाने के आदेश दिए हैं. आयोग ने कहा है कि उपभोक्ता फ्लैट का असीमित काल तक इंतजार नहीं कर सकता है. आयोग ने यह आदेश एचसी त्यागी के परिवाद पर दिया है.

परिवाद में कहा गया कि उसने वर्ष 2009 में सहारा प्राइम सिटी लि. से फ्लैट बुक कराया था. बिल्डर ने 3 जून 2009 को फ्लैट का आवंटन पत्र भी जारी कर दिया. बिल्डर को फ्लैट का कब्जा 38 माह के भीतर देना था, लेकिन 22 लाख 77 हजार रुपए चुकाने के बाद भी आज तक फ्लैट का कब्जा नहीं दिया गया.

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वहीं यदि बिल्डर को समय पर किस्त का भुगतान नहीं किया जाता है तो वह उस पर 15 फीसदी ब्याज वसूलता है. परिवाद के जवाब में बिल्डर की ओर से कहा गया कि मामले में सुप्रीम कोर्ट का स्टे होने के चलते कब्जा नहीं दिया जा सकता. इस पर आयोग ने कहा कि समय पर कब्जा नहीं देना बिल्डर का सेवा दोष है. इसके साथ ही आयोग ने वसूली गई राशि ब्याज सहित लौटाने के साथ ही बिल्डर पर ढाई लाख रुपए का हर्जाना भी लगाया है.

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