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प्रदेश की मंडियों की 4 दिन तक चली हड़ताल खत्म, केंद्र और राज्य सरकार को दिया अल्टीमेटम - कृषि उत्पादन व्यापार अध्यादेश

केंद्र सरकार के कृषि उत्पादन व्यापार और वाणिज्य अध्यादेश का विरोध प्रदेश भर के मंडी कारोबारी व किसान कर रहे हैं. इसके विरोध में प्रदेश भर की मंडियां 4 दिनों तक बंद रहीं. वहीं अब किसान वर्ग व व्यापारिक संगठनों ने सरकार से इस अध्यादेश को वापस लेने की मांग की है और मांगों को नहीं मानने पर हड़ताल की चेतावनी भी दी.

Agricultural Produce Trade Ordinance, Traders strike
व्यापारी और किसानों ने केंद्र और राज्य सरकार को दिया अल्टीमेटम
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Published : Aug 29, 2020, 9:44 PM IST

जयपुर. केंद्र सरकार के एक अध्यादेश के विरोध में प्रदेश की मंडियों में 4 दिन तक चली हड़ताल खत्म हो गई है, लेकिन केंद्र सरकार द्वारा जारी किए गए इस अध्यादेश का विरोध मंडी व्यापारी और किसान वर्ग कर रहा है. उन्होंने सरकार को अल्टीमेटम दे दिया है कि यदि उनकी मांगें पूरी नहीं की गईं, तो 15 सितंबर से प्रदेश भर की मंडियों में अनिश्चितकालीन हड़ताल कर दी जाएगी.

व्यापारी और किसानों ने केंद्र और राज्य सरकार को दिया अल्टीमेटम

केंद्र सरकार के कृषि उत्पादन व्यापार और वाणिज्य अध्यादेश का विरोध प्रदेश भर के मंडी कारोबारी कर रहे हैं. इसी विरोध के चलते प्रदेश की 246 मंडियां 24 से 28 अगस्त तक बंद रही थी. राजस्थान खाद्य पदार्थ व्यापार संघ के अध्यक्ष का कहना है कि यदि यह अध्यादेश लागू होता है तो कृषि मंडियों में ना तो व्यापारी व्यापार का सकेगा और ना ही किसान अपना माल बेच सकेगा, क्योंकि इस अध्यादेश के तहत मंडियों में व्यापार करने वाले व्यापारी को लाइसेंस भी लेना होगा और मंडी से जुड़े सभी टैक्स भी चुकाने होंगे.

जबकि कृषि जिंसों से जुड़ा व्यापार यदि कोई मंडी से बाहर करता है तो उसे ना तो लाइसेंस लेने की जरूरत है और ना ही किसी तरह का कोई टैक्स चुकाने की जरूरत. इस अध्यादेश का विरोध राजस्थान ही नहीं, बल्कि हरियाणा और पंजाब द्वारा भी किया जा रहा है.

पढ़ें- जोधपुर: एक महीने से चल रहा किसानों का महापड़ाव खत्म, किसान लौटे अपने गांव

4 दिन की हड़ताल के बाद राजस्थान में एक बार फिर से मंडियों में कामकाज शुरू हो गया है, लेकिन राजस्थान खाद्य पदार्थ व्यापार संघ ने कहा है कि हमने राज्य और केंद्र सरकार को कुछ दिनों का समय दिया है. यदि इसके बाद भी हमारी मांगों को लेकर कोई समाधान नहीं होता है, तो 15 सितंबर से प्रदेश भर में अनिश्चितकालीन हड़ताल मंडियों में की जाएगी.

प्रदेश के किसान नेता रामपाल जाट ने भी कहा है कि इस अध्यादेश से किसानों को भी बड़ा नुकसान होगा, क्योंकि मौजूदा समय में किसान मंडी परिसर में अपना माल बेचते हैं, लेकिन अध्यादेश लागू होने के बाद मंडियों से दुकाने बंद हो जाएगी. ऐसे में किसानों को मजबूरन बाहर माल बेचना पड़ेगा और किसानों को अपने माल का सही मूल्य नहीं मिल पाएगा.

जयपुर. केंद्र सरकार के एक अध्यादेश के विरोध में प्रदेश की मंडियों में 4 दिन तक चली हड़ताल खत्म हो गई है, लेकिन केंद्र सरकार द्वारा जारी किए गए इस अध्यादेश का विरोध मंडी व्यापारी और किसान वर्ग कर रहा है. उन्होंने सरकार को अल्टीमेटम दे दिया है कि यदि उनकी मांगें पूरी नहीं की गईं, तो 15 सितंबर से प्रदेश भर की मंडियों में अनिश्चितकालीन हड़ताल कर दी जाएगी.

व्यापारी और किसानों ने केंद्र और राज्य सरकार को दिया अल्टीमेटम

केंद्र सरकार के कृषि उत्पादन व्यापार और वाणिज्य अध्यादेश का विरोध प्रदेश भर के मंडी कारोबारी कर रहे हैं. इसी विरोध के चलते प्रदेश की 246 मंडियां 24 से 28 अगस्त तक बंद रही थी. राजस्थान खाद्य पदार्थ व्यापार संघ के अध्यक्ष का कहना है कि यदि यह अध्यादेश लागू होता है तो कृषि मंडियों में ना तो व्यापारी व्यापार का सकेगा और ना ही किसान अपना माल बेच सकेगा, क्योंकि इस अध्यादेश के तहत मंडियों में व्यापार करने वाले व्यापारी को लाइसेंस भी लेना होगा और मंडी से जुड़े सभी टैक्स भी चुकाने होंगे.

जबकि कृषि जिंसों से जुड़ा व्यापार यदि कोई मंडी से बाहर करता है तो उसे ना तो लाइसेंस लेने की जरूरत है और ना ही किसी तरह का कोई टैक्स चुकाने की जरूरत. इस अध्यादेश का विरोध राजस्थान ही नहीं, बल्कि हरियाणा और पंजाब द्वारा भी किया जा रहा है.

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4 दिन की हड़ताल के बाद राजस्थान में एक बार फिर से मंडियों में कामकाज शुरू हो गया है, लेकिन राजस्थान खाद्य पदार्थ व्यापार संघ ने कहा है कि हमने राज्य और केंद्र सरकार को कुछ दिनों का समय दिया है. यदि इसके बाद भी हमारी मांगों को लेकर कोई समाधान नहीं होता है, तो 15 सितंबर से प्रदेश भर में अनिश्चितकालीन हड़ताल मंडियों में की जाएगी.

प्रदेश के किसान नेता रामपाल जाट ने भी कहा है कि इस अध्यादेश से किसानों को भी बड़ा नुकसान होगा, क्योंकि मौजूदा समय में किसान मंडी परिसर में अपना माल बेचते हैं, लेकिन अध्यादेश लागू होने के बाद मंडियों से दुकाने बंद हो जाएगी. ऐसे में किसानों को मजबूरन बाहर माल बेचना पड़ेगा और किसानों को अपने माल का सही मूल्य नहीं मिल पाएगा.

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