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भारत का शापित गांव! यहां पूर्णिमा के दिन घरों पर ताला लगाकर गायब हो जाते हैं लोग - AP VILLAGE GOES EMPTY ONCE A YEAR

इस गांव के लोगों को सालों पहले एक श्राप मिला था, जिससे निजात पाने के लिए गांव वाले ऐसा करते हैं.

तलारी चेरुवु गांव
तलारी चेरुवु गांव (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Feb 13, 2025, 6:19 PM IST

आन्ध्र प्रदेश: भारत एक ऐसा देश है जो अपनी विविधताओं और अनोखी परंपराओं के लिए जाना जाता है. यहां हर राज्य, हर गांव की अपनी एक अलग कहानी और संस्कृति है. ऐसी ही एक अनोखी और रहस्यमयी कहानी आन्ध्र प्रदेश के एक गांव की है, जहां एक अजीबोगरीब प्रथा का पालन किया जाता है. इस गांव के लोग साल में एक दिन अपने घरों में ताला लगाकर गायब हो जाते हैं. न केवल घर, बल्कि गांव के मंदिर और स्कूल भी उस दिन बंद कर दिए जाते हैं. कोई भी घर ऐसा नहीं रहता जिस पर ताला न लगा हो. गांव वालों का मानना है कि उस दिन गांव में रहना अपशकुन है.

यह रहस्यमय गांव आन्ध्र प्रदेश राज्य के अनंतपुर जिले में ताडिपत्रि मंडल में स्थित है, जिसका नाम है तलारी चेरुवु. इस गांव में घरों, मंदिरों और स्कूलों में ताला डालने की प्रथा को 'अग्गीपाडु' के नाम से जाना जाता है. इस प्रथा का पालन यहां के लोग सदियों से करते आ रहे हैं.

क्या है इस प्रथा के पीछे की कहानी?
कहा जाता है कि कई साल पहले तलारी चेरुवु गांव में एक ब्राह्मण को फसल चुराने के आरोप में गांव वालों ने पीट-पीटकर मार डाला था. ग्रामीणों के अनुसार, उस ब्राह्मण की आत्मा ने मरने से पहले पूरे गांव को श्राप दिया था.

गांव में अकाल और पोलियो फैल गई
श्राप के परिणामस्वरूप, गांव में अकाल और पोलियो जैसी बीमारियां फैल गईं, जिसके कारण गांव में बच्चे जन्म लेते ही मर जाते थे. इस संकट से मुक्ति पाने के लिए गांव वाले एक ऋषि के पास गए और उनसे समाधान मांगा. ऋषि ने उन्हें इस श्राप से मुक्ति पाने के लिए एक उपाय बताया. स्वामी जी ने गांव वालों को सलाह दी कि वे हर साल माघ पूर्णिमा के दिन गांव में दिया या चूल्हा न जलाएं.

हाजीवाली दरगाह की ओर प्रस्थान
इसके साथ ही ऋषि ने यह भी निर्देश दिया कि सभी गांव के लोग अपने बच्चों और पशुओं को गांव के बाहर स्थित हाजीवाली दरगाह पर ले जाएं. तभी से गांव के लोग इस प्रथा का पालन करते आ रहे हैं. माघ पूर्णिमा के दिन, वे सभी गांव छोड़कर हाजीवाली दरगाह में चले जाते हैं, जहां वे भोजन पकाते और खाते हैं. शाम को वे अपने घरों को लौटते हैं.

नारियल फोड़ने की परंपरा
सालों से यह परंपरा चलती आ रही है. यह लोग घर में प्रवेश करते समय हर व्यक्ति अपने दरवाजे पर नारियल फोड़ता है. यह माना जाता है कि ऐसा करने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और घर में सुख-शांति बनी रहती है. इसी वजह से गांव वाले अपने घरों पर ताला लगाकर चले जाते हैं, ताकि गांव में कोई न रहे और श्राप का असर किसी पर न पड़े।

यह भी पढ़ें- आज का पंचांग: आज करें नए प्रोजेक्ट्स की प्लानिंग, मिलेगी सफलता

आन्ध्र प्रदेश: भारत एक ऐसा देश है जो अपनी विविधताओं और अनोखी परंपराओं के लिए जाना जाता है. यहां हर राज्य, हर गांव की अपनी एक अलग कहानी और संस्कृति है. ऐसी ही एक अनोखी और रहस्यमयी कहानी आन्ध्र प्रदेश के एक गांव की है, जहां एक अजीबोगरीब प्रथा का पालन किया जाता है. इस गांव के लोग साल में एक दिन अपने घरों में ताला लगाकर गायब हो जाते हैं. न केवल घर, बल्कि गांव के मंदिर और स्कूल भी उस दिन बंद कर दिए जाते हैं. कोई भी घर ऐसा नहीं रहता जिस पर ताला न लगा हो. गांव वालों का मानना है कि उस दिन गांव में रहना अपशकुन है.

यह रहस्यमय गांव आन्ध्र प्रदेश राज्य के अनंतपुर जिले में ताडिपत्रि मंडल में स्थित है, जिसका नाम है तलारी चेरुवु. इस गांव में घरों, मंदिरों और स्कूलों में ताला डालने की प्रथा को 'अग्गीपाडु' के नाम से जाना जाता है. इस प्रथा का पालन यहां के लोग सदियों से करते आ रहे हैं.

क्या है इस प्रथा के पीछे की कहानी?
कहा जाता है कि कई साल पहले तलारी चेरुवु गांव में एक ब्राह्मण को फसल चुराने के आरोप में गांव वालों ने पीट-पीटकर मार डाला था. ग्रामीणों के अनुसार, उस ब्राह्मण की आत्मा ने मरने से पहले पूरे गांव को श्राप दिया था.

गांव में अकाल और पोलियो फैल गई
श्राप के परिणामस्वरूप, गांव में अकाल और पोलियो जैसी बीमारियां फैल गईं, जिसके कारण गांव में बच्चे जन्म लेते ही मर जाते थे. इस संकट से मुक्ति पाने के लिए गांव वाले एक ऋषि के पास गए और उनसे समाधान मांगा. ऋषि ने उन्हें इस श्राप से मुक्ति पाने के लिए एक उपाय बताया. स्वामी जी ने गांव वालों को सलाह दी कि वे हर साल माघ पूर्णिमा के दिन गांव में दिया या चूल्हा न जलाएं.

हाजीवाली दरगाह की ओर प्रस्थान
इसके साथ ही ऋषि ने यह भी निर्देश दिया कि सभी गांव के लोग अपने बच्चों और पशुओं को गांव के बाहर स्थित हाजीवाली दरगाह पर ले जाएं. तभी से गांव के लोग इस प्रथा का पालन करते आ रहे हैं. माघ पूर्णिमा के दिन, वे सभी गांव छोड़कर हाजीवाली दरगाह में चले जाते हैं, जहां वे भोजन पकाते और खाते हैं. शाम को वे अपने घरों को लौटते हैं.

नारियल फोड़ने की परंपरा
सालों से यह परंपरा चलती आ रही है. यह लोग घर में प्रवेश करते समय हर व्यक्ति अपने दरवाजे पर नारियल फोड़ता है. यह माना जाता है कि ऐसा करने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और घर में सुख-शांति बनी रहती है. इसी वजह से गांव वाले अपने घरों पर ताला लगाकर चले जाते हैं, ताकि गांव में कोई न रहे और श्राप का असर किसी पर न पड़े।

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