जयपुर. आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को शरद पूर्णिमा मनाया जाता है. इस बार शुक्रवार को शरद पूर्णिमा मनाया जाएगा. इस दिन भक्त मां लक्ष्मी जी की विशेष पूजा करेंगे. पौराणिक मान्यताओं के तहत आज के दिन धन-धान्य की देवी लक्ष्मी मां धरती पर भ्रमण करती है. इसलिए इस तिथि को कोजागरी पूर्णिमा भी कहा जाता है.
ज्योतिषाचार्य पंडित पुरुषोत्तम गौड़ के अनुसार चतुर्दशी दिन सूर्योदय प्रात काल 6.30 बजे हुआ है. वहीं सूर्यास्त शाम को 5.37 बजे पर होना है. ऐसे में शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रोदय शाम को 5.13 बजे पर होगा. उस समय चंद्र लालिमा लिए हुए रहेगा और कुछ बड़े स्वरूप में दिखेगा. इसके बाद जैसे-जैसे चंद्र ऊपर उठेगा तो वह चमकीला होता जाएगा. अगले दिन यानी शनिवार की सुबह करीब 5.03 बजे पश्चिमी दिशा में अस्त हो जाएगा.
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शुक्रवार को राहुकाल सुबह से दोपहर तक डेढ़ घंटे का है और पंचक दोपहर के बाद खत्म हो रहा है. ऐसे में अमृत सिद्धि योग और रवि योग सुबह से दोपहर तक रहेगा और सर्वार्थ सिद्धि योग पूरे दिन रहेगा. ऐसे में इस रात में चन्द्र से निकलने वाली किरणें स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होती है, इसलिए इस रात खीर सेवन करने का भी महत्व है लेकिन ध्यान रहे खीर गाय के दूध से बनी होनी चाहिए. जिसको बनाने के बाद अगले दिन भगवान लक्ष्मीनारायण को भोग लगाने के बाद प्रसाद स्वरूप ग्रहण करें.
शरद पूर्णिमा पर माता लक्ष्मी का पूजन किया जाता है, सच्चे मन से मां की आराधना करने वाले भक्तों की सारी मुरादें पूरी होती है. सनातन धर्म में आज के दिन धर्मावलंबी पावन जल सरोवर में डुबकी भी लगाते हैं.