जयपुर. घाटे में चल रहे तिलम संघ का राजफैड में फिर से विलय किया जाएगा. सहकारिता मंत्री उदयलाल आंजना की अध्यक्षता में तिलम संघ और राजफैड के साथ हुई बैठक में यह अहम निर्णय लिया गया. विलय का प्रस्ताव मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के पास भेजा जाएगा, उसके बाद कैबिनेट बैठक में इस फैसले पर फाइनल मुहर लगाई जाएगी.
बैठक के बाद सहकारिता मंत्री उदयलाल आंजना ने कहा कि तिलम संघ को राजफैड में विलय करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है, तिलम संघ वर्तमान में लगभग 167 करोड़ रुपए के घाटे और लगभग 151 की देनदारी से जूझ रहा है, ऐसे में सहकारी ढांचे को मजबूत करने की दिशा में यह कदम उठाया जा रहा है. आंजना ने कहा कि 1991 से पहले तिलम संघ राजफैड का ही अंग था, लेकिन विश्व बैंक की शर्तों के आधार पर 1991 में राजफैड से अलग होकर तिलम संघ की स्थापना की गई थी.
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2008 में तिलम संघ के तीनों उत्पादन संयंत्र कोटा, श्रीगंगानगर और फतेहनगर बंद है, इन संयंत्रों की भी मशीनरी पुरानी हो चुकी है. सहकारिता मंत्री ने कहा कि तिलम संघ के राजफैड में विलय से राजफैड को भी फायदा होगा और राजफैड में अधिकारियों और कर्मचारियों के रिक्त पदों की भी पूर्ति हो जाएगी, तिलम संघ के पास बाजार दर से लगभग 500 करोड़ की संपत्तियां हैं, जो तिलम संघ के विलय होने पर राजफैड़ के पास आ जाएगी.
आंजना ने निर्देश दिए कि तिलम संघ के विलय की प्रक्रिया को नियमानुसार किया जाए. तिलम संघ में वर्तमान में 113 कार्मिक कार्यरत हैं. जिसमें से 40 कार्मिक अगले वर्ष सेवानिवृत्त हो जाएंगे, तिलम संघ के विलय होने पर 89 कार्मिक राजफैड में समायोजित होंगे, मंत्री उदयलाल आंजना ने बताया कि तिलम संघ के विलय के प्रस्ताव को तैयार करके मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के पास भेजा जाएगा फिर यह प्रस्ताव कैबिनेट में रखा जाएगा, उसके बाद इस पर निर्णय होगा. लेकिन यह सही है कि सरकार की इच्छा है कि तिलम संघ जो घाटे में चल रहा है उसे राजफैड में समायोजित कर दिया जाए. जिससे की घाटे की पूर्ति हो जाए.
शुरुआत में बैठक के समक्ष तिलम संघ की वस्तुस्थिति पर प्रबंध निर्देशक तिलम संघ राधेश्याम मीणा ने जानकारी दी. बैठक में प्रमुख शासन सचिव सहकारिता कुंजीलाल मीणा, रजिस्ट्रार मुक्तानंद अग्रवाल, प्रबंध निदेशक राष्ट्रीय सुषमा अरोड़ा, संयुक्त सचिव सहकारिता नारायण सिंह, अतिरिक्त रजिस्टर एमपी यादव सहित राजफैड और तिलम संघ के अधिकारी उपस्थित थे.