जयपुर. राजस्थान आवासन मण्डल की मानसरोवर योजना में शिप्रापथ पर विकसित श्रीझूलेलाल तिब्बती मार्केट का शुभारम्भ बुधवार को यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल ने उद्घाटन किया. इस दौरान मंत्री शांति धारीवाल ने कहा कि ये वही मार्केट है जिसे पिछली सरकार ने बिना किसी प्लानिंग के 13 साल पहले बना दिया और फिर इसकी तरफ किसी ने ध्यान नहीं दिया.
यूडीएच मंत्री ने कहा कि 13 साल तक इन दुकानों को खरीदने के लिए कोई नहीं आया. जिनको मण्डल ने यहां दुकानें आवंटित की, उन्होंने भी अपने आवंटन निरस्त करा लिए. लेकिन आवासन आयुक्त ने इस मार्केट की कमियों को दूर करते हुए दुकानों का आवंटन किया. इससे मण्डल को 22 करोड़ रुपए का राजस्व भी मिला. उन्होंने कहा कि एक और जहां तिब्बती शरणार्थियों की जयपुर में स्थाई बाजार की 40 वर्ष पुरानी समस्या का समाधान हुआ है. वहीं जयपुरवासियों को भी सालभर एक ही स्थान पर ऊनी कपड़े उपलब्ध हो सकेंगे.
आवासन आयुक्त पवन अरोड़ा ने बताया कि 2003 में राज्य सरकार ने जब ऑपरेशन पिंक चलाया, तब मानसरोवर योजना में स्थित थड़ी होल्डर्स के पुर्नवास के लिए स्थाई दुकानों के निर्माण के लिए जयपुर निगम की ओर से सर्वे कराया गया. इस सर्वे रिपोर्ट के आधार पर इन थड़ी होल्डर्स के पुर्नवास के लिए झूलेलाल मार्केट की प्लानिंग की गई. इस मार्केट में दुकान लेने के लिए 355 योग्य आवेदकों ने पंजीकरण कराया. इस सर्वे रिर्पोट के आधार पर ही 4098.33 वर्गमीटर के भूखण्ड़ पर तीन मंजिला झूलेलाल मार्केट का निर्माण कर 526 दुकानें 10 करोड़ रूपये की लागत से इन लोगों के लिए बनाई गई थी.
उन्होंने बताया कि निर्मित दुकानों में से 23 दुकानें विद्युत पैनल, 20 दुकानें फूड कोर्ट के लिए आरक्षित की गई. बची हुई 483 दुकानों में से जिन 355 आवेदकों ने अपना पंजीकरण करवाया था, उन सभी पंजीकृत थड़ी होल्डर्स को नकद भुगतान पद्धति के आधार पर आवंटन किया गया. ग्राउंड फ्लोर पर 3 लाख 18 हजार रूपये में और फर्स्ट फ्लोर पर 2 लाख 25 हजार रूपये में दुकानों का आवंटन किया गया. उनकी मांग पर दुकानें किस्तों पर आवंटित की थी. उस वक्त केवल 68 लोगों ने ही पैसे जमा कराए और कब्जा लिया था. वर्ष 2009 से 2019 तक 10 साल तक किसी दुकानदार ने पैसे जमा नहीं कराएं और ना कब्जा लिया. उसके बाद 2019 में 77 लोग वापस आए कि हमें दुकानें आवंटित कर दो. मण्डल ने तत्परता दिखाते हुए सभी 77 इच्छुक लोगों को दुकानें आवंटित कर दी, इसके बावजूद भी दुकानें बच गई थीं.
ऐसे में तिब्बती शरणार्थी एसोसिएशन के लोग आवासन मंडल पहुंचे और कोई व्यापारिक केन्द्र विकसित करने की मांग की. राजस्थान आवासन मण्डल की बोर्ड बैठक में इस मार्केट की 266 दुकानों को तिब्बती रिफ्यूजी होजरी रेडीमेड सेलर यूनियन को लॉटरी से आवंटन का निर्णय लिया गया. इनको ये दुकानें 2014-15 की आरक्षित दर पर ग्राउंड फ्लोर के लिए राशि 8 लाख 60 हजार 700 रूपये, बेसमेन्ट और फर्स्ट फ्लोर के लिए राशि 5 लाख 57 हजार 700 रूपये पर 5 वर्ष की किस्तों पर आवंटित की गई. उन्होंने कहा कि तिब्बती शरणार्थियों के आने के बाद लगभग 250 स्थानीय थड़ी-ठेला वाले लघु व्यवसायियों ने भी यहां दुकानें खोलना शुरू कर दिया है. आने वाले एक सप्ताह में सभी दुकानें खुल जाएंगी.
वहीं तिब्बती शरणार्थी एसोसिएशन की अध्यक्ष ल्हामो ने बताया कि बीते 40 सालों से तिब्बती शरणार्थी ऊनी और गर्म कपड़ों के व्यापार के लिए जयपुर आ रहे हैं, लेकिन यहां व्यापार के लिए उन्हें कोई स्थान विशेष आवंटित नहीं होने से खासी परेशानी का सामना करना पड़ता था. अब इन दुकानों के आवंटन से जयपुर में स्थाई बाजार की बड़ी समस्या से मुक्ति मिली है. यही वजह है कि अब तिब्बती बाजार 4 महीने की बजाए, इन पक्की दुकानों के बीच 12 महीने संचालित होगा. झूलेलाल तिब्बती मार्केट के शुभारंभ के मौके पर विधायक अशोक लाहोटी और यूडीएच प्रमुख शासन सचिव कुंजीलाल मीना भी मौजूद रहे. आपको बता दें कि आवासन मंडल ने इस बाजार को मुख्य सड़क से जोड़ने के लिए तीन सम्पर्क ब्रिज बनाने के साथ, यहां हेरिटेज लाइटिंग लगवाई. इसके साथ ही यहां रंग-रोगन और मूलभूत सुविधाओं को सुधार कर पार्किंग की समुचित व्यवस्था की है.