जयपुर. राजस्थान में 20 जिलों के 90 निकायों में चुनाव (Rajasthan local bodies election 2021) के लिए मैदान अब जम चुका है. भाजपा और कांग्रेस चुनाव में जीत के लिए भरसक प्रयास कर रही है. नामांकन वापस लेने की अंतिम तिथि निकलने के बाद अब दोनों ही पार्टियों के नेता प्रचार में पूरी जान झोक रहे हैं लेकिन राजस्थान में अब सत्ताधारी कांग्रेस में नई परंपरा बन चुकी है और वह परंपरा पार्टी से बगावत कर चुनाव लड़ने वाले नेताओं पर कार्रवाई नहीं करने की है.
दरअसल इस परंपरा की शुरुआत 6 नगर निगम चुनाव से हुई है, जहां किसी बागी पर कोई कार्रवाई नहीं की गई. उसके बाद हुए जिला परिषद और पंचायत समिति सदस्यों में भी बागियों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई तो 12 जिलों में हुए 50 निकाय चुनाव में भी यही परंपरा जारी रही. अब हो रहे 20 जिलों के 90 निकायों में भी कांग्रेस पार्टी किसी बागी पर कार्रवाई करने का मानस नहीं रखती है. दरअसल, इसके पीछे सीधा कारण है कि अगर वह बागियों पर कार्रवाई करते हैं और वह चुनाव जीतकर आ जाते हैं तो फिर उन्हें पार्टी में वापस लेने में काफी दिक्कत होती है. ऐसे में जब निकाय प्रमुख चुनने की बारी आई तो यह बागी होकर चुनाव जीते निर्दलीय उम्मीदवार कांग्रेस को समर्थन कैसे देंगे.
यह भी पढ़ें. स्पेशल: नगर परिषद चुनाव में अपनी साख बचाने की जुगत में कांग्रेस, बीजेपी के किले को ढहा पाना चुनौती
कांग्रेस पार्टी ने अनुशासन समिति नहीं होने का बहाना बनाते हुए बागियों पर कार्रवाई नहीं करने का मन बना लिया है, हालांकि, चुनाव बागी लड़े नेताओं के चुनाव में हारने वाले नेताओं पर कार्रवाई जरूर होगी और वह नेता पार्टी से निष्कासन जरूर झेलेंगे.