जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने सिविल सेवा अपीलीय अधिकरण की कार्यशैली पर टिप्पणी करते हुए कहा है कि अधिकरण का गठन कानून के जरिए अपीलीय बॉडी के तौर पर हुआ है. ऐसे में उसका काम विभाग के समक्ष अभ्यावेदन पेश करने का आदेश देने का नहीं है. अधिकरण को अपील का निस्तारण मेरिट के आधार पर करना चाहिए.
इसके साथ ही अदालत ने प्रकरण में प्रिंसिपल के किए गए तबादला आदेश पर रोक लगा दी है. वहीं अदालत ने प्रमुख शिक्षा सचिव, शिक्षा निदेशक और सूरजगढ़ के पूर्व विधायक श्रवण सिंह सहित अन्य को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है. न्यायाधीश एसपी शर्मा ने यह आदेश सांवत सिंह की याचिका पर दिए.
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याचिका में अधिवक्ता हनुमान चौधरी ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता प्रिंसिपल का पूर्व विधायक श्रवण सिंह के प्रभाव से गत 4 जनवरी को झुंझुनू से जैसलमेर तबादला किया गया था. वहीं मामले में हाईकोर्ट ने अधिकरण को आदेश जारी कर 10 दिन में तबादला आदेश के खिलाफ लंबित अपील को तय करने को कहा था. याचिका में कहा गया कि अधिकरण ने अपील तय करने के बजाए अपीलार्थी को विभाग के समक्ष अभ्यावेदन पेश करने को कहा.
याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि अधिकरण का आचरण भेदभावपूर्ण रहता है. अधिकरण कई मामलों में एक ही जिले में किए गए तबादला आदेश पर रोक लगा देता है, वहीं याचिकाकर्ता के मामले में सुदूर किए गए तबादला आदेश को मेरिट से तय नहीं किया गया, जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने अधिकरण को उसकी जिम्मेदारी याद दिलाते हुए याचिकाकर्ता के तबादला आदेश पर रोक लगा दी है.