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दिव्यांग शिक्षिका को ब्रिज कोर्स करवाकर नियमितीकरण के परिलाभ अदा करे सरकार

राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य सरकार ने पिछले 25 साल से शिक्षक पद पर कार्यरत याचिकाकर्ता को बीएसटीसी के लिए ब्रिज कोर्स करवाएं. अदालत ने कोर्स करने के बाद उसे नियुक्ति तिथि से नियमितीकरण के समस्त परिलाभ अदा करने को भी कहा है.

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Published : Mar 11, 2020, 8:47 PM IST

जयपुर की खबर, high court
दिव्यांग शिक्षिका को ब्रिज कोर्स करवाकर नियमितीकरण के परिलाभ अदा करे सरकार

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को कहा है कि वह पिछले 25 साल से शिक्षक पद पर कार्यरत याचिकाकर्ता को बीएसटीसी के लिए ब्रिज कोर्स करवाएं. अदालत ने कोर्स करने के बाद उसे नियुक्ति तिथि से नियमितीकरण के समस्त परिलाभ अदा करने को भी कहा है. न्यायाधीश एसपी शर्मा ने ये आदेश भगवती मीणा की याचिका पर दिए.

याचिका में अधिवक्ता डीडी खंडेलवाल ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता दिव्यांग कोटे में जुलाई 1994 में शिक्षक पद पर नियुक्त हुई थी. विभाग ने उसे साल 1996 में स्थाई भी कर दिया, लेकिन बीएसटीसी नहीं होने के कारण चयनित वेतनमान का लाभ नहीं दिया.

पढ़ें- जयपुरः धुलंडी के मौके पर आपस में भिड़े दो गुट, 9 घायल

याचिका में कहा गया कि उसके सेवाकाल को देखते हुए या तो उसे प्रशिक्षित माना जाए या उसे बीएसटीसी के ब्रिज कोर्स के लिए भेजा जाए. वहीं, राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि याचिकाकर्ता ना तो ट्रेनिंग कर रही है और ना ही उसके पास तय पात्रता है. ऐसे में उसे परिलाभ नहीं दिए जा सकते. इसके अलावा 10 साल की सेवा के बाद कर्मचारी को प्रशिक्षित मानने का प्रावधान भी अप्रैल 2002 में वापस लिया जा चुका है. दोनों पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने याचिकाकर्ता को ब्रिज कोर्स करवाकर समस्त परिलाभ देने को कहा है.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को कहा है कि वह पिछले 25 साल से शिक्षक पद पर कार्यरत याचिकाकर्ता को बीएसटीसी के लिए ब्रिज कोर्स करवाएं. अदालत ने कोर्स करने के बाद उसे नियुक्ति तिथि से नियमितीकरण के समस्त परिलाभ अदा करने को भी कहा है. न्यायाधीश एसपी शर्मा ने ये आदेश भगवती मीणा की याचिका पर दिए.

याचिका में अधिवक्ता डीडी खंडेलवाल ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता दिव्यांग कोटे में जुलाई 1994 में शिक्षक पद पर नियुक्त हुई थी. विभाग ने उसे साल 1996 में स्थाई भी कर दिया, लेकिन बीएसटीसी नहीं होने के कारण चयनित वेतनमान का लाभ नहीं दिया.

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याचिका में कहा गया कि उसके सेवाकाल को देखते हुए या तो उसे प्रशिक्षित माना जाए या उसे बीएसटीसी के ब्रिज कोर्स के लिए भेजा जाए. वहीं, राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि याचिकाकर्ता ना तो ट्रेनिंग कर रही है और ना ही उसके पास तय पात्रता है. ऐसे में उसे परिलाभ नहीं दिए जा सकते. इसके अलावा 10 साल की सेवा के बाद कर्मचारी को प्रशिक्षित मानने का प्रावधान भी अप्रैल 2002 में वापस लिया जा चुका है. दोनों पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने याचिकाकर्ता को ब्रिज कोर्स करवाकर समस्त परिलाभ देने को कहा है.

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