जयपुर. यूपीए सरकार के समय राजस्थान के नेता ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी में अहम पदों पर हुआ करते थे. चाहे मंत्री हों या राज्यों के प्रभारी, राजस्थान के नेता हमेशा अहम पदों पर रहे. एआईसीसी ने राजस्थान के प्रभाव का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कांग्रेस पार्टी के पहले संगठन महामंत्री बने. लेकिन जब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत राजस्थान विधानसभा चुनाव में व्यस्त हुए और उन्होंने संगठन महामंत्री का पद छोड़ा तो उस समय एआईसीसी में राजस्थान का कोई प्रतिनिधित्व नहीं रह गया था.
करीब 2 सालों तक यही स्थिति बनी रही. लेकिन अब एक बार फिर राजस्थान के नेता एआईसीसी में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं. राजस्थान के 7 नेता एआईसीसी में प्रतिनिधित्व रखते हैं जिनमें केवल राज्यों के प्रभारी या सह प्रभारी ही नहीं बल्कि कांग्रेस वर्किंग कमेटी सदस्य और कांग्रेस महासचिव भी राजस्थान के नेताओं को बनाया गया है.
पूर्व गृह राज्य मंत्री रहे भंवर जितेंद्र को कांग्रेस पार्टी में सबसे अहम पद दिया गया है. भंवर जितेंद्र सिंह न केवल वर्तमान एआईसीसी महासचिव हैं बल्कि उनके पास पहले उड़ीसा और अब असम के प्रभारी की जिम्मेदारी है. यही नहीं, भंवर जितेंद्र उत्तर प्रदेश के चुनाव में स्क्रीनिंग कमेटी के चेयरमैन भी बनाए गए हैं.
भंवर जितेंद्र के अलावा पूर्व सांसद रघुवीर मीणा कांग्रेस में सबसे मजबूत माने जाने वाली कांग्रेस वर्किंग कमेटी के सदस्य हैं. इसी तरह से हरीश चौधरी को पंजाब जैसे चुनावी राज्य की जिम्मेदारी दी गई है. तो रघु शर्मा भी मोदी के गढ़ गुजरात में कांग्रेस प्रभारी की भूमिका निभा रहे हैं. यही नहीं, एआईसीसी में राजस्थान के तीन सचिव भी बनाए गए, जिनमें जुबेर खान और धीरज गुर्जर प्रियंका गांधी के सहायक के तौर पर उत्तर प्रदेश के सह प्रभारी हैं. इसी तरीके से कुलदीप इंदौरा को मध्य प्रदेश का सहप्रभारी बनाया गया है.
इन 7 नेताओं को तो कांग्रेस पार्टी ने अहम जिम्मेदारी सौंप ही रखी है. इसके साथ ही राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी कांग्रेस के कोर ग्रुप कमेटी में हैं. तो वहीं गिरिजा व्यास कांग्रेस इलेक्शन कमेटी की सदस्य हैं. इसी तरह से मोहन प्रकाश को कांग्रेस का राष्ट्रीय प्रवक्ता बनाया गया है.