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SPECIAL : महामारी के दौर में शुरू हुई online क्लास, किताबें बेचने और छापने वालों पर छाया संकट

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Published : Sep 12, 2020, 12:47 PM IST

कोरोना की वजह से करीब 6 महीनों से सारे स्कूल और कॉलेज बंद पड़े है. हालांकि कई शिक्षण संस्था ऑनलाइन क्लासेज के माध्यम से पढ़ाई शुरू कर दी है, जिस वजह से किताब और कॉपी की विद्यार्थियों को जरूरत कम पड़ रही है. इसका सीधा असर पुस्तक व्यवसाय और प्रकाशन पर पड़ रहा है. जिस वजह से बुक डिपो संचालकों और पब्लिशर्स का पूरा धंधा चौपट हो गया है. ईटीवी भारत के माध्यम से अपनी समस्याओं को साझा किया पुस्तक व्यवसायियों ने.

jaipur book publisher, जयपुर पुस्तक प्रकाशक
ऑनलाइन क्लास की वजह से किताबों का व्यवसाय मंदा पड़ा

जयपुर. राजधानी का चौड़ा रास्ता, बरकत नगर ये वो बाजार है, जहां मार्च के बाद से स्कूल-कॉलेज के छात्रों और विभिन्न प्रतियोगिता परीक्षा के अभ्यर्थियों का मेला सा लगा रहता था, लेकिन इस बार कोरोना संक्रमण की वजह से 22 मार्च से लगे लॉकडाउन का असर शैक्षिक गतिविधियों के साथ-साथ किताबों के व्यवसाय पर भी पड़ा.

जिस वक्त इन दुकानों पर बड़ी संख्या में किताबों की बिक्री हुआ करती थी, उस दौरान यहां ताले जड़े रहे. उसके बाद जुलाई में स्कूल-कॉलेज में शुरू होने वाला नया सत्र भी कोरोना वायरस की भेंट चढ़ गया.

कॉपी और किताबों की दुकान पर कोरोना का असर

पढ़ेंः SPECIAL : दो टेक्नीशियन के भरोसे कोटा में COVID-19 से रिकवर मरीजों का प्लाज्मा डोनेशन, फिर भी प्रदेश में कायम की बादशाहत

हालांकि छात्रों ने पढ़ाई का नया माध्यम खोजते हुए ऑनलाइन एजुकेशन शुरू कर दी, लेकिन इसका सीधा असर उन बुक डिपो संचालकों और पब्लिशर्स पर पड़ा जिनकी लाखों किताबें दुकानों और फैक्ट्रीज में धूल फांक रही हैं. बुक विक्रेता की माने तो मार्च के बाद पीक टाइम रहता है. उस वक्त सरकार ने लॉकडाउन लगा दिया.

jaipur book publisher, जयपुर पुस्तक प्रकाशक
किताबें बेचने और छापने वालों पर संकट

उसके बाद जुलाई में स्कूल-कॉलेज खुलने से दोबारा सीजन शुरू होता है, लेकिन शिक्षण संस्थानों के अब तक बंद रहने से पुस्तक व्यवसाय पूरी तरह खत्म हो गया है. प्रकाशक, प्रिंटिंग, बाइंडर और कागज वालों का काम नाम मात्र का रह गया है.

jaipur book publisher, जयपुर पुस्तक प्रकाशक
लॉकडाउन का बुरा प्रभाव पड़ा किताब व्यवसाय पर

पढ़ेंः SPECIAL: भीलवाड़ा वासियों के लिए हरनी महादेव की पहाड़ी बनी 'प्राणवायु'

लॉकडाउन से पहले महीने में तकरीबन 5 से 6 लाख रुपए का व्यवसाय करने वाले बुक पब्लिशर भी सिर पकड़े बैठे हैं. हालात ये हैं कि कर्मचारियों को वेतन देने के लिए भी जेब से खर्च करना पड़ रहा है. कुछ पब्लिशर की मशीनें लोन पर भी हैं, उसे चुकाने के लिए भी बगले झांकनी पड़ रही हैं.

jaipur book publisher, जयपुर पुस्तक प्रकाशक
ऑनलाइन क्सास की वजह से किताबों की बिक्री कम

बुक पब्लिशर की माने तो काम धंधा बिल्कुल ठंडे पड़े हैं. ऊपर से बिजली के बड़े-बड़े बिल परेशानी को दोगुना कर रहे हैं. पहले अप्रैल में किताबों की दुकानों पर मिठाई की दुकान से ज्यादा भीड़ रहती थी, अब हालात ये हैं कि किताब लेने कोई पहुंच नहीं रहा. क्योंकि सभी शिक्षण संस्थान ऑनलाइन कक्षाएं संचालित कर रहे हैं.

jaipur book publisher, जयपुर पुस्तक प्रकाशक
दुकानों में धूल फांक रही किताबें

बहरहाल, डिजिटल और ऑनलाइन क्लासेज के दौर में अब किताबों का बाजार बीता दौर सा प्रतीत हो रहा है, हालांकि स्थिति सामान्य होने पर किताबों की मांग दोबारा बढ़ेगी, लेकिन फिलहाल कोरोना ने किताबों के व्यवसाय और इससे जुड़े लाखों लोगों की आमदनी पर सीधा असर डाला है.

जयपुर. राजधानी का चौड़ा रास्ता, बरकत नगर ये वो बाजार है, जहां मार्च के बाद से स्कूल-कॉलेज के छात्रों और विभिन्न प्रतियोगिता परीक्षा के अभ्यर्थियों का मेला सा लगा रहता था, लेकिन इस बार कोरोना संक्रमण की वजह से 22 मार्च से लगे लॉकडाउन का असर शैक्षिक गतिविधियों के साथ-साथ किताबों के व्यवसाय पर भी पड़ा.

जिस वक्त इन दुकानों पर बड़ी संख्या में किताबों की बिक्री हुआ करती थी, उस दौरान यहां ताले जड़े रहे. उसके बाद जुलाई में स्कूल-कॉलेज में शुरू होने वाला नया सत्र भी कोरोना वायरस की भेंट चढ़ गया.

कॉपी और किताबों की दुकान पर कोरोना का असर

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हालांकि छात्रों ने पढ़ाई का नया माध्यम खोजते हुए ऑनलाइन एजुकेशन शुरू कर दी, लेकिन इसका सीधा असर उन बुक डिपो संचालकों और पब्लिशर्स पर पड़ा जिनकी लाखों किताबें दुकानों और फैक्ट्रीज में धूल फांक रही हैं. बुक विक्रेता की माने तो मार्च के बाद पीक टाइम रहता है. उस वक्त सरकार ने लॉकडाउन लगा दिया.

jaipur book publisher, जयपुर पुस्तक प्रकाशक
किताबें बेचने और छापने वालों पर संकट

उसके बाद जुलाई में स्कूल-कॉलेज खुलने से दोबारा सीजन शुरू होता है, लेकिन शिक्षण संस्थानों के अब तक बंद रहने से पुस्तक व्यवसाय पूरी तरह खत्म हो गया है. प्रकाशक, प्रिंटिंग, बाइंडर और कागज वालों का काम नाम मात्र का रह गया है.

jaipur book publisher, जयपुर पुस्तक प्रकाशक
लॉकडाउन का बुरा प्रभाव पड़ा किताब व्यवसाय पर

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लॉकडाउन से पहले महीने में तकरीबन 5 से 6 लाख रुपए का व्यवसाय करने वाले बुक पब्लिशर भी सिर पकड़े बैठे हैं. हालात ये हैं कि कर्मचारियों को वेतन देने के लिए भी जेब से खर्च करना पड़ रहा है. कुछ पब्लिशर की मशीनें लोन पर भी हैं, उसे चुकाने के लिए भी बगले झांकनी पड़ रही हैं.

jaipur book publisher, जयपुर पुस्तक प्रकाशक
ऑनलाइन क्सास की वजह से किताबों की बिक्री कम

बुक पब्लिशर की माने तो काम धंधा बिल्कुल ठंडे पड़े हैं. ऊपर से बिजली के बड़े-बड़े बिल परेशानी को दोगुना कर रहे हैं. पहले अप्रैल में किताबों की दुकानों पर मिठाई की दुकान से ज्यादा भीड़ रहती थी, अब हालात ये हैं कि किताब लेने कोई पहुंच नहीं रहा. क्योंकि सभी शिक्षण संस्थान ऑनलाइन कक्षाएं संचालित कर रहे हैं.

jaipur book publisher, जयपुर पुस्तक प्रकाशक
दुकानों में धूल फांक रही किताबें

बहरहाल, डिजिटल और ऑनलाइन क्लासेज के दौर में अब किताबों का बाजार बीता दौर सा प्रतीत हो रहा है, हालांकि स्थिति सामान्य होने पर किताबों की मांग दोबारा बढ़ेगी, लेकिन फिलहाल कोरोना ने किताबों के व्यवसाय और इससे जुड़े लाखों लोगों की आमदनी पर सीधा असर डाला है.

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