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Supreme Court Order: केन्द्रीय सेवाओं में राज्य सरकार को सेवाएं देने वालों को ही मिलेंगे बोनस अंक

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court Order) ने केन्द्रीय सेवाओं में राज्य सरकार को सेवाएं देने वाले कर्मचारियों को ही बोनस अंक दिए जाने की बात कही है. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अब केंद्रीय योजनाओं में दूसरे राज्यों को सेवाएं देने वालों को राजस्थान में बोनस अंक का लाभ नहीं मिल सकेगा.

Supreme Court Order
सुप्रीम कोर्ट का आदेश
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Published : Feb 17, 2022, 9:46 PM IST

जयपुर. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court Order) ने राज्य सरकार के उस फैसले को सही माना है जिसमें सरकार ने केंद्रीय योजनाओं में राज्य सरकार को सेवाएं देने वालों को ही बोनस अंक का हकदार माना था. जस्टिस एल नागेश्वर राव और जस्टिस बीआर गवई की खंडपीठ ने यह आदेश सत्यदेव की एसएलपी पर दिए. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अब केंद्रीय योजनाओं में दूसरे राज्यों को सेवाएं देने वालों को राजस्थान में बोनस अंक का लाभ नहीं मिल सकेगा.

एसएलपी में कहा गया था कि एनआरएचएम सहित अन्य केन्द्रीय योजनाओं में राजस्थान सरकार को सेवाएं देने वालों को ही अनुभव के आधार पर बोनस अंक दिए जा रहे हैं. ऐसा करना दूसरे राज्यों को इन योजनाओं में सेवाएं देने वालों के साथ भेदभाव करने वाला है. जबकि संविधान के प्रावधानों के अनुसार ऐसा भेदभाव नहीं किया जा सकता.

पढ़ें. Rajasthan Highcourt Order: एकल पट्टा प्रकरण में प्रोटेस्ट पिटिशन पर सरकारी वकील को सुनकर करें फैसला

इसके जवाब में राज्य सरकार के एएजी व सीनियर एडवोकेट मनीष सिंघवी ने कहा कि राजस्थान सरकार एनआरएचएम, मनरेगा सहित अन्य केन्द्रीय योजनाओं में सेवाएं देने वालों को बोनस अंक दे रही है, जो कि भेदभाव नहीं है. इसलिए राज्य सरकार के इस फैसले पर कोर्ट रोक नहीं लगा सकती. जिस पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार के फैसले को सही माना है.

जयपुर. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court Order) ने राज्य सरकार के उस फैसले को सही माना है जिसमें सरकार ने केंद्रीय योजनाओं में राज्य सरकार को सेवाएं देने वालों को ही बोनस अंक का हकदार माना था. जस्टिस एल नागेश्वर राव और जस्टिस बीआर गवई की खंडपीठ ने यह आदेश सत्यदेव की एसएलपी पर दिए. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अब केंद्रीय योजनाओं में दूसरे राज्यों को सेवाएं देने वालों को राजस्थान में बोनस अंक का लाभ नहीं मिल सकेगा.

एसएलपी में कहा गया था कि एनआरएचएम सहित अन्य केन्द्रीय योजनाओं में राजस्थान सरकार को सेवाएं देने वालों को ही अनुभव के आधार पर बोनस अंक दिए जा रहे हैं. ऐसा करना दूसरे राज्यों को इन योजनाओं में सेवाएं देने वालों के साथ भेदभाव करने वाला है. जबकि संविधान के प्रावधानों के अनुसार ऐसा भेदभाव नहीं किया जा सकता.

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इसके जवाब में राज्य सरकार के एएजी व सीनियर एडवोकेट मनीष सिंघवी ने कहा कि राजस्थान सरकार एनआरएचएम, मनरेगा सहित अन्य केन्द्रीय योजनाओं में सेवाएं देने वालों को बोनस अंक दे रही है, जो कि भेदभाव नहीं है. इसलिए राज्य सरकार के इस फैसले पर कोर्ट रोक नहीं लगा सकती. जिस पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार के फैसले को सही माना है.

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