जयपुर. प्रदेश सरकार अपने 3 साल के कार्यकाल तो बेमिसाल बता रही हैं लेकिन राज्य में महिलाओं की सुरक्षा और न्याय के प्रति गहलोत सरकार की गंभीरता पर सवाल होना शुरू हो गए हैं. सवाल उठना लाजमी भी है क्योंकि अपने 3 साल के कार्यकाल में प्रदेश सरकार राज्य महिला आयोग अध्यक्ष का पद अब तक नहीं भर पाई है. जिसके चलते आयोग पूरी तरह अधिकारियों के भरोसे चल रहा है. आयोग की पूर्व अध्यक्ष सुमन शर्मा (Suman Sharma target Gehlot) की माने तो सरकार यदि गंभीर होती तो ये महत्वपूर्ण पद को बहुत पहले ही भर दिया जाता.
20 अक्टूबर 2018 से खाली चल रहा है आयोग अध्यक्ष का पद
राज्य महिला आयोग अध्यक्ष (Rajasthan State Women Commission Chairman) पद अक्टूबर 2018 से खाली चल रहा है. अंतिम अध्यक्ष के रूप में भाजपा नेत्री सुमन शर्मा ने अपना कार्यकाल पूरा किया था लेकिन उसके बाद मौजूदा सरकार ने महिला आयोग अध्यक्ष पद और आयोग के सदस्यों की नियुक्ति नहीं की. जिसके चलते प्रशासनिक अधिकारियों के भरोसे ही यह आयोग चल रहा है. हालांकि, इस बीच कई बार चर्चा चली कि जल्द ही आयोग को नया अध्यक्ष मिलने वाला है लेकिन ऐसा नहीं हुआ. ना केवल महिला आयोग बल्कि प्रदेश में ओबीसी, एसटी, एससी सहित कई आयोग और बोर्ड अध्यक्ष के पद खाली चल रहे हैं. सरकार ने केवल राज्य मानव अधिकार आयोग और बाल संरक्षण आयोग अध्यक्ष पद पर नियुक्ति की है.
महिला आयोग को कमजोर कर दिया गहलोत सरकार ने
सुमन शर्मा ने मौजूदा आयोग की स्थिति को बेहद खराब बताया है. उसके जिम्मेदार प्रदेश की गहलोत सरकार को ठहराया है. शर्मा के अनुसार मौजूदा सरकार ने महिला आयोग को कमजोर करने का काम किया है. शर्मा ने कहा जब कांग्रेस सरकार सत्ता में आई तो महिलाओं को मजबूती देने सुरक्षा देने की लंबी चौड़ी बात करें लेकिन वर्तमान में ऐसा कुछ नहीं हो रहा.
उन्होंने कहा कि यदि महिला आयोग अध्यक्ष और सदस्य के पद पर नियुक्ति हो जाती तो प्रदेश की वह महिलाएं जिन्हें थानों में न्याय नहीं मिल पा रहा. वह अपनी गुहार यहां लगा सकती थी. आयोग के जरिए न्याय ले सकती थी लेकिन सरकार इस मामले में संवेदनशील नहीं रहे यदि मुख्यमंत्री संवेदनशील है तो उन्हें आयोग अध्यक्ष और सदस्यों के पद पर नियुक्ति करना चाहिए.
क्या कांग्रेस के पास नहीं उपयुक्त महिला नेत्री, कांग्रेस महिला नेत्री भी नहीं उठाती आवाज
सुमन शर्मा ने कहा कि 3 साल गुजर जाने के बावजूद महिला आयोग अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति ना करने के पीछे एक बड़ा कारण यह भी हो सकता है कि कांग्रेस के पांच उपयोग महिला नेत्री इस पद के लिए हो ही नहीं. दूसरा बड़ा सवाल यह है कि कांग्रेस से जुड़ी महिला नेताओं ने अब तक अपनी सरकार पर इस बारे में दबाव क्यों नहीं बनाया कि वह कम से कम महिला आयोग अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्तियां तो करें. शर्मा के माने ना तो सरकार और कांग्रेस नेत्रियों को आयोग की परवाह नहीं है.
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अपनी कुर्सी बचाने में व्यस्त है सीएम गहलोत, दूसरे को कहां कुर्सी देंगे
सुमन शर्मा के अनुसार मुख्यमंत्री अशोक गहलोत महिला आयोग अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति अपना कार्यकाल 3 साल का पूरा होने के बाद ही करते हैं. जिसके चलते जो भी आयोग अध्यक्ष बनाया जाता है वह पूरे 3 साल तक ढंग से अपना काम नहीं कर पाता. शर्मा ने कहा कि इस बार भी अशोक गहलोत पुराना इतिहास दोहराएंगे. इस दौरान सुमन शर्मा ने लाड कुमारी जैन का उदाहरण दिया. शर्मा ने कहा कि मुख्यमंत्री 3 साल तक खुद अपनी कुर्सी बचाने में ही व्यस्त रहे, ऐसे में वह दूसरे को कहां कुर्सी देंगे.