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Special: परोपकारी पुलिस वाला...कानून-व्यवस्था के साथ-साथ मानवता के हित में किए सैकड़ों कार्य - Jaipur News

सब इंस्पेक्टर सुंदर लाल आज पूरे जयपुर के चहेते बन चुके हैं. सुंदर लाल ने वैश्विक महामारी कोरोना काल में कानून-व्यवस्था के साथ-साथ मानवता के हित में सैकड़ों कार्य किए हैं. पढ़ें पूरी खबर...

Sub Inspector Sundar Lal,  Global pandemic corona virus
सब इंस्पेक्टर सुंदर लाल
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Published : Oct 4, 2020, 4:58 PM IST

जयपुर. प्रदेश के सबसे बड़े कोविड डेडिकेटेड आरयूएचएस अस्पताल में 5 महीने तक लगातार ड्यूटी करने वाले सब इंस्पेक्टर सुंदर लाल आज पूरे जयपुर के चहेते बन चुके हैं. पुलिस का काम कानून- व्यवस्था को बनाए रखने का होता है, लेकिन वैश्विक महामारी कोरोना काल में राजस्थान पुलिस ने कानून-व्यवस्था के साथ-साथ मानवता के हित में सैकड़ों कार्य किए.

सब इंस्पेक्टर सुंदर लाल से बातचीत-1

जब कोरोना का दौर शुरू हुआ और अस्पताल में कोरोना संक्रमित मरीजों की तादाद बढ़ने लगी तो चिकित्सा कर्मियों के साथ ही पुलिसकर्मियों की ड्यूटी भी अस्पताल में लगाई गई. इस दौरान पुलिसकर्मियों ने मानवता के हित में अनेक उदाहरण पेश किए.

पढ़ें- Special: कोविड अस्पताल में ड्यूटी कर रहे SI सुंदरलाल ने लिख डाली ये किताब...

जयपुर के प्रतापनगर थाने में तैनात सब इंस्पेक्टर सुंदर लाल को 10 अप्रैल को एक आदेश मिला, जिसमें उन्हें उनकी टीम के साथ राजस्थान के सबसे बड़े कोविड डेडिकेटेड आरयूएचएस अस्पताल में ड्यूटी करने को जाने के लिए कहा गया. सब इस्पेक्टर सुंदरलाल को उनकी टीम के साथ सिर्फ 14 दिन के लिए भेजा गया था, लेकिन यह ड्यूटी 5 महीने लंबी हो गई.

इन 5 महीनों के दौरान सब इंस्पेक्टर सुंदर लाल ने कभी भी खुद को और उनकी टीम को कमजोर महसूस नहीं होने दिया. उन्होंने ना केवल कोरोना संक्रमित मरीजों की हौसला अफजाई करने का काम किया बल्कि चिकित्साकर्मियों को भी विभिन्न कविताओं और गीतों के माध्यम से लगातार प्रेरित किया.

सब इंस्पेक्टर सुंदर लाल से बातचीत-2

रात को कार में सोते और फिर सुबह उठकर ड्यूटी में जुट जाते...

सब इंस्पेक्टर सुंदरलाल ने ईटीवी भारत से खास बातचीत के दौरान बताया कि जब उनकी ड्यूटी कोविड डेडिकेटेड आरयूएचएस अस्पताल में लगाई गई तो मन में कोरोना को लेकर एक डर उत्पन्न हुई. लेकिन उन्होंने खुद को और उनकी टीम को इसके लिए मजबूत किया. ड्यूटी के शुरुआती दिनों में अस्पताल में रहने की कोई व्यवस्था नहीं होने पर रात में अपनी कार में ही सोते और फिर सुबह नहा धोकर फिर से अपनी ड्यूटी में जुट जाते.

धीरे-धीरे उन्होंने अस्पताल प्रशासन के साथ नजदीकियां बढ़ाई और फिर अस्पताल में ही रहने के लिए एक कमरा खुलवा लिया, जिसमें वह अपनी टीम के साथ रह सके. ड्यूटी के शुरुआती 15 दिन अंदरूनी तौर पर कमजोर करने वाले थे क्योंकि हर कोई कोरोना से भयभीत था. वहीं, हर कोई पुलिस से ही आस लगाए बैठा था जिसके चलते सब इस्पेक्टर सुंदर लाल ने खुद को और अपनी टीम को मजबूत किया.

पढ़ें- SPECIAL : हुनरमंद हाथों से कोरोना ने छीना काम, मूर्तिकार पुश्तैनी काम को छोड़ने को मजबूर

इसके बाद उन्होंने धीरे-धीरे मरीजों से बातचीत करना शुरू किया और उनकी समस्याएं जानना शुरू किया. वहीं चिकित्सकों से बेहतरीन तालमेल बिठाते हुए उन्होंने मरीजों के मन से कोरोना का खौफ कम करने का काम किया.

अपने खर्चे से मरीजों को भिजवाया घर...

सब इस्पेक्टर सुंदर लाल ने बताया कि कोरोना संक्रमित जो भी मरीज इलाज के बाद स्वस्थ हो गए उन्हें उनके घर तक भिजवाने की जिम्मेदारी भी पुलिस ने उठाई. डिस्चार्ज होने वाली लोकल व्यक्ति को एंबुलेंस के जरिए घर भिजवाया जाता, तो वहीं जो दूसरे शहर के मरीज से उन्हें प्राइवेट एंबुलेंस करके उनके घर तक भिजवाने की जिम्मेदारी पुलिस ने उठाई.

लॉकडाउन के कारण संसाधनों का अभाव था और यदि मरीज खर्चा उठाने में सक्षम होता तो उसे उसके खर्चे पर और यदि उसके पास खर्चा नहीं होता तो फिर पुलिसकर्मी खुद अपने खर्चे पर उस मरीज को उसके घर तक पहुंचाने की व्यवस्था करते.

430 कोरोना संक्रमित मृतकों का किया अंतिम संस्कार...

सब इंस्पेक्टर सुंदर लाल ने बताया कि कोरोना के कारण पहले यह गाइडलाइन थी कि कोरोना संक्रमित मरीजों की मौत होने पर उनके शव को परिजनों को ना देकर प्रशासन की ओर से ही अंतिम संस्कार किया जाए. वहीं, परिजनों में भी काफी खौफ देखने को मिला और वह खुद भी कोरोना संक्रमित मृतक का शव लेने के लिए राजी नहीं थे.

लोगों में यह डर था कि यदि वह डेड बॉडी लेंगे तो खुद भी संक्रमित हो जाएंगे, जिसके चलते अंतिम संस्कार में आने से भी लोग डरते थे. इसके कारण सब इस्पेक्टर सुंदर लाल ने अपने अन्य साथियों के साथ मिलकर 430 कोरोना संक्रमित मृतकों का अंतिम संस्कार कराया.

टीम के साथ लिया मानवता निभाने का प्रण...

सब इंस्पेक्टर सुंदर लाल ने बताया कि कोविड डेडिकेटेड आरयूएचएस अस्पताल में ड्यूटी के दौरान उन्होंने अपनी टीम के साथ मिलकर मानवता को निभाने का प्रण लिया. अस्पताल में डॉक्टर, चिकित्सा कर्मी, मरीज या उनके परिजनों को किसी भी तरह की कोई समस्या रहती तो सब इंस्पेक्टर सुंदर लाल उस समस्या का समाधान करने के लिए फ्रंट लाइन पर अपनी टीम के साथ तैनात रहते.

पढ़ें- SPECIAL: जयपुर के मूर्तिकार ने मूर्ति के जरिए की हाथरस गैंगरेप प्रकरण के आरोपियों को फांसी पर लटकाने की मांग

अपने इसी प्रण के चलते सब इंस्पेक्टर सुंदर लाल अपनी शादी की सालगिरह पर भी घर नहीं गए. उन्होंने एक अनोखे अंदाज में अपनी पत्नी सब इस्पेक्टर मंजू जो की जालूपुरा थाने में तैनात हैं उन्हें गिलोय, एलोवेरा जूस, मास्क, सैनिटाइजर गिफ्ट में भेज कर शादी की सालगिरह को सेलिब्रेट किया.

कोरोना को हल्के में लेना रहेगा घातक...

सब इंस्पेक्टर सुंदर लाल ने कहा कि कोरोना को हल्के में लेना बहुत बड़ी भूल होगी. अस्पताल में ड्यूटी के दौरान उन्होंने लोगों को कोरोना से तड़पते, चीखते-पुकारते और दम तोड़ते देखा है. उनका कहना है कि यदि कोरोना को लेकर लोग लापरवाही बरतेंगे तो स्थितियां बेहद घातक होंगी. उन्होंने इस पर लोगों को जागरूक करने के लिए कुछ पंक्तियां भी लिखी हैं-

'हे मानव अब तू चेत, कोरोना महामारी बड़ी विकराल।
मरने के बाद मोक्ष नहीं संक्रमित हुए तो जीवन बेहाल।।

कोई पास नहीं आएगा, तेरी गलियों में कर्फ्यू लग जाएगा।
संभलकर जीवन जी ले बंधु, वरना पछताना पड़ जाएगा।।'

जयपुर. प्रदेश के सबसे बड़े कोविड डेडिकेटेड आरयूएचएस अस्पताल में 5 महीने तक लगातार ड्यूटी करने वाले सब इंस्पेक्टर सुंदर लाल आज पूरे जयपुर के चहेते बन चुके हैं. पुलिस का काम कानून- व्यवस्था को बनाए रखने का होता है, लेकिन वैश्विक महामारी कोरोना काल में राजस्थान पुलिस ने कानून-व्यवस्था के साथ-साथ मानवता के हित में सैकड़ों कार्य किए.

सब इंस्पेक्टर सुंदर लाल से बातचीत-1

जब कोरोना का दौर शुरू हुआ और अस्पताल में कोरोना संक्रमित मरीजों की तादाद बढ़ने लगी तो चिकित्सा कर्मियों के साथ ही पुलिसकर्मियों की ड्यूटी भी अस्पताल में लगाई गई. इस दौरान पुलिसकर्मियों ने मानवता के हित में अनेक उदाहरण पेश किए.

पढ़ें- Special: कोविड अस्पताल में ड्यूटी कर रहे SI सुंदरलाल ने लिख डाली ये किताब...

जयपुर के प्रतापनगर थाने में तैनात सब इंस्पेक्टर सुंदर लाल को 10 अप्रैल को एक आदेश मिला, जिसमें उन्हें उनकी टीम के साथ राजस्थान के सबसे बड़े कोविड डेडिकेटेड आरयूएचएस अस्पताल में ड्यूटी करने को जाने के लिए कहा गया. सब इस्पेक्टर सुंदरलाल को उनकी टीम के साथ सिर्फ 14 दिन के लिए भेजा गया था, लेकिन यह ड्यूटी 5 महीने लंबी हो गई.

इन 5 महीनों के दौरान सब इंस्पेक्टर सुंदर लाल ने कभी भी खुद को और उनकी टीम को कमजोर महसूस नहीं होने दिया. उन्होंने ना केवल कोरोना संक्रमित मरीजों की हौसला अफजाई करने का काम किया बल्कि चिकित्साकर्मियों को भी विभिन्न कविताओं और गीतों के माध्यम से लगातार प्रेरित किया.

सब इंस्पेक्टर सुंदर लाल से बातचीत-2

रात को कार में सोते और फिर सुबह उठकर ड्यूटी में जुट जाते...

सब इंस्पेक्टर सुंदरलाल ने ईटीवी भारत से खास बातचीत के दौरान बताया कि जब उनकी ड्यूटी कोविड डेडिकेटेड आरयूएचएस अस्पताल में लगाई गई तो मन में कोरोना को लेकर एक डर उत्पन्न हुई. लेकिन उन्होंने खुद को और उनकी टीम को इसके लिए मजबूत किया. ड्यूटी के शुरुआती दिनों में अस्पताल में रहने की कोई व्यवस्था नहीं होने पर रात में अपनी कार में ही सोते और फिर सुबह नहा धोकर फिर से अपनी ड्यूटी में जुट जाते.

धीरे-धीरे उन्होंने अस्पताल प्रशासन के साथ नजदीकियां बढ़ाई और फिर अस्पताल में ही रहने के लिए एक कमरा खुलवा लिया, जिसमें वह अपनी टीम के साथ रह सके. ड्यूटी के शुरुआती 15 दिन अंदरूनी तौर पर कमजोर करने वाले थे क्योंकि हर कोई कोरोना से भयभीत था. वहीं, हर कोई पुलिस से ही आस लगाए बैठा था जिसके चलते सब इस्पेक्टर सुंदर लाल ने खुद को और अपनी टीम को मजबूत किया.

पढ़ें- SPECIAL : हुनरमंद हाथों से कोरोना ने छीना काम, मूर्तिकार पुश्तैनी काम को छोड़ने को मजबूर

इसके बाद उन्होंने धीरे-धीरे मरीजों से बातचीत करना शुरू किया और उनकी समस्याएं जानना शुरू किया. वहीं चिकित्सकों से बेहतरीन तालमेल बिठाते हुए उन्होंने मरीजों के मन से कोरोना का खौफ कम करने का काम किया.

अपने खर्चे से मरीजों को भिजवाया घर...

सब इस्पेक्टर सुंदर लाल ने बताया कि कोरोना संक्रमित जो भी मरीज इलाज के बाद स्वस्थ हो गए उन्हें उनके घर तक भिजवाने की जिम्मेदारी भी पुलिस ने उठाई. डिस्चार्ज होने वाली लोकल व्यक्ति को एंबुलेंस के जरिए घर भिजवाया जाता, तो वहीं जो दूसरे शहर के मरीज से उन्हें प्राइवेट एंबुलेंस करके उनके घर तक भिजवाने की जिम्मेदारी पुलिस ने उठाई.

लॉकडाउन के कारण संसाधनों का अभाव था और यदि मरीज खर्चा उठाने में सक्षम होता तो उसे उसके खर्चे पर और यदि उसके पास खर्चा नहीं होता तो फिर पुलिसकर्मी खुद अपने खर्चे पर उस मरीज को उसके घर तक पहुंचाने की व्यवस्था करते.

430 कोरोना संक्रमित मृतकों का किया अंतिम संस्कार...

सब इंस्पेक्टर सुंदर लाल ने बताया कि कोरोना के कारण पहले यह गाइडलाइन थी कि कोरोना संक्रमित मरीजों की मौत होने पर उनके शव को परिजनों को ना देकर प्रशासन की ओर से ही अंतिम संस्कार किया जाए. वहीं, परिजनों में भी काफी खौफ देखने को मिला और वह खुद भी कोरोना संक्रमित मृतक का शव लेने के लिए राजी नहीं थे.

लोगों में यह डर था कि यदि वह डेड बॉडी लेंगे तो खुद भी संक्रमित हो जाएंगे, जिसके चलते अंतिम संस्कार में आने से भी लोग डरते थे. इसके कारण सब इस्पेक्टर सुंदर लाल ने अपने अन्य साथियों के साथ मिलकर 430 कोरोना संक्रमित मृतकों का अंतिम संस्कार कराया.

टीम के साथ लिया मानवता निभाने का प्रण...

सब इंस्पेक्टर सुंदर लाल ने बताया कि कोविड डेडिकेटेड आरयूएचएस अस्पताल में ड्यूटी के दौरान उन्होंने अपनी टीम के साथ मिलकर मानवता को निभाने का प्रण लिया. अस्पताल में डॉक्टर, चिकित्सा कर्मी, मरीज या उनके परिजनों को किसी भी तरह की कोई समस्या रहती तो सब इंस्पेक्टर सुंदर लाल उस समस्या का समाधान करने के लिए फ्रंट लाइन पर अपनी टीम के साथ तैनात रहते.

पढ़ें- SPECIAL: जयपुर के मूर्तिकार ने मूर्ति के जरिए की हाथरस गैंगरेप प्रकरण के आरोपियों को फांसी पर लटकाने की मांग

अपने इसी प्रण के चलते सब इंस्पेक्टर सुंदर लाल अपनी शादी की सालगिरह पर भी घर नहीं गए. उन्होंने एक अनोखे अंदाज में अपनी पत्नी सब इस्पेक्टर मंजू जो की जालूपुरा थाने में तैनात हैं उन्हें गिलोय, एलोवेरा जूस, मास्क, सैनिटाइजर गिफ्ट में भेज कर शादी की सालगिरह को सेलिब्रेट किया.

कोरोना को हल्के में लेना रहेगा घातक...

सब इंस्पेक्टर सुंदर लाल ने कहा कि कोरोना को हल्के में लेना बहुत बड़ी भूल होगी. अस्पताल में ड्यूटी के दौरान उन्होंने लोगों को कोरोना से तड़पते, चीखते-पुकारते और दम तोड़ते देखा है. उनका कहना है कि यदि कोरोना को लेकर लोग लापरवाही बरतेंगे तो स्थितियां बेहद घातक होंगी. उन्होंने इस पर लोगों को जागरूक करने के लिए कुछ पंक्तियां भी लिखी हैं-

'हे मानव अब तू चेत, कोरोना महामारी बड़ी विकराल।
मरने के बाद मोक्ष नहीं संक्रमित हुए तो जीवन बेहाल।।

कोई पास नहीं आएगा, तेरी गलियों में कर्फ्यू लग जाएगा।
संभलकर जीवन जी ले बंधु, वरना पछताना पड़ जाएगा।।'

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