जयपुर. प्रधानमंत्री स्वनिधि योजना के तहत शहर के 5 हजार स्ट्रीट वेंडर्स ने ऋण लेने के लिए आवेदन किया था, लेकिन अब तक महज 170 आवेदकों को ही ऋण मिल पाया है. राजधानी में थड़ी-ठेला लगाने वाले 12 हजार 600 स्ट्रीट वेंडर्स को भले ही नगर निगम ने लोन देने के लिए चिन्हित कर लिया है, लेकिन अफसरों की सुस्ती और कागजी खानापूर्ति के चलते इन स्ट्रीट वेंडर्स तक सरकारी मदद नहीं पहुंच पा रही.
बीते दिनों प्रदेश के मुखिया अशोक गहलोत ने स्वायत्त शासन विभाग की बैठक में अधिकारियों को अभियान चलाकर स्ट्रीट वेंडर्स को लोन देने के निर्देश दिए थे. साथ ही उन्होंने ये भी स्पष्ट किया था कि थड़ी-ठेला वालों को आजीविका के लिए ऋण लेने में दिक्कत नहीं आए. जबकि प्रशासनिक महकमे ने इन स्ट्रीट वेंडर्स के लोन को कागजी खानापूर्ति में उलझा कर रख दिया है. प्रधानमंत्री स्वनिधि योजना के तहत करीब 5 हजार स्ट्रीट वेंडर्स ने दस-दस हजार रुपए के ऋण के लिए आवेदन किया, लेकिन महज 170 लोगों को ही ऋण मिल पाया है. हैरानी की बात ये है कि निगम के अधिकारी भी इस लेटलतीफी से वाकिफ हैं, लेकिन सिर्फ मीटिंग कर इतिश्री कर ली गई.
ग्रेटर नगर निगम कमिश्नर दिनेश यादव ने बताया कि, अब तक 12 हजार 600 स्ट्रीट वेंडर्स को सर्वे के माध्यम से चिन्हित किया गया. इनमें से लगभग 5 हजार स्ट्रीट वेंडर्स ने लोन के लिए आवेदन भी किया. लेकिन लोन से संबंधित कार्रवाई बैंक के स्तर पर की जानी है. हालांकि, उन्होंने माना कि लोन के स्तर पर ढील है. इसके लिए बैंक और स्ट्रीट वेंडर्स के लिए बनी कमेटी की बैठक भी आयोजित की गई थी. उसमें निर्देश दिए गए थे कि जोन स्तर पर जो भी कैंप आयोजित किए जा रहे हैं, उनको गति दी जाए. उन्होंने कहा कि, प्रयास किया जा रहा है कि अधिक से अधिक स्ट्रीट वेंडर्स को लोन दिलाया जा सके.
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निगम प्रशासन के अलावा शहर में स्ट्रीट वेंडर्स को चिन्हित करने वाली इन्फोमैप ठेका फर्म की भी बड़ी लापरवाही रही. इस कंपनी को 2018 में काम दिया गया था. लेकिन कार्य आदेश जुलाई 2019 में दिया गया. हालांकि साल भर बीत जाने के बाद भी अब तक 12 हजार 600 स्ट्रीट वेंडर्स में से महज 2 हजार 500 को ही पहचान पत्र बांटे जा सके हैं. लेकिन निगम कमिश्नर ने दावा किया कि ये काम इसी महीने के अंत तक पूरा कर लिया जाएगा.
बहरहाल, कोरोना संक्रमण के संकट में गरीब परिवारों को अपना व्यवसाय दोबारा जमाने के लिए सरकार ने ऋण की सुविधा तो उपलब्ध कराई. लेकिन अधिकारियों ने हजारों आवेदकों के आवेदनों में गलतियों का हवाला देकर, अब तक उन्हें इस मदद से वंचित रखा हुआ है.