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Lockdown में बिगड़ा रसद विभाग का गणित, खाद्य सुरक्षा योजना में नए नाम जोड़ने पर रोक

लॉकडाउन के बीच रसद विभाग ने राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना में नए नाम जोड़ने पर रोक लगा दिया है. राजस्थान में केंद्र सरकार की ओर से खाद्य सुरक्षा योजना के तहत लाभार्थियों की अधिकतम सीमा 4.46 करोड़ यूनिट की है. जबकि प्रदेश में 4.96 करोड़ लोगों को इस योजना का लाभ दिया जा रहा है. ऐसे में फिलहाल योजना में नए नाम जोड़ने पर रोक लगा दी.

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खाद्य सुरक्षा योजना में नए नाम जोड़ने पर रोक
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Published : Jun 14, 2020, 8:24 PM IST

जयपुर. कोरोना संक्रमण के कारण घोषित लॉकडाउन में रसद विभाग ने राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना में नए नाम जोड़ने पर फिलहाल रोक लगा दी है. राजस्थान में केंद्र सरकार की अधिकतम सीमा में लाभार्थियों को खाद्य सुरक्षा योजना का लाभ दिया जा रहा है. केंद्र सरकार ने राजस्थान के लिए खाद्य सुरक्षा का लाभ देने के लिए 4.46 करोड़ यूनिट की सीमा तय की है और प्रदेश में 4.96 करोड़ यूनिट को खाद्य सुरक्षा का लाभ दिया जा रहा है. केंद्र की सीमा से अधिक नाम जुड़ने के बाद प्रदेश में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना में नाम जोड़ने पर रोक लगा दी गई है.

खाद्य सुरक्षा योजना में नए नाम जोड़ने पर रोक

बता दें कि, कोरोना के कारण लॉकडाउन में लाखों और लाभार्थियों ने अपना नाम राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना में जुड़वा लिया है. खाद्य विभाग ने कुछ दिनों पहले सूचना प्रौद्योगिकी एवं संचार विभाग को पत्र लिखकर खाद्य सुरक्षा में नाम जोड़ने पर रोक लगाने को कहा है. इसके बाद खाद्य सुरक्षा योजना में नाम जोड़ने पर फिलहाल रोक लगा दी गई है.

ये पढ़ें: लॉकडाउन इफेक्ट: अजमेर में स्क्रैप व्यापार को 200 करोड़ का नुकसान, घाटे से उबरने में लगेगा लंबा वक्त

केंद्र सरकार के अनुसार राज्य में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना में लाभार्थियों की अधिकतम संख्या 4.46 करोड़ हो सकती है. वर्तमान में इस योजना में चयनित लाभार्थियों की संख्या इससे अधिक हो चुकी है, लेकिन केंद्र सरकार की ओर से 4.46 करोड़ लाभार्थियों को ही खाद्यान्न उपलब्ध कराया जा रहा है. तय सीमा से ज्यादा लाभार्थियों को खाद्यान्न उपलब्ध कराया जाना संभव नहीं है. इसलिए फिलहाल खाद्य सुरक्षा में नाम जोड़ने पर आगामी आदेश तक रोक लगा दी गई है. केंद्र सरकार 2011 की जनसंख्या के हिसाब से केवल 4.46 करोड लाभार्थियों को ही लाभ दे रही है. इसके अलावा बचे हुए 50 लाख लाभार्थियों को राजस्थान सरकार गेहूं खरीद कर खाद्य सुरक्षा का लाभ दे रही है.

बता दें कि, लॉकडाउन से पहले ऐसे कई लाभार्थी थे, जो गेहूं लेने नहीं आ रहे थे लेकिन केंद्र से पूरा गेहूं आ रहा था. जो लाभार्थी गेहूं लेने नहीं आते थे उनका बचा हुआ गेहूं अन्य लाभार्थियों को वितरित हो जाता था. लॉकडाउन में निशुल्क मिलने वाले गेहूं की सभी लोगों को याद आ गई और वे गेहूं लेने के लिए राशन की दुकानों पर पहुंच गए. इससे केंद्र से आवंटित गेहूं की मात्रा कम पड़ गयी. राज्य सरकार को अन्य लाभार्थियों को गेहूं खरीद कर वितरित करना पड़ रहा है.

ये पढ़ें: भाजपा विधायक ने कांग्रेस पर साधा निशाना, कहा राज्यसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस कर रही ओछी राजनीति

कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए घोषित लॉकडाउन में प्रदेश में एक लाख 30 हजार से ज्यादा यूनिट और जुड़ गई. खाद्य विभाग नई जुड़ी यूनिट की जांच करेगा. लॉकडाउन की अवधि में विभाग ने 88 हजार से ज्यादा यूनिट फर्जी पकड़ी है और उनको डिलीट किया गया. विभाग ने लॉकडाउन अवधि में 92 हजार से ज्यादा दोहरे और फर्जी राशन कार्ड भी डिलीट किए हैं. जयपुर जिले में भी 3 या 3 से ज्यादा नाम जोड़ने वाले राशन कार्डो की जांच चल रही है और जांच के बाद राशन कार्ड और फर्जी नाम डिलीट किए जा रहे हैं.

जयपुर. कोरोना संक्रमण के कारण घोषित लॉकडाउन में रसद विभाग ने राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना में नए नाम जोड़ने पर फिलहाल रोक लगा दी है. राजस्थान में केंद्र सरकार की अधिकतम सीमा में लाभार्थियों को खाद्य सुरक्षा योजना का लाभ दिया जा रहा है. केंद्र सरकार ने राजस्थान के लिए खाद्य सुरक्षा का लाभ देने के लिए 4.46 करोड़ यूनिट की सीमा तय की है और प्रदेश में 4.96 करोड़ यूनिट को खाद्य सुरक्षा का लाभ दिया जा रहा है. केंद्र की सीमा से अधिक नाम जुड़ने के बाद प्रदेश में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना में नाम जोड़ने पर रोक लगा दी गई है.

खाद्य सुरक्षा योजना में नए नाम जोड़ने पर रोक

बता दें कि, कोरोना के कारण लॉकडाउन में लाखों और लाभार्थियों ने अपना नाम राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना में जुड़वा लिया है. खाद्य विभाग ने कुछ दिनों पहले सूचना प्रौद्योगिकी एवं संचार विभाग को पत्र लिखकर खाद्य सुरक्षा में नाम जोड़ने पर रोक लगाने को कहा है. इसके बाद खाद्य सुरक्षा योजना में नाम जोड़ने पर फिलहाल रोक लगा दी गई है.

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केंद्र सरकार के अनुसार राज्य में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना में लाभार्थियों की अधिकतम संख्या 4.46 करोड़ हो सकती है. वर्तमान में इस योजना में चयनित लाभार्थियों की संख्या इससे अधिक हो चुकी है, लेकिन केंद्र सरकार की ओर से 4.46 करोड़ लाभार्थियों को ही खाद्यान्न उपलब्ध कराया जा रहा है. तय सीमा से ज्यादा लाभार्थियों को खाद्यान्न उपलब्ध कराया जाना संभव नहीं है. इसलिए फिलहाल खाद्य सुरक्षा में नाम जोड़ने पर आगामी आदेश तक रोक लगा दी गई है. केंद्र सरकार 2011 की जनसंख्या के हिसाब से केवल 4.46 करोड लाभार्थियों को ही लाभ दे रही है. इसके अलावा बचे हुए 50 लाख लाभार्थियों को राजस्थान सरकार गेहूं खरीद कर खाद्य सुरक्षा का लाभ दे रही है.

बता दें कि, लॉकडाउन से पहले ऐसे कई लाभार्थी थे, जो गेहूं लेने नहीं आ रहे थे लेकिन केंद्र से पूरा गेहूं आ रहा था. जो लाभार्थी गेहूं लेने नहीं आते थे उनका बचा हुआ गेहूं अन्य लाभार्थियों को वितरित हो जाता था. लॉकडाउन में निशुल्क मिलने वाले गेहूं की सभी लोगों को याद आ गई और वे गेहूं लेने के लिए राशन की दुकानों पर पहुंच गए. इससे केंद्र से आवंटित गेहूं की मात्रा कम पड़ गयी. राज्य सरकार को अन्य लाभार्थियों को गेहूं खरीद कर वितरित करना पड़ रहा है.

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कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए घोषित लॉकडाउन में प्रदेश में एक लाख 30 हजार से ज्यादा यूनिट और जुड़ गई. खाद्य विभाग नई जुड़ी यूनिट की जांच करेगा. लॉकडाउन की अवधि में विभाग ने 88 हजार से ज्यादा यूनिट फर्जी पकड़ी है और उनको डिलीट किया गया. विभाग ने लॉकडाउन अवधि में 92 हजार से ज्यादा दोहरे और फर्जी राशन कार्ड भी डिलीट किए हैं. जयपुर जिले में भी 3 या 3 से ज्यादा नाम जोड़ने वाले राशन कार्डो की जांच चल रही है और जांच के बाद राशन कार्ड और फर्जी नाम डिलीट किए जा रहे हैं.

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