जयपुर. शहर में रविवार को राज्य स्तरीय कुश्ती चयन प्रतियोगिता का आयोजन किया गया. इस दौरान चयन प्रतियोगिता में आए इन खिलाड़ियों ने ईटीवी भारत से बातचीत की.
राजस्थान के पदक विजेता कुश्ती पहलवानों का कहना है कि प्रदेश की खेल नीति में किए गए बदलाव खिलाड़ियों के लिहाज से काफी सकारात्मक हैं, लेकिन अभी इस नीति में और संशोधन की दरकार है. जिससे गांवों और कस्बों के खिलाड़ियों को भी इसका ज्यादा से ज्यादा फायदा मिल सके. इसके साथ ही इन पहलवानों ने खेल संघों को राजनीति से अलग रखने और खिलाड़ियों को ही खेल संघों में पदाधिकारी बनाने की व्यवस्था करने की मांग की है.
कॉमनवेल्थ गेम्स में स्वर्ण पदक जीतने वाले कुश्ती पहलवान जयभगवान का कहना है कि राजस्थान सरकार ने खेल नीति में जो बदलाव किए हैं, वह अच्छे हैं, लेकिन इसमें कुछ कमियां हैं. जिनके चलते गांव-देहात के खिलाड़ियों को इसका फायदा मिलने में दिक्कत होती है.
उन्होंने व्यक्तिगत स्पर्धाओं की चैंपियनशिप को भी इसमें शामिल करने की मांग की है. हरियाणा में जिस तरह विभिन्न अवार्ड पदक विजेताओं को पेंशन दी जा रही है. उसी तरह राजस्थान में भी पदक विजेता खिलाड़ियों को पेंशन मिलनी चाहिए. उनका यह भी कहना है कि खिलाड़ियों को खेल संघों की राजनीति में नहीं घसीटना चाहिए.
सैफ गेम्स में स्वर्ण पदक विजेता कुश्ती पहलवान रविंद्र कुमार का कहना है कि सरकार ने जो कदम उठाए हैं, वह सराहनीय हैं, लेकिन यह कदम 10-15 साल पहले उठाए जाते तो आज प्रदेश में खेल और खिलाड़ियों की स्थिति काफी बेहतर हो सकती थी. उन्होंने भी व्यक्तिगत स्पर्धाओं की चैंपियनशिप को इस नीति में शामिल करने की मांग रखी और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर राजस्थान का प्रतिनिधित्व करने वाले खिलाड़ियों को भी फायदा देने की मांग की है.
पढ़ें-चूरूः राजगढ़ थानाधिकारी आत्महत्या मामले में CBI ने जांच की तेज
इसके साथ ही इन खिलाड़ियों ने खेल संघों में राजनीतिक गुटबाजी को खत्म करने की मांग की है. उनका यह भी कहना है कि खेल संघों में केवल खिलाड़ियों को ही शामिल किया जाना चाहिए. ताकि खेल और खिलाड़ियों का भला हो सके.