जयपुर. राज्य मानव अधिकार आयोग ने उदयपुर जिले के मावली क्षेत्र के साकरोदा गांव में कोरोना संक्रमित व्यक्ति की मौत के बाद एक निजी अस्पताल द्वारा मृतक की आंख और किडनी निकाल कर शव परिजनों को सौंपने के मामले में संज्ञान लिया है. आयोग ने मीडिया में प्रसारित खबरों के आधार पर संज्ञान लेते हुए इस मामले में गृह सचिव और उदयपुर पुलिस महानिरीक्षक को निर्देश दिए हैं कि मृतक की देह का परीक्षण करवाने के बाद ही दाह संस्कार किया जाए और इस मामले की तथ्यात्मक रिपोर्ट 14 मई तक आयोग में सौंपे.
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आयोग के अध्यक्ष जीके व्यास ने मीडिया में प्रसारित एक ख़बर के आधार पर मामले को संज्ञान में लेते हुए नोटिस जारी किए हैं. आयोग की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति में इस मामले में परिजनों की ओर से लगाए गए आरोप का भी जिक्र किया है, जिसमें लिखा गया कि अस्पताल के डॉक्टरों ने घोर अपराध किया है और राजसमंद के अनंता अस्पताल का ये कृत्य अमानवीय है.
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आयोग की ओर से जारी बयान में ये भी लिखा गया है कि किसी व्यक्ति की मौत के बाद उसकी किडनी और आंखें निकालना घोर अपराध की श्रेणी में आता है. इसलिए आयोग की खंडपीठ के अध्यक्ष जस्टिस गोपाल कृष्ण व्यास और आयोग सदस्य महेश गोयल ने प्रसारित खबर पर स्वतः ही संज्ञान लेते हुए ये नोटिस जारी किया है.