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देशभर के हिंदू मंदिर सरकारी नियंत्रण से मुक्त हो, VHP ने देशव्यापी जन-जागरण अभियान की घोषणा की - VHP DEMANDS TO FREE TEMPLES

विश्व हिंदू परिषद केंद्र की भाजपा और राज्य की सरकारों से मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त करने की मांग करने जा रही है. इस बारे ईटीवी भारत की वरिष्ठ संवाददाता अनामिका रत्ना ने विहिप के राष्ट्रीय महामंत्री मिलिंद परांडे से खास बातचीत की.

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विहिप महामंत्री मिलिंद परांडे से खास बातचीत (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Dec 26, 2024, 7:03 PM IST

Updated : Dec 26, 2024, 7:27 PM IST

नई दिल्ली: देशभर के हिंदू मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त कराने के लिए विश्व हिंदू परिषद (विहिप) ने गुरुवार को देशव्यापी जन-जागरण अभियान की घोषणा की है. विहिप के राष्ट्रीय महामंत्री मिलिंद परांडे ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में यह बात कही. उन्होंने कहा कि, 5 जनवरी से विश्व हिंदू परिषद इस अभियान की शुरूआत आंध्र प्रदेश के विजयवाड़ा से करने जा रही है, जिसके लिए राज्य के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू से बात की गई है.

उन्होंने कहा कि, स्वाधीनता के बाद भी जिन हिन्दूद्रोही कार्यों पर विराम लगना चाहिए था और मंदिरों को हिन्दू समाज को सौंपने का काम होना चाहिए था, वह अभी तक नहीं हुआ है. इस सवाल पर कि, केंद्र में भाजपा की सरकार है और उनसे सीधी बात न करके वीएचपी जन जागरण अभियान क्यों चला रही है?

विहिप महामंत्री मिलिंद परांडे से खास बातचीत (ETV Bharat)

इस सवाल के जवाब में मिलिंद परांडे ने कहा कि, किसी भी कार्य के लिए ये जानना जरूरी है कि जनता के क्या भाव हैं. इसके अलावा कई राज्यों में ऐसे मंदिर हैं जिनके मैनेजमेंट ट्रस्ट राज्यों के पास है. ऐसे में वहां की सरकार से या जनता के मनोभाव जानना भी जरूरी है.

इस सवाल पर कि, तिरुपति बालाजी के मंदिर में प्रसादम को लेकर मिलावट की जो बातें सामने आईं, क्या ये इसलिए जागरण अभियान की शुरुआत वीएचपी कर रही है. इस पर वीएचपी के राष्ट्रीय महामंत्री मिलिंद परांदे ने कहा कि वैसे तो विहिप पहले से ये मांग कर रही है. दो साल पहले कर्नाटक सरकार से भी बात कर प्रारूप तैयार किया गया था मगर वो सरकार दोबारा चुनकर नहीं आई और नई सरकार ने उसे बदल दिया. इसके अलावा उत्तराखंड में भी दो मंदिर वीएचपी ने स्वतंत्र करवाए.

उन्होंने आगे कहा कि, कई ऐसे बड़े मंदिर हैं जो किसी बोर्ड या देवस्थानम और ट्रस्ट द्वारा नियंत्रित हैं. उन्होंने कहा कि, यदि हिन्दू मंदिर हैं तो वहां ऐसे मनोभावों के लोगों की नियुक्ति ही सही है. उन्होंने कहा कि, कहीं कमिश्नर के नियंत्रण में मंदिर है...ये तमाम बातों पर जन जागरण में तैयार करना है.

इस सवाल पर कि, संभल पर आरएसएस के मुख्यपत्र ऑर्गेनाइजर में एक लेख प्रकाशित हुई है, जिसमें लिखा गया है कि, हिन्दू मंदिरों की प्राचीन इतिहास को जानना आवश्यक है. जबकि पहले इससे उलट बयान संघ प्रमुख मोहन भागवत दे चुके हैं. उन्होंने कहा था कि, कुछ लोग हिंदू नेता बनने के लिए मंदिरों और गड़े इतिहास की खुदाई कर रहे.

इस पर वीएचपी नेता का कहना है कि, किसी बयान का अर्थ आउट ऑफ कंटेस्ट नहीं निकलना चाहिए. दूसरी बात की जब 1984 में वीएचपी की धर्म संसद हुई थी तब साधु संतों ने अयोध्या मथुरा काशी के बारे में मांग उठाई थी. साथ ही मुसलमान भाइयों से अपील की थी कि वो खुद यदि इन मंदिरों को मुक्त कर दें तो बढ़िया है. मगर आज इतने सालों बाद ये सवाल अल्पसंख्यकों से भी पूछा जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि, मथुरा और काशी के संतों ने जो मांग उठाई थी उस पर मोहन भागवत का भी समर्थन था और वीएचपी अभी भी उस मांग पर कायम है.

ये भी पढ़ें: हिंदुओं के खिलाफ हमले रोकने के लिए सख्त नियम बनाए सरकार, विहिप की मांग

नई दिल्ली: देशभर के हिंदू मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त कराने के लिए विश्व हिंदू परिषद (विहिप) ने गुरुवार को देशव्यापी जन-जागरण अभियान की घोषणा की है. विहिप के राष्ट्रीय महामंत्री मिलिंद परांडे ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में यह बात कही. उन्होंने कहा कि, 5 जनवरी से विश्व हिंदू परिषद इस अभियान की शुरूआत आंध्र प्रदेश के विजयवाड़ा से करने जा रही है, जिसके लिए राज्य के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू से बात की गई है.

उन्होंने कहा कि, स्वाधीनता के बाद भी जिन हिन्दूद्रोही कार्यों पर विराम लगना चाहिए था और मंदिरों को हिन्दू समाज को सौंपने का काम होना चाहिए था, वह अभी तक नहीं हुआ है. इस सवाल पर कि, केंद्र में भाजपा की सरकार है और उनसे सीधी बात न करके वीएचपी जन जागरण अभियान क्यों चला रही है?

विहिप महामंत्री मिलिंद परांडे से खास बातचीत (ETV Bharat)

इस सवाल के जवाब में मिलिंद परांडे ने कहा कि, किसी भी कार्य के लिए ये जानना जरूरी है कि जनता के क्या भाव हैं. इसके अलावा कई राज्यों में ऐसे मंदिर हैं जिनके मैनेजमेंट ट्रस्ट राज्यों के पास है. ऐसे में वहां की सरकार से या जनता के मनोभाव जानना भी जरूरी है.

इस सवाल पर कि, तिरुपति बालाजी के मंदिर में प्रसादम को लेकर मिलावट की जो बातें सामने आईं, क्या ये इसलिए जागरण अभियान की शुरुआत वीएचपी कर रही है. इस पर वीएचपी के राष्ट्रीय महामंत्री मिलिंद परांदे ने कहा कि वैसे तो विहिप पहले से ये मांग कर रही है. दो साल पहले कर्नाटक सरकार से भी बात कर प्रारूप तैयार किया गया था मगर वो सरकार दोबारा चुनकर नहीं आई और नई सरकार ने उसे बदल दिया. इसके अलावा उत्तराखंड में भी दो मंदिर वीएचपी ने स्वतंत्र करवाए.

उन्होंने आगे कहा कि, कई ऐसे बड़े मंदिर हैं जो किसी बोर्ड या देवस्थानम और ट्रस्ट द्वारा नियंत्रित हैं. उन्होंने कहा कि, यदि हिन्दू मंदिर हैं तो वहां ऐसे मनोभावों के लोगों की नियुक्ति ही सही है. उन्होंने कहा कि, कहीं कमिश्नर के नियंत्रण में मंदिर है...ये तमाम बातों पर जन जागरण में तैयार करना है.

इस सवाल पर कि, संभल पर आरएसएस के मुख्यपत्र ऑर्गेनाइजर में एक लेख प्रकाशित हुई है, जिसमें लिखा गया है कि, हिन्दू मंदिरों की प्राचीन इतिहास को जानना आवश्यक है. जबकि पहले इससे उलट बयान संघ प्रमुख मोहन भागवत दे चुके हैं. उन्होंने कहा था कि, कुछ लोग हिंदू नेता बनने के लिए मंदिरों और गड़े इतिहास की खुदाई कर रहे.

इस पर वीएचपी नेता का कहना है कि, किसी बयान का अर्थ आउट ऑफ कंटेस्ट नहीं निकलना चाहिए. दूसरी बात की जब 1984 में वीएचपी की धर्म संसद हुई थी तब साधु संतों ने अयोध्या मथुरा काशी के बारे में मांग उठाई थी. साथ ही मुसलमान भाइयों से अपील की थी कि वो खुद यदि इन मंदिरों को मुक्त कर दें तो बढ़िया है. मगर आज इतने सालों बाद ये सवाल अल्पसंख्यकों से भी पूछा जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि, मथुरा और काशी के संतों ने जो मांग उठाई थी उस पर मोहन भागवत का भी समर्थन था और वीएचपी अभी भी उस मांग पर कायम है.

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Last Updated : Dec 26, 2024, 7:27 PM IST
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