जयपुर. राजस्थान राज्य कर्मचारी संयुक्त महासंघ (एकीकृत) ने सरकार को चेतवानी दी है. उन्होंने राज्य कर्मचारियों के अप्रैल 2020 के वेतन से कोई कटौती नहीं करने की मांग की है. संघ ने कहा कि सरकार इन कर्तव्यनिष्ठ कर्मचारियों को प्रोत्साहित करने के बजाए उनके वेतन से कटौती या वेतन स्थगित करती है, तो यह प्रदेश के लाखों कर्मचारियों के साथ अन्याय होगा. जिसे महासंघ किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं करेगा.
महासंघ के प्रदेशाध्यक्ष गजेंद्र सिंह राठौड़ ने कहा कि कोविड-19 वैश्विक महामारी से निपटने के लिए कर्मचारियों ने मार्च 2020 के वेतन से 3 से 5 दिन का वेतन पहले से ही मुख्यमंत्री सहायता कोष में जमा करा दिया है. इसके बाद भी राज्य सरकार ने एकतरफा निर्णय लेते हुए कर्मचारियों के मार्च 2020 के वेतन का 30 से 50 प्रतिशत हिस्सा स्थगित कर दिया है, जो अनुचित था. इस वेतन स्थगन की राशि को कब लौटाया जाएगा इसका भी सरकार ने कोई खुलासा नहीं किया है.
इस संबंध में राष्ट्रीय कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भी केंद्र सरकार को कर्मचारियों के वेतन भत्तों में कोई कटौती नहीं करने की सिफारिश की है. राठौड़ ने कहा कि राज्य कर्मचारियों की अपनी भी जरूरतें है. उनकी परिवार के प्रति भी जिम्मेदारी है. एक अल्प वेतनभोगी कर्मचारी के वेतन से पहले ही इनकम टैक्स के रूप में वेतन काट लिया जाता है. शेष राशि आवासीय ऋण, वाहन ऋण बच्चों की उच्च शिक्षा के लिए, लिए गए ऋण एवं निजी ऋण आदि की किश्तों में चली जाती हैं.
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इसके बाद जो वेतन बचता है वह इस महंगाई के युग में पारिवारिक दायित्वों को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं होता है. राठौड़ ने कहा कि इस वैश्विक महामारी से निपटने के लिए प्रदेश का राज्य कर्मचारी अपनी जान की भी परवाह नहीं करके सरकार का पूरा साथ दे रहा है. ऐसे में सरकार इन कर्तव्यनिष्ठ कर्मचारियों को प्रोत्साहित करने के बजाए उनके वेतन से कटौती या वेतन स्थगित करती है तो यह प्रदेश के लाखों कर्मचारियों के साथ अन्याय होगा. जिसे महासंघ किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं करेगा. राठौड़ ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से कर्मचारियों का मार्च 2020 के वेतन की स्थगन की राशि को भी अप्रैल 2020 के वेतन के साथ लौटाने की मांग की है.