जयपुर. भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रहे स्वर्गीय ललित किशोर चतुर्वेदी की मंगलवार को पुण्यतिथि है. हालांकि, पार्टी के किसी बड़े नेता या मौजूदा बड़े पदाधिकारी ने चतुर्वेदी की पुण्यतिथि पर न तो श्रद्धा सुमन अर्पित किए और न पुष्पांजलि से जुड़ा (State BJP leaders forgot Lalit Chaturvedi death anniversary) कोई बड़ा कार्यक्रम हुआ. बदलती राजनीतिक परिस्थितियों में पार्टी के दिग्गज राजनेताओं को भुला बिसरा बनाना अब आम हो गया है, लेकिन इससे स्वर्गीय चतुर्वेदी के प्रशंसकों में निराशा है.
राजस्थान की राजनीति में ललित किशोर चतुर्वेदी वो नाम है जिसे शायद ही कोई भुला सके. प्रदेश सरकार में कई बार मंत्री रहे,दो बार राजस्थान के पार्टी प्रदेश अध्यक्ष रहे और राज्यसभा सदस्य तक का अपना मुकाम चतुर्वेदी ने पूरा किया. चतुर्वेदी स्वर्गीय भैरों सिंह शेखावत और वरिष्ठ नेता हरिशंकर भावड़ा के सहयोगी नेता के रुप में काम कर चुके हैं और इन तीनो नेताओं की तिकड़ी के कई किस्से भी मशहूर हैं. प्रदेश अध्यक्ष के रूप में उन्होंने पार्टी की कमान उस समय भी संभाली जब राजस्थान में मुख्यमंत्री के रूप में सत्ता की कमान वसुंधरा राजे ने संभाली थी. लेकिन तब भी अपने निर्णय और संगठन पर कमान के चलते चतुर्वेदी की छवि एक दबंग और कुशल संगठनकर्ता के रूप में पार्टी में रही. चतुर्वेदी साल 2015 में इस दुनिया से चल बसे, लेकिन उनकी यादें अभी भी उनके समर्थकों और प्रशंसकों के दिलों में ताजा हैं.
पूनिया, चंद्रशेखर और राजे भी भूली पुण्यतिथिः स्वर्गीय ललित किशोर चतुर्वेदी की पुण्यतिथि पर राजस्थान भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉक्टर सतीश पूनिया, प्रदेश संगठन महामंत्री चंद्रशेखर और पूर्व मुख्यमंत्री व पार्टी की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष वसुंधरा राजे ने न कोई ट्वीट किया और न ही कोई श्रद्धांजलि सोशल मीडिया के माध्यम से दी. हालांकि यह वह राजनेता हैं जो अपनी श्रद्धांजलि और संवेदनाएं तक सोशल मीडिया के जरिए ही व्यक्त करते हैं. लेकिन पार्टी के ही दिग्गज नेता रहे ललित किशोर चतुर्वेदी की पुण्यतिथि पर इनमें से किसी भी राजनेता ने ट्विटर पर कोई पोस्ट नहीं डाली. ऐसे में चतुर्वेदी के परिजनों के साथ उनके प्रशंसकों को भी निराशा ही हाथ लग रही है.
बदलती राजनीति में फॉलोअर्स कम होने पर बनी यह स्थितिः इस बारे में वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक श्याम सुंदर शर्मा कहते हैं की वर्तमान राजनीति में वही नेता पूजे जाते हैं जिन्होंने अपने ज्यादा फ़ॉलोअर्स बनाए हों. शर्मा ने कहा चतुर्वेदी का योगदान बीजेपी में भुलाया नहीं जा सकता लेकिन यह बात भी सच है कि स्वर्गीय चतुर्वेदी अपने ज्यादा फॉलोअर्स नहीं बना पाए. शर्मा ने कहा वर्तमान में उन्हीं नेताओं को पूजे जाने का रिवाज बन गया है जिनके या तो ज्यादा फॉलोअर्स है या फिर उनके परिवार के लोग राजनीति में सक्रिय होकर बड़े मुकाम पर हों. उन्होंने उदाहरण दिया आज नरेंद्र मोदी हों या अमित शाह मौजूदा पार्टी अध्यक्ष उनका जन्मदिन होगा तो पार्टी के कार्यकर्ता उसे सेलिब्रेट भी करेंगे. लेकिन जिन्होंने पार्टी के लिए अपना योगदान दिया और आज इस दुनिया में नहीं है उन्हें भूले बिसरे लोग ही याद करते हैं.
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पिछले साल हुआ था श्रद्धांजलि कार्यक्रमः पिछले साल 5 अप्रैल को प्रदेश भाजपा मुख्यालय में स्वर्गीय ललित किशोर चतुर्वेदी की पुण्यतिथि पर पुष्पांजलि कार्यक्रम रखा गया था. यह कार्यक्रम उनके ही परिवार से जुड़े लोगों ने रखा. लेकिन उस कार्यक्रम में भी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष से लेकर कोई बड़े पदाधिकारी शामिल नहीं हुए थे. इस साल भी प्रदेश के बड़े पदाधिकारियों ने स्वर्गीय ललित किशोर चतुर्वेदी की पुण्यतिथि को भुला दिया.