मुंबई: महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव संपन्न होने के बाद अब सभी राजनीतिक दलों की निगाहें आगामी स्थानीय निकाय चुनावों पर टिकी हैं. बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) एशिया का सबसे अमीर नगर निगम है. इसलिए सभी दल अब मुंबई महानगरपालिका पर अपना परचम लहराने के लिए संघर्ष करते नजर आ रहे हैं. इसी तरह मुंबई की 36 सीटों में से कई सीटों पर महायुति के विधायक चुने जाने से कहा जा रहा है कि यह चुनाव 25 साल से अधिक समय से महानगरपालिका पर राज कर रही शिवसेना के लिए प्रतिष्ठा और अस्तित्व की लड़ाई होगी.
शिंदे की शिवसेना में शामिल हो सकते हैं कई पूर्व नगरसेवक
कयास लगाए जा रहे हैं कि विधानसभा चुनाव में महायुति की शानदार जीत का असर आगामी महानगरपालिका चुनाव पर जरूर पड़ेगा. विधानसभा चुनाव में मुंबई की सीटों पर शिवसेना (यूबीटी) को झटका और भाजपा-शिवसेना की बड़ी सफलता का असर आगामी महानगरपालिका चुनावों पर भी पड़ेगा. यह भी उम्मीद है कि आने वाले दिनों में कई पूर्व नगरसेवक (नगर पार्षद) भी महायुति में शामिल होंगे. साथ ही कांग्रेस के अल्पसंख्यक नेताओं और पूर्व नगर पार्षदों के भाजपा या एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना में शामिल होने की संभावना है.
फिर शुरू हो सकता है पार्षदों का दलबदल
देखा जाए तो बीएमसी चुनाव में शिवसेना (यूबीटी) को हराने के लिए भाजपा और शिवसेना के गठबंधन ने डेढ़ से दो साल पहले से ही तैयारी शुरू कर दी थी. विधानसभा चुनाव के दौरान जब बड़े नेता एक पार्टी से दूसरी पार्टी में शामिल हो रहे थे, उसी समय मुंबई में उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना (यूबीटी) और कांग्रेस के कई पूर्व नगर पार्षद शिंदे की शिवसेना में शामिल हो रहे थे.
शिवसेना में दो फाड़ के बाद से शिवसेना (यूबीटी) के करीब 40 पूर्व नगरसेवक एकनाथ शिंदे की शिवसेना में शामिल हो चुके हैं. बताया जाता है कि लोकसभा चुनाव के बाद शिवसेना (यूबीटी) और कांग्रेस से पूर्व नगरसेवकों के दल बदलने पर विराम लग गया था. लोकसभा चुनाव में महा विकास अघाड़ी (एमवीए) को बड़ी सफलता मिली थी, जिसके चलते कई पूर्व पार्षदों ने पार्टी छोड़ने का फैसला वापस ले लिया था. लेकिन विधानसभा चुनाव में एमवीए को करारी हार का सामना करना पड़ा है, इसलिए संभावना जताई जा रही है कि नगरसेवकों का पार्टी छोड़ने का सिलसिला फिर से शुरू हो जाएगा. हाल ही में बीएमसी में कांग्रेस के विपक्ष के नेता और पूर्व नगरसेवक रवि राजा भाजपा में शामिल हो गए हैं.
चार वर्षों से नहीं हुए स्थानीय निकाय चुनाव
राज्य में पिछले चार वर्षों से स्थानीय निकाय चुनाव नहीं हुए हैं. बृहन्मुंबई नगर निगम में पार्षदों का कार्यकाल 2021 में समाप्त हो गया. उसके बाद से कोई चुनाव नहीं हुआ है. 2017 में हुए चुनाव में बीएमसी की कुल 227 सीटों में से संयुक्त शिवसेना 84 सीटें जीतने में सफल रही थी. भाजपा ने 82 सीटें जीती थीं. कांग्रेस के 31 और एनसीपी के 9 पार्षद थे. मनसे के भी 7 पार्षद थे, लेकिन सभी शिवसेना में शामिल हो गए थे.
शिवसेना (यूबीटी) पिछले 25 साल से भी ज्यादा समय से मुंबई महानगरपालिका की सत्ता पर काबिज है. शिवसेना (यूबीटी) शुरू से कहती आ रही है कि उसे राज्य में कुछ समय के लिए सत्ता भले ही न मिले, लेकिन बीएमसी में उसकी सत्ता बनी रहनी चाहिए. उसने मनसे, कांग्रेस, एनसीपी और निर्दलीयों की मदद से महानगरपालिका में अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा किया है.
हालांकि पार्टी में फूट के बाद मुंबई की तस्वीर पूरी तरह बदल गई है. इसलिए कहा जा रहा है कि आगामी बीएमसी चुनाव शिवसेना (यूबीटी) के लिए प्रतिष्ठा और अस्तित्व की लड़ाई होगी.
हमारे ज्यादातर विधायक मुंबई से चुने गए: अंधारे
इस संबंध में जब ईटीवी भारत ने शिवसेना (यूबीटी) की नेता सुषमा अंधारे से बात की तो उन्होंने कहा कि यह चुनाव निश्चित तौर पर हमारे लिए अस्तित्व और प्रतिष्ठा की लड़ाई होगी. उन्होंने कहा कि मुंबई शिवसेना की है और हम मुंबई के हैं. इसलिए हम आने वाले महानगरपालिका चुनाव जरूर जीतेंगे.
सुषमा अंधारे ने कहा कि लोकसभा चुनाव हो या अब विधानसभा चुनाव, हमने जितनी सीटें जीती हैं, उनमें से ज्यादातर मुंबई में हैं. विधानसभा चुनाव में विजयी हुए हमारे ज्यादातर विधायक मुंबई से हैं. किसी ने नहीं सोचा था कि माहिम में महेश सावंत और भायखला में मनोज जामसुतकर विधानसभा चुनाव जीतेंगे. हालांकि, हम कहते रहे हैं कि ये हमारे गढ़ हैं और नतीजों में भी यही देखने को मिला. महानगरपालिका चुनाव में भी आपको यही नतीजे देखने को मिलेंगे.
उन्होंने कहा कि जहां तक सवाल नगरसेवकों के दलबदल का है, तो जो सत्ता के मोह में हैं, वे जाएंगे, जो गए हैं. इसलिए, इसमें कोई संदेह नहीं है कि आने वाले चुनाव में महानगरपालिका पर हमारा झंडा लहराएगा.
यह भी पढ़ें- Amol Khatal: साइबर कैफे चलाने वाला किसान पुत्र बना विधायक, बड़ी प्रेरक है संघर्ष की कहानी