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ब्यूरोक्रेट्स की लापरवाही से मुख्यमंत्री तक नहीं पहुंच रही हमारी मांगें: कर्मचारी नेता गजेंद्र सिंह - rajasthan budget 2021

अखिल राजस्थान राज्य कर्मचारी संयुक्त महासंघ एकीकृत के प्रदेश अध्यक्ष गजेंद्र सिंह ने कहा कि 10 फरवरी को बजट वाले दिन प्रदेशभर के 8 लाख कर्मचारी जिला मुख्यालयों पर मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपेंगे. उन्होंने कहा कि उनकी मांगों को ब्यूरोक्रेट्स मुख्यमंत्री तक सही ढंग से पहुंचा नहीं रहे हैं.

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अखिल राजस्थान राज्य कर्मचारी संयुक्त महासंघ एकीकृत
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Published : Feb 8, 2021, 9:18 PM IST

जयपुर. प्रदेश में 10 फरवरी से बजट सत्र शुरू हो रहा है. इस बार कोरोना काल के बीच आ रहे इस बजट में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सभी को साधने की कोशिश कर रहे हैं. लेकिन प्रदेश के 8 लाख कर्मचारी सरकार से खुश नहीं हैं और ना ही इस बजट से. यही वजह है कि कर्मचारियों ने बजट शुरू होने के साथ आंदोलन का बिगुल बजा दिया है. अखिल राजस्थान राज्य कर्मचारी संयुक्त महासंघ एकीकृत के प्रदेश अध्यक्ष गजेंद्र सिंह ने Etv भारत से खास बातचीत में कहा कि कर्मचारी सरकार से सीधा संवाद करना चाहता है. लेकिन ब्यूरोक्रेट्स की लापरवाही से कर्मचारियों की मांग मुख्यमंत्री तक सीधी नहीं पहुंच रही है.

कर्मचारी नेता गजेंद्र सिंह Exclusive

12 सूत्री मांगों को लेकर राज्य कर्मचारियों ने 10 फरवरी को प्रदेशभर में प्रदर्शन करने का एलान किया है. उन्होने कहा कि अगर मांगों पर सरकार का सकारात्मक रूख नहीं रहा तो प्रदेशभर में उग्र आंदोलन किया जाएगा. गजेंद्र सिंह ने कहा कि राजस्थान का कर्मचारी सरकार की ओर निगाहें लगाए बैठा है. कांग्रेस ने सत्ता में आने से पूर्व अपने घोषणापत्र में जो वादे किए थे उन्हें 2 साल होने के बाद भी पूरा नहीं किया. प्रदेश के कर्मचारी हर बार सरकार के समक्ष अपनी बात पहुंचा रहे हैं, लेकिन ब्यूरोक्रेट्स हैं कि मुख्यमंत्री तक कर्मचारियों की सही मांग को नहीं पहुंचा रहे हैं. प्रदेश के कर्मचारियों ने कोरोना काल में भी सरकार के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम किया है. सरकार ने उस वक्त वेतन कटौती की, उसको भी कर्मचारियों ने स्वीकार किया. लेकिन अब उस वेतन कटौती को दिया जाए.

पढ़ें: SPECIAL : 1990 से अजमेर शहर में खिल रहा कमल...कांग्रेस ने नहीं लिया सबक, गुटबाजी ले डूबी

उन्होंने कहा कि सरकार बार-बार कर्मचारियों की चेतावानी के बाद भी उनकी मांगों को पूरा नहीं कर रही है. यही वजह है कि जिस दिन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत बजट सत्र शुरू करने जा रहे हैं उसी दिन से प्रदेश के 8 लाख कर्मचारी हर जिला मुख्यालय पर मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन देंगे. अपनी 12 सूत्री मांगों को लेकर सरकार को चेताएंगे फिर भी अगर मांगें नहीं सुनी गई तो उग्र आंदोलन किया जाएगा.

यह हैं कर्मचारियों की मांग

  • सामंत कमेटी की रिपोर्ट को प्रकाशित करना ,
  • वित्त विभाग की 30 अक्टूबर 2017 के वेतन कटौती आदेश को निरस्त करना
  • ग्रेड पे 2400 और 2800 के लिए बनाए गए पर लेबल को समाप्त कर केंद्र के अनुरूप पे-मैट्रिक्स निर्धारित करना
  • चयनित वेतन का परिलाभ 9, 18, 27 वर्ष के स्थान पर 8, 16, 24, 32 वर्ष की सेवा अवधि पूर्ण करने पर पदोन्नति पद के समान देना
  • कर्मचारियों के मार्च 2020 के तहत स्थगित वेतन को शीघ्र भुगतान करना
  • पद नाम परिवर्तन, पदोन्नति और सेवा नियमों में संबंधित प्रकरणों का निस्तारण करना
  • राज्य सरकार की ओर से पूर्व में गठित मंत्रिमंडल उप समिति की ओर से लिए गए निर्णय की पालना सिनिश्चित करना
  • कांग्रेस सरकार के वह 2013 की घोषणा के अनुरूप मंत्रालयिक संवर्ग के 26000 पदों को सृजित करना

जयपुर. प्रदेश में 10 फरवरी से बजट सत्र शुरू हो रहा है. इस बार कोरोना काल के बीच आ रहे इस बजट में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सभी को साधने की कोशिश कर रहे हैं. लेकिन प्रदेश के 8 लाख कर्मचारी सरकार से खुश नहीं हैं और ना ही इस बजट से. यही वजह है कि कर्मचारियों ने बजट शुरू होने के साथ आंदोलन का बिगुल बजा दिया है. अखिल राजस्थान राज्य कर्मचारी संयुक्त महासंघ एकीकृत के प्रदेश अध्यक्ष गजेंद्र सिंह ने Etv भारत से खास बातचीत में कहा कि कर्मचारी सरकार से सीधा संवाद करना चाहता है. लेकिन ब्यूरोक्रेट्स की लापरवाही से कर्मचारियों की मांग मुख्यमंत्री तक सीधी नहीं पहुंच रही है.

कर्मचारी नेता गजेंद्र सिंह Exclusive

12 सूत्री मांगों को लेकर राज्य कर्मचारियों ने 10 फरवरी को प्रदेशभर में प्रदर्शन करने का एलान किया है. उन्होने कहा कि अगर मांगों पर सरकार का सकारात्मक रूख नहीं रहा तो प्रदेशभर में उग्र आंदोलन किया जाएगा. गजेंद्र सिंह ने कहा कि राजस्थान का कर्मचारी सरकार की ओर निगाहें लगाए बैठा है. कांग्रेस ने सत्ता में आने से पूर्व अपने घोषणापत्र में जो वादे किए थे उन्हें 2 साल होने के बाद भी पूरा नहीं किया. प्रदेश के कर्मचारी हर बार सरकार के समक्ष अपनी बात पहुंचा रहे हैं, लेकिन ब्यूरोक्रेट्स हैं कि मुख्यमंत्री तक कर्मचारियों की सही मांग को नहीं पहुंचा रहे हैं. प्रदेश के कर्मचारियों ने कोरोना काल में भी सरकार के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम किया है. सरकार ने उस वक्त वेतन कटौती की, उसको भी कर्मचारियों ने स्वीकार किया. लेकिन अब उस वेतन कटौती को दिया जाए.

पढ़ें: SPECIAL : 1990 से अजमेर शहर में खिल रहा कमल...कांग्रेस ने नहीं लिया सबक, गुटबाजी ले डूबी

उन्होंने कहा कि सरकार बार-बार कर्मचारियों की चेतावानी के बाद भी उनकी मांगों को पूरा नहीं कर रही है. यही वजह है कि जिस दिन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत बजट सत्र शुरू करने जा रहे हैं उसी दिन से प्रदेश के 8 लाख कर्मचारी हर जिला मुख्यालय पर मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन देंगे. अपनी 12 सूत्री मांगों को लेकर सरकार को चेताएंगे फिर भी अगर मांगें नहीं सुनी गई तो उग्र आंदोलन किया जाएगा.

यह हैं कर्मचारियों की मांग

  • सामंत कमेटी की रिपोर्ट को प्रकाशित करना ,
  • वित्त विभाग की 30 अक्टूबर 2017 के वेतन कटौती आदेश को निरस्त करना
  • ग्रेड पे 2400 और 2800 के लिए बनाए गए पर लेबल को समाप्त कर केंद्र के अनुरूप पे-मैट्रिक्स निर्धारित करना
  • चयनित वेतन का परिलाभ 9, 18, 27 वर्ष के स्थान पर 8, 16, 24, 32 वर्ष की सेवा अवधि पूर्ण करने पर पदोन्नति पद के समान देना
  • कर्मचारियों के मार्च 2020 के तहत स्थगित वेतन को शीघ्र भुगतान करना
  • पद नाम परिवर्तन, पदोन्नति और सेवा नियमों में संबंधित प्रकरणों का निस्तारण करना
  • राज्य सरकार की ओर से पूर्व में गठित मंत्रिमंडल उप समिति की ओर से लिए गए निर्णय की पालना सिनिश्चित करना
  • कांग्रेस सरकार के वह 2013 की घोषणा के अनुरूप मंत्रालयिक संवर्ग के 26000 पदों को सृजित करना
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