जयपुर. जीवनशैली में आने वाले गलत बदलाव के कारण जहां ब्रेन ट्यूमर के केसेज में बढोतरी हो रही हैं. वहीं एडवांस उपचार तकनीक की वजह से ब्रेन ट्यूमर के उपचार के बाद लोग कुछ माह में ही सामान्य जीवन की ओर रूख कर पा रहे हैं. वर्ल्ड ब्रेन ट्यूमर डे को लेकर ब्रेन ट्यूमर विशेषज्ञ डॉ. नितिन द्विवेदी ने बताया कि ब्रेन में ट्यूमर होने का अर्थ कैंसर होना नहीं होता है, इसलिए ब्रेन ट्यूमर के नाम से घबराने की जरूरत नहीं.
बता दें कि ब्रेन ट्यूमर के उपचार में प्लानिंग की भूमिका सबसे अहम होती है. इन ट्यूमर के उपचार की तीनों विधाओं मेडिकल, सर्जिकल और रेडिएशन के चिकित्सकों की टीम की ओर से योजना के साथ उपचार करना जरूरी है. ट्यूमर के आकार और उसकी स्थिति के आधार पर उपचार का निर्णय चिकित्सकों की ओर से लिया जाता है.
डॉ. नितिन द्विवेदी ने बताया कि ट्यूमर के उपचार में सर्जरी सबसे अहम है, कई बार ब्रेन से पूरा ट्यूमर को निकालना संभव नहीं हो पाता तो उस स्थिति में रेडिएशन थैरेपी के जरिए ट्यूमर को पूर्ण रूप से खत्म किया जाता है. इसलिए हर रोगी में प्लानिंग के साथ उपचार महत्वपूर्ण है.
इसलिए मनाया जाता है ये दिवस
आजकल उपलब्ध अत्याधुनिक उपकरणों एम आर आई, सीटी स्कैन से छोटे से छोटे ट्यूमर का प्रारंभिक अवस्था में ही पता लग जाता है. लेकिन बीमारी का पता लगने के बावजूद भी कई मरीज इलाज करवाने से कतराते हैं, कई लोग इसे अंधविश्वास के चलते बाबा, ओझा, तांत्रिक के पास झाड़-फूंक के लिए चले जाते हैं. इन्हीं भ्रांतियों को दूर करने के लिए प्रतिवर्ष 8 जून को वर्ल्ड ब्रेन ट्यूमर डे (world brain tumor day) मनाया जाता है.
दरअसल, आज के समय में ब्रेन ट्यूमर के उपचार में कई नवीन तकनीत आ चुकी है, ट्यूमर कैंसर का हो या सामान्य, कुछ माह में ही रोगी का सफलता पूर्ण उपचार संभव है. मस्तिष्क में जब असामान्य कोशिकाएं विकसित होने लगती है तो ब्रेन ट्यूमर का रूप ले लेती हैं. कोशिकाओं के विकास की गति ट्यूमर के प्रकार के अनुसार अलग-अलग होती है, लेकिन इस दौरान कई लक्षण व्यक्ति में नजर आते हैं. इन लक्षणों को अगर गंभीरता से लेकर समय पर चिकित्सक से सलाह ली जाए तो शुरूआती अवस्था में इसकी पहचान कर रोगी को बचाना संभव हो पाता है.
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जीवनशैली में आए परिवर्तन की वजह से ब्रेन ट्यूमर के अहम लक्षण सरदर्द और याददाश्त का कमजोर होना जीवनशैली का हिस्सा बनते जा रहे हैं. ब्रेन ट्यूमर के कई लक्षण होते हैं जिन्हें अनदेखा नहीं करना चाहिए. इन लक्षणों में तेज या लगातार रहने वाला सिरदर्द, चलने में परेशानी, तालमेल में समस्या, मांसपेशियों में कमजोरी, रह-रहकर परेशानी होना, शरीर के एक तरफ कमजोरी या हाथों और पैरों की कमजोरी, चक्कर आना, उल्टी या मतली आना, चुभन महसूस करना या स्पर्श कम महसूस होना, ठीक से बोलने और समझने में परेशानी या सुध-बुध खोना, दौरे पड़ना, धुंधला दिखना, बेहोशी आना, बोलने में कठिनाई या व्यक्तित्व में बदलाव है.