जयपुर. राजस्थान कांग्रेस की मीडिया चेयरपर्सन अर्चना शर्मा ने इस पूरे आर्थिक पैकेज को खाली घोषणाएं बताया है. उन्होंने इसे खोखला बताते हुए उम्मीदों पर पानी फेरना बताया. उनके अनुसार आत्मनिर्भर पैकेज में प्रवासी मजदूरों और श्रमिकों पर विशेष ध्यान नहीं देना बताया.
प्रवासी मजदूरों और श्रमिकों पर की गई इन घोषणाओं का कितना असर पड़ेगा, इन्हीं मुद्दों को लेकर ईटीवी भारत ने राजस्थान कांग्रेस की मीडिया चेयरपर्सन अर्चना शर्मा से बात की.
वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण की घोषणाओं की मुख्य बातें :
- प्रवासियों को 2 महीने तक सरकार मुफ्त खाना उपलब्ध कराएगी, जिसमें 5-5 किलो चावल और गेहूं, 1 किलो चने,1 किलो दाल मुहैया कराई जाएगी. कुल 3500 करोड़ का फंड खाद्यान्न को दिया गया.
- वित्त मंत्री ने 1 देश 1 राशन कार्ड की घोषणा की है. इसके तहत देश के किसी भी कोने में राशन कार्ड मान्य होगा.
- शहरी गरीब और प्रवासियों के लिए रहने की जगह सरकार उपरलब्ध कराएगी.. कम कीमत में रहने के लिए रेंटल हाउसिंग स्कीम शुरू की जाएगी.
- रेहड़ी और ठेले वालों के लिए सरकार ने 5 हजार करोड़ देने की घोषणा की. ऐसे में प्रति व्यक्ति 10 हजार रुपए होंगे. ये राहत 1 महीने में सरकार लागू कर देगी.
सवाल : सरकार का दावा है कि शहरी बेघरों को केंद्र के पैसे से मिल रहा है तीन वक्त का खाना, इस दावे पर क्या कहना चाहते हैं.
जवाब : सरकार के दावे पहले से खोखले साबित हो रहे हैं, क्योंकि इस पैकेज की घोषणा के बाद सभी को काफी उम्मीदें थी कि सरकार सभी को राहत देगी. लेकिन जब राहत की जरूरत है तब नहीं दी जा रही है. सिर्फ खाली पन्नों पर घोषणाएं करने से किसी तरह की राहत नहीं मिलेगी.
अर्चना शर्मा ने कहा कि उन्हें नहीं लगता कि यहां श्रमिकों के लिए कोई अच्छी राहत दी गई है. कोई भी सरकार ऐसे समय में ये घोषणाएं करती. ऐसे में इसे खास घोषणाएं नहीं कहा जा सकता. उनके मुताबिक सरकार ने 2 महीने के लिए ये सब लागू करने की बात की लेकिन अभी कोई नहीं जानता कि ये महामारी लोगों पर कब तक असर रखेगी. ऐसे में ये रियायत नहीं है.
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सवाल : स्ट्रीट वेंडर्स के लिए 5000 करोड़ की विशेष सुविधा देने की बात कही है. जिसके तहत ऐसे व्यक्ति को 10 हजार तक की क्रेडिट सहायता मिल सकती है. इससे कितनी आर्थिक मदद रेहडी वालों और वेंडर्स को मिल सकती है ?
जवाब : जब ये घोषणा हुई तो बहुत आश्चर्य हुआ. पूरे देश में सिर्फ 50 लाख लोग ही वेंडर्स नहीं होंगे. इस घोषणा में जो रकम सरकार देगी, वो बैंक अकाउंट में जाएगी. ऐसे में वेंडर्स चलाने वालों को ऑनलाइन पैसे लेने की इतनी जानकारी नहीं है. वहीं लॉकडाउन के बीच अभी लोगों के पास पैसे नहीं है. आर्थिक सहायता अभी चाहिए. बाद में देने का कोई फायदा नहीं होगा.
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सवाल : आत्मनिर्भर बनाने की बात पर इन घोषणाओं और पूरे पैकेज को आप किस तरह देखती हैं.?
जवाब : नारा देना बड़ी नहीं है. आत्मनिर्भर का मतलब ये नहीं कि घोषणाएं कर दें. ये नारा हमेशा से महात्मा गांधी का रहा है. जिसे हमेशा से दरकिनार किया गया है. देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए भविष्य में और भी कदम उठाए जा सकते हैं. क्रूड ऑयल और गैस जिसमें हम सक्षम हैं, क्या हम उन्हें एक्सपोर्ट नहीं करेंगें. अभी जरूरत है लोगों तक राहत पहुंचाने की.