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स्पेशल: साइबर ठगी का शिकार होने पर तुरंत करें थाने में शिकायत, पुलिस दिला सकती है ठगी गई राशि वापस

हम जैसे-जैसे टेक्नोलॉजी की दुनिया में कदम बढ़ा रहे हैं, वैसे-वैसे साइबर क्राइम भी बढ़ता जा रहा है और ये सब हमारी-आपकी लापरवाही की वजह से हो रहा है. पुलिस की ओर से लोगों को जागरूक करने के लिए लगातार अभियान चलाए जा रहे हैं, बावजूद लोग साइबर ठगों का शिकार बन रहे हैं. ये साइबर ठग लालच देकर आपके क्रेडिट या डेबिट कार्ड के पासवर्ड जान लेते हैं और फिर आपके खाते से पैसे का ट्रांजेक्शन हो जाता है. अगर आप ठगी का शिकार होते हैं, तो इसकी सूचना तुरंत पुलिस को दें, ताकि पुलिस कार्रवाई कर आपके पैसे दिलवा सके.

Rajasthan Cyber Crime, साइबर ठगी का शिकार
ठगी का शिकार हो जाएं तो क्या करें?
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Published : Jan 7, 2021, 10:06 AM IST

Updated : Jan 7, 2021, 10:15 AM IST

जयपुर. साइबर ठग रोज नए तरीकों से लोगों को अपनी ठगी का शिकार बनाने में लगे हुए हैं. पुलिस की ओर से लोगों को जागरूक करने के लिए लगातार अभियान चलाए जाते हैं, लेकिन इसके बावजूद भी लोग साइबर ठगों का शिकार बन रहे हैं. साइबर ठगों की ओर से बिछाए गए जाल में फंसकर, लोग अपनी मेहनत की कमाई गंवाने में लगे हुए हैं. जब तक लोगों को उनके साथ हुई ठगी का अहसास होता है तब तक साइबर ठग लोगों के बैंक खातों से लाखों रुपए का ट्रांजैक्शन कर लेते हैं और फिर ठगी गई राशि को अलग-अलग बैंक खातों में ट्रांसफर कर विड्रॉ कर लेते हैं.

साइबर ठगी का शिकार होने पर तुरंत करें पुलिस में शिकायत

अगर बात राजधानी जयपुर की कि जाए तो हर दिन 3 से अधिक लोग साइबर ठगी का शिकार होते हैं. वैश्विक महामारी कोरोना के चलते बीते वर्षों की तुलना में साल 2020 में साइबर ठगी के मामलों में काफी कमी दर्ज की गई है. साइबर ठग अलग-अलग तरीकों से लोगों को अपने झांसे में लेकर ठगी का शिकार बनाते हैं. ऐसे कई तरीके हैं, जिसका लालच देकर साइबर ठग लोगों को अपने झांसे में लेते हैं. इसके बाद लोगों को एक लिंक भेज कर बैंक खाते, क्रेडिट कार्ड या डेबिट कार्ड की जानकारी मांगी जाती है और फिर लाखों रुपए का ट्रांजेक्शन कर लिया जाता है.

Rajasthan Cyber Crime, साइबर ठगी का शिकार
इन तरीकों से करते हैं ठगी

लालच की प्रवृत्ति के चलते लोग हो रहे ठगी का शिकार

एडिशनल डीसीपी वेस्ट, बजरंग सिंह शेखावत ने बताया कि लालच की प्रवृत्ति के चलते ही लोग साइबर ठगों के झांसे में आकर ठगी का शिकार हो रहे हैं. साइबर ठग लॉटरी निकालने का झांसा देकर या कैशबैक का झांसा देकर लोगों को टेक्स्ट मैसेज और व्हाट्सएप मैसेज के जरिए लिंक भेज कर ठगी का शिकार बना रहे हैं. साइबर ठग काफी शातिर होते हैं, जोकि लोगों को इमोशनली ब्लैकमेल कर और हड़बड़ी में लिंक भेज कर खाते की जानकारी और ओटीपी की जानकारी मांग कर ठगी की वारदात को अंजाम देते हैं. ऐसे में लोगों को सतर्क रहना चाहिए और कोई भी व्यक्ति खुद को बैंक कर्मचारी, इनकम टैक्स कर्मचारी या किसी अन्य विभाग का कर्मचारी बताकर फोन पर बैंक संबंधी या डेबिट और क्रेडिट कार्ड संबंधित जानकारी मांगे, तो उसे किसी भी तरह की कोई जानकारी और ओटीपी नहीं बताना चाहिए.

Rajasthan Cyber Crime, साइबर ठगी का शिकार
ठगी का शिकार हो जाएं तो क्या करें?

समय पर दें सूचना

एडिशनल डीसीपी वेस्ट, बजरंग सिंह शेखावत ने बताया कि ठगी का शिकार होने पर अगर व्यक्ति तुरंत पुलिस को सूचना दे, तो ठगी गई राशि को वापस हासिल किया जा सकता है. ऑनलाइन ट्रांजैक्शन होने के बाद कुछ समय ऐसा होता है जब एक खाते से दूसरे खाते में ट्रांसफर की जाने वाली राशि लूप में रहती है. ऐसे में पुलिस खाते को फ्रीज करवा कर ट्रांजेक्शन को रुकवा देती है और ठगी गई राशि ठग के अकाउंट में नहीं पहुंच पाती है.

Rajasthan Cyber Crime, साइबर ठगी का शिकार
साइबर क्राइम के आंकड़ों का वर्षवार विवरण

वहीं, कई मामलों में यह भी देखा गया है कि ठग काफी शातिर होते हैं और जब तक ठगी गई राशि उनके अकाउंट में नहीं पहुंच जाती है और उसे वह जब तक खाते से नहीं निकाल लेते हैं तब तक वह पीड़ित व्यक्ति को उलझा कर रखते हैं. ऐसे में पीड़ित व्यक्ति को ठगी का अहसास नहीं होता है और उसकी मेहनत की कमाई ठगों की ओर से हड़प ली जाती है. अधिकांश मामलों में ठगी का शिकार हुए लोगों की ओर से देरी से पुलिस में शिकायत दर्ज करवाने पर ठगी गई राशि वापस मिल पाना बेहद मुश्किल हो जाता है.

हालांकि, पुलिस की ओर से पूरी कोशिश की जाती है कि पीड़ित व्यक्ति को उसकी राशि वापस दिला दी जाए. जयपुर पुलिस की ओर से कई मामलों में कार्रवाई करते हुए ठगों को भी गिरफ्तार किया गया है और ठगी गई बड़ी राशि भी वापस पीड़ित लोगों को दिलवाई गई है.

जयपुर. साइबर ठग रोज नए तरीकों से लोगों को अपनी ठगी का शिकार बनाने में लगे हुए हैं. पुलिस की ओर से लोगों को जागरूक करने के लिए लगातार अभियान चलाए जाते हैं, लेकिन इसके बावजूद भी लोग साइबर ठगों का शिकार बन रहे हैं. साइबर ठगों की ओर से बिछाए गए जाल में फंसकर, लोग अपनी मेहनत की कमाई गंवाने में लगे हुए हैं. जब तक लोगों को उनके साथ हुई ठगी का अहसास होता है तब तक साइबर ठग लोगों के बैंक खातों से लाखों रुपए का ट्रांजैक्शन कर लेते हैं और फिर ठगी गई राशि को अलग-अलग बैंक खातों में ट्रांसफर कर विड्रॉ कर लेते हैं.

साइबर ठगी का शिकार होने पर तुरंत करें पुलिस में शिकायत

अगर बात राजधानी जयपुर की कि जाए तो हर दिन 3 से अधिक लोग साइबर ठगी का शिकार होते हैं. वैश्विक महामारी कोरोना के चलते बीते वर्षों की तुलना में साल 2020 में साइबर ठगी के मामलों में काफी कमी दर्ज की गई है. साइबर ठग अलग-अलग तरीकों से लोगों को अपने झांसे में लेकर ठगी का शिकार बनाते हैं. ऐसे कई तरीके हैं, जिसका लालच देकर साइबर ठग लोगों को अपने झांसे में लेते हैं. इसके बाद लोगों को एक लिंक भेज कर बैंक खाते, क्रेडिट कार्ड या डेबिट कार्ड की जानकारी मांगी जाती है और फिर लाखों रुपए का ट्रांजेक्शन कर लिया जाता है.

Rajasthan Cyber Crime, साइबर ठगी का शिकार
इन तरीकों से करते हैं ठगी

लालच की प्रवृत्ति के चलते लोग हो रहे ठगी का शिकार

एडिशनल डीसीपी वेस्ट, बजरंग सिंह शेखावत ने बताया कि लालच की प्रवृत्ति के चलते ही लोग साइबर ठगों के झांसे में आकर ठगी का शिकार हो रहे हैं. साइबर ठग लॉटरी निकालने का झांसा देकर या कैशबैक का झांसा देकर लोगों को टेक्स्ट मैसेज और व्हाट्सएप मैसेज के जरिए लिंक भेज कर ठगी का शिकार बना रहे हैं. साइबर ठग काफी शातिर होते हैं, जोकि लोगों को इमोशनली ब्लैकमेल कर और हड़बड़ी में लिंक भेज कर खाते की जानकारी और ओटीपी की जानकारी मांग कर ठगी की वारदात को अंजाम देते हैं. ऐसे में लोगों को सतर्क रहना चाहिए और कोई भी व्यक्ति खुद को बैंक कर्मचारी, इनकम टैक्स कर्मचारी या किसी अन्य विभाग का कर्मचारी बताकर फोन पर बैंक संबंधी या डेबिट और क्रेडिट कार्ड संबंधित जानकारी मांगे, तो उसे किसी भी तरह की कोई जानकारी और ओटीपी नहीं बताना चाहिए.

Rajasthan Cyber Crime, साइबर ठगी का शिकार
ठगी का शिकार हो जाएं तो क्या करें?

समय पर दें सूचना

एडिशनल डीसीपी वेस्ट, बजरंग सिंह शेखावत ने बताया कि ठगी का शिकार होने पर अगर व्यक्ति तुरंत पुलिस को सूचना दे, तो ठगी गई राशि को वापस हासिल किया जा सकता है. ऑनलाइन ट्रांजैक्शन होने के बाद कुछ समय ऐसा होता है जब एक खाते से दूसरे खाते में ट्रांसफर की जाने वाली राशि लूप में रहती है. ऐसे में पुलिस खाते को फ्रीज करवा कर ट्रांजेक्शन को रुकवा देती है और ठगी गई राशि ठग के अकाउंट में नहीं पहुंच पाती है.

Rajasthan Cyber Crime, साइबर ठगी का शिकार
साइबर क्राइम के आंकड़ों का वर्षवार विवरण

वहीं, कई मामलों में यह भी देखा गया है कि ठग काफी शातिर होते हैं और जब तक ठगी गई राशि उनके अकाउंट में नहीं पहुंच जाती है और उसे वह जब तक खाते से नहीं निकाल लेते हैं तब तक वह पीड़ित व्यक्ति को उलझा कर रखते हैं. ऐसे में पीड़ित व्यक्ति को ठगी का अहसास नहीं होता है और उसकी मेहनत की कमाई ठगों की ओर से हड़प ली जाती है. अधिकांश मामलों में ठगी का शिकार हुए लोगों की ओर से देरी से पुलिस में शिकायत दर्ज करवाने पर ठगी गई राशि वापस मिल पाना बेहद मुश्किल हो जाता है.

हालांकि, पुलिस की ओर से पूरी कोशिश की जाती है कि पीड़ित व्यक्ति को उसकी राशि वापस दिला दी जाए. जयपुर पुलिस की ओर से कई मामलों में कार्रवाई करते हुए ठगों को भी गिरफ्तार किया गया है और ठगी गई बड़ी राशि भी वापस पीड़ित लोगों को दिलवाई गई है.

Last Updated : Jan 7, 2021, 10:15 AM IST
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