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प्रदेश में बाल श्रम को रोकने के लिए चलाए जाएंगे विशेष अभियानः श्रम सचिव - Rajasthan Labor Department News

श्रम सचिव नीरज के पवन ने शुक्रवार को वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से विभागीय अधिकारियों की समीक्षा बैठक ली. इस दौरान उन्होंने निर्देश दिए कि प्रदेश में बाल श्रम को रोकने के लिए विशेष अभियान चलाया जाए.

Campaign to stop child labor,  Rajasthan Labor Department News
बाल श्रम को रोकने के लिए अभियान
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Published : Jun 20, 2020, 4:26 AM IST

जयपुर. प्रदेश में बाल श्रम जैसी कुप्रथा को संपूर्ण समाप्त करने के लिए श्रम विभाग की ओर से विशेष अभियान चलाए जाएं. यह निर्देश श्रम सचिव नीरज के पवन ने शुक्रवार को वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से विभागीय अधिकारियों की समीक्षा बैठक में दिए.

श्रम सचिव नीरज के पवन ने कहा, कोरोना के कारण गत 2-3 महीने में लगभग सभी उद्योग लॉकडाउन के कारण बंद रहे हैं और अब उद्योगों के प्रारंभ होने की शुरूआत है. इस शुरूआत के साथ ही सभी श्रमिक अपने-अपने निवास स्थान से पुनः अपने नियोजन के स्थान पर आ रहे हैं. उन्होंने कहा कि यह श्रमिकों और उद्योगों के लिए एक नई शुरूआत है. उन्होंने कहा कि हमें यह ध्यान रखना चाहिए कि इस दौर में श्रमिकों के काम पर लौटने के साथ-साथ कहीं बाल श्रमिक भी किसी कार्य में नियोजन के लिए प्रस्थान ना कर ले.

पढ़ें- राज्यसभा सदस्य बनाने के नाम पर 70 करोड़ रुपए की डिमांड करने वाले दो शातिर ठग SOG के हत्थे चढ़े

पवन ने श्रम विभाग के निरीक्षकों और अधिकारियों को अन्य सभी संबंधित विभागों और पुलिस, चाइल्ड लाईन, जिला प्रशासन, बाल कल्याण समितियां आदि के समन्वय एवं सहयोग से बाल श्रमिकों का नियोजन एवं पलायन दोनों रोकने के निर्देश दिए. उन्होंने कहा कि अभी हाल ही में जयपुर में खोह-नागोरियान में चूड़ी कारखाने में काम करने वाले 10 बाल श्रमिकों को मुक्त कराए जाने का कार्य विभागीय अधिकारियों की ओर से किया गया है.

जिलों में चलाया जाए सघन अभियान

नीरज के पवन ने सभी जिला स्तरीय श्रम अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि जिलों में सघन अभियान चलाया जाए, जिसमें मुख्य रूप से ईंट भट्टे, पटाखा उद्योग, अगरबत्ती, होटल ढाबे आदि का निरीक्षण किया जाए. ऐसे संस्थानों में बाल श्रमिक नियोजित पाए जाने पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी और नहीं पाए जाने पर नियोजक को बाल श्रम नियोजित नहीं करने के संबंध में जानकारी प्रदान कर उनसे बाल श्रमिक नियोजित नहीं करने का शपथ-पत्र लिया जाएगा.

इस दौरान संयुक्त श्रम आयुक्त धर्मपाल सिंह चौधरी ने जयपुर में बाल श्रमिक मुक्त कराने की उक्त घटना का विस्तार से बताया. उन्होंने बताया कि मुक्त कराए जाने वाले बाल श्रमिकों के नियोजकों से माननीय सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय की पालना में अनिवार्य रूप से 20 हजार रुपए की वसूली कर इस राशि से बालक का पुर्नवास करने और दिल्ली उच्च न्यायालय के निर्देशानुसार बाल श्रम नियोजित करने हेतु अपना भवन परिसर उपलब्ध कराने वाले मकान मालिक के विरूद्ध कार्रवाई कर भवन परिसर सीज करने की कार्रवाई सख्ती से करने के निर्देश प्रदान किए.

नयायालय में बाल श्रमिकों के प्रकरणों में दोषी नियोजक कानूनी कमियों के कारण मुक्त ना हो जाए, इसके लिए घटना की एवं बयान लिए जाते समय वीडियोग्राफी कराए जाने के निर्देश दिए. साथ ही सभी दस्तावेज सावधानी से एकत्रित करने के भी निर्देश दिए गए.

जयपुर. प्रदेश में बाल श्रम जैसी कुप्रथा को संपूर्ण समाप्त करने के लिए श्रम विभाग की ओर से विशेष अभियान चलाए जाएं. यह निर्देश श्रम सचिव नीरज के पवन ने शुक्रवार को वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से विभागीय अधिकारियों की समीक्षा बैठक में दिए.

श्रम सचिव नीरज के पवन ने कहा, कोरोना के कारण गत 2-3 महीने में लगभग सभी उद्योग लॉकडाउन के कारण बंद रहे हैं और अब उद्योगों के प्रारंभ होने की शुरूआत है. इस शुरूआत के साथ ही सभी श्रमिक अपने-अपने निवास स्थान से पुनः अपने नियोजन के स्थान पर आ रहे हैं. उन्होंने कहा कि यह श्रमिकों और उद्योगों के लिए एक नई शुरूआत है. उन्होंने कहा कि हमें यह ध्यान रखना चाहिए कि इस दौर में श्रमिकों के काम पर लौटने के साथ-साथ कहीं बाल श्रमिक भी किसी कार्य में नियोजन के लिए प्रस्थान ना कर ले.

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पवन ने श्रम विभाग के निरीक्षकों और अधिकारियों को अन्य सभी संबंधित विभागों और पुलिस, चाइल्ड लाईन, जिला प्रशासन, बाल कल्याण समितियां आदि के समन्वय एवं सहयोग से बाल श्रमिकों का नियोजन एवं पलायन दोनों रोकने के निर्देश दिए. उन्होंने कहा कि अभी हाल ही में जयपुर में खोह-नागोरियान में चूड़ी कारखाने में काम करने वाले 10 बाल श्रमिकों को मुक्त कराए जाने का कार्य विभागीय अधिकारियों की ओर से किया गया है.

जिलों में चलाया जाए सघन अभियान

नीरज के पवन ने सभी जिला स्तरीय श्रम अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि जिलों में सघन अभियान चलाया जाए, जिसमें मुख्य रूप से ईंट भट्टे, पटाखा उद्योग, अगरबत्ती, होटल ढाबे आदि का निरीक्षण किया जाए. ऐसे संस्थानों में बाल श्रमिक नियोजित पाए जाने पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी और नहीं पाए जाने पर नियोजक को बाल श्रम नियोजित नहीं करने के संबंध में जानकारी प्रदान कर उनसे बाल श्रमिक नियोजित नहीं करने का शपथ-पत्र लिया जाएगा.

इस दौरान संयुक्त श्रम आयुक्त धर्मपाल सिंह चौधरी ने जयपुर में बाल श्रमिक मुक्त कराने की उक्त घटना का विस्तार से बताया. उन्होंने बताया कि मुक्त कराए जाने वाले बाल श्रमिकों के नियोजकों से माननीय सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय की पालना में अनिवार्य रूप से 20 हजार रुपए की वसूली कर इस राशि से बालक का पुर्नवास करने और दिल्ली उच्च न्यायालय के निर्देशानुसार बाल श्रम नियोजित करने हेतु अपना भवन परिसर उपलब्ध कराने वाले मकान मालिक के विरूद्ध कार्रवाई कर भवन परिसर सीज करने की कार्रवाई सख्ती से करने के निर्देश प्रदान किए.

नयायालय में बाल श्रमिकों के प्रकरणों में दोषी नियोजक कानूनी कमियों के कारण मुक्त ना हो जाए, इसके लिए घटना की एवं बयान लिए जाते समय वीडियोग्राफी कराए जाने के निर्देश दिए. साथ ही सभी दस्तावेज सावधानी से एकत्रित करने के भी निर्देश दिए गए.

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