जयपुर. कोविड-19 महामारी के प्रति जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से प्रदेश में 21 जून से 30 जून तक अभियान चलाया जाएगा. इस दस दिवसीय विशेष अभियान में गांव-ढाणियों, वार्डाें एवं मोहल्लों तक लोगों को इस महामारी से बचाव के प्रति विभिन्न माध्यमों से जागरूक किया जाएगा. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की अध्यक्षता में सोमवार को समीक्षा बैठक में यह निर्णय लिया गया.
लॉकडाउन में लगातार छूट के बाद शुरू हुई व्यावसायिक एवं अन्य गतिविधियों के कारण संक्रमण का खतरा नहीं रहे और लोग कोरोना को लेकर लापरवाही नहीं बरते, इसी उद्देश्य से यह अभियान चलाया जाएगा. इसमें ग्राम स्तर तक आंगनबाड़ी सहायिका, एएनएम, आशा सहयोगिनी, ग्राम सेवक, पटवारी और स्थानीय जनप्रतिनिधियों के सहयोग से बैनर, पैम्पलेट सहित कोरोना को लेकर जागरूक करने वाली सामग्री घर-घर तक पहुंचाई जाएगी.
सीएम अशोक गहलोत ने कोविड-19 को लेकर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए अधिकारियों से फीडबैक लिया. कॉन्फ्रेंस के दौरान मुख्यमंत्री ने कहा कि बारिश का मौसम शुरू होने वाला है, ऐसे में संक्रामक और मौसमी बीमारियों के फैलने का खतरा बढ़ सकता है. कोविड-19 महामारी को लेकर अगले कुछ महीने हमें विशेष सतर्कता बरतनी होगी. किसी भी तरह की लापरवाही से संक्रमण बढ़ने की आशंका रहेगी.
गहलोत ने कहा कि अनलॉक-1 के पहले चरण में अधिकांश गतिविधियां शुरू हो गई है, ऐसे में लोग सोशल डिस्टेंसिंग रखने, मास्क पहनने एवं भीड़ से बचने जैसी सावधानियां रखें. इसके लिए व्यापक स्तर पर जागरूकता फैलाना जरूरी है. उन्होंने कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन एवं कई विशेषज्ञों के अनुसार आने वाले समय में कोरोना की स्थिति और विकट हो सकती है, ऐसे में पूरी तरह सजग और सतर्क रहना होगा.
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समीक्षा बैठक में मुख्यमंत्री गहलोत ने राज्य में कोरोना के इलाज के लिए गठित विशेषज्ञ चिकित्सकों के समूह से महामारी से लड़ने के लिए आगे की रणनीति और अधिकारियों से विभिन्न जिलों में संक्रमण की स्थिति, जांच व्यवस्था, उपकरणों की उपलब्धता, सहित अन्य विषयों पर फीडबैक लिया.
बढ़ जाता है हार्ट अटैक का खतरा
चिकित्सा मंत्री डॉ. रघु शर्मा ने अधिकारियों से कोरोना संक्रमण की वर्तमान स्थिति, अस्पतालों में आईसीयू बैड, वेंटिलेटर और जांच किट की उपलब्धता के बारे में जानकारी ली. विशेषज्ञ चिकित्सकों के समूह में शामिल विशेषज्ञों ने बताया कि कोविड-19 के संक्रमण से जिनकी मौतें हुई हैं, उनमें से कुछ की अस्पताल लाने से पहले ही मौत हो गई थी. मौत के कारण का पता लगाने के लिए किए गए विश्लेषण में कोरोना संक्रमण के अलावा हार्ट अटैक, श्वसन तंत्र के काम नहीं करने, आंतों में संक्रमण सहित अन्य बीमारियां भी कारणों के रूप में सामने आई हैं. कोविड-19 संक्रमण के कारण हार्टअटैक का खतरा भी बढ़ जाता है. संक्रमित मरीजों में खांसी और जुकाम के अलावा कई अन्य लक्षण भी मिले हैं.
मौतों का किया जा रहा है अध्ययन
समीक्षा बैठक में बताया गया कि राजस्थान में अब तक कोरोना से हुई मौतों का विशेषज्ञों के जरिए विश्लेषण किया जा रहा है. इन मौतों का गहन अध्ययन करने के लिए मृतकों के परिजनों से मिलकर रोगियों की पूरी केस हिस्ट्री, देरी से अस्पताल पहुंचने के कारणों और अन्य पुरानी बीमारियों आदि की जानकारी लेकर उसका तार्किक विश्लेषण किया जा रहा है.
टेस्टिंग क्षमता बढ़कर हुई 25 हजार
अतिरिक्त मुख्य सचिव, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य रोहित कुुमार सिंह ने बताया कि राजस्थान में कोरोना पॉजिटिव के ठीक होने की दर 73.24 प्रतिशत है, जो पूरे देश के औसत से अधिक है. शासन सचिव, चिकित्सा शिक्षा वैभव गालरिया ने बताया कि प्रदेश में टेस्टिंग क्षमता अब 25 हजार प्रतिदिन हो गई है. जिन जिलों में जांच सुविधा उपलब्ध नहीं है, वहां लैब बनाने का कार्य चल रहा है.
केस स्टडी कर जुटा रहे जानकारी
सवाई मानसिंह मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. सुधीर भण्डारी ने बताया कि सवाई मानसिंह अस्पताल में कुछ मरीज ऐसे पहुंचे थे, जिनकी अस्पताल आने से पहले ही मौत हो चुकी थी. उनके केस में स्टडी की जा रही है, जिसके निष्कर्ष जल्द ही मिल जाएंगे. साथ ही कोरोना संक्रमण के कारण आईसीयू में रखे गए कुछ मरीजों को खून पतला करने की दवाइयां भी दी जा रही है, जिससे हार्टअटैक का खतरा कम हो सके. उन्होंने बताया कि एसएमएस मेडिकल कॉलेज में अभी टेस्टिंग क्षमता 3500 प्रतिदिन है.
वीसी के दौरान मुख्य सचिव डीबी गुप्ता, अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह) राजीव स्वरूप, पुलिस महानिदेशक भूपेन्द्र सिंह, अतिरिक्त मुख्य सचिव (उद्योग) सुबोध अग्रवाल, सूचना एवं जनसंपर्क आयुक्त महेन्द्र सोनी, राजस्थान स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. राजाबाबू पंवार, एसएमएस अस्पताल के पूर्व अधीक्षक डॉ. वीरेन्द्र सिंह सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी एवं विशेषज्ञ चिकित्सक उपस्थित थे.