जयपुर. शहर को पश्चिम का पेरिस कहा जाता है. यहां परकोटे को यूनेस्को (UNESCO) ने विश्व विरासत के खिताब से भी नवाजा है. लेकिन ये तमगे बारिश के दौरान मुख्य मार्गों पर भरे पानी में बहते हुए नजर आते हैं. इस बार अक्टूबर महीने तक भी बारिश का दौर जारी रहा. इस दौरान कई बार शहर की सड़कें नदियों में तब्दील होती हुई दिखी. जिसनें शहर के ड्रेनेज सिस्टम को फेल साबित किया है.
परकोटे की जिम्मेदारी देख रहे हेरिटेज नगर निगम का काम इस बारिश में विफल साबित हुआ है. शहर के मुख्य बाजारों के व्यापारियों ने निगम की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े किए. हालांकि अब शहर के कुछ चिह्नित स्थानों पर ड्रेनेज सिस्टम को बेहतर करने का काम स्मार्ट सिटी लिमिटेड ने अपने हाथ में लिया है.
शहर में हर साल नालों की सफाई पर करोड़ों रुपए खर्च किए जाते हैं. बावजूद इसके बारिश के दौरान शहर में जगह-जगह जलजमाव की स्थिति बन जाती है. कहीं नालों की कैपेसिटी से ज्यादा पानी आ जाता है, तो कहीं नालों में रूकावट होने के चलते सड़कें ही नाले बन जाती हैं. हालांकि अब स्मार्ट सिटी लिमिटेड ने शहर के कुछ स्थानों को चिह्नित कर ड्रेनेज सिस्टम पर काम शुरू किया है.
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स्मार्ट सिटी लिमिटेड के सीईओ अवधेश मीणा ने बताया कि परकोटा क्षेत्र में करीब 8 जगह वाटर ड्रेनेज सिस्टम प्रोजेक्ट शुरू किया गया है. छोटी चौपड़ से नीचे ब्रह्मपुरी क्षेत्र में 6 करोड़ की लागत से ड्रेनेज सिस्टम के लिए अंडर ग्राउंड नाले डालने के साथ रोड और फुटपाथ का काम किया जाएगा. इसके अलावा खजाने वालों का रास्ता, राजहंस कॉलोनी, पौन्ड्रिक उद्यान के पास, चांदी की टकसाल क्षेत्र में भी सर्वे करवाकर काम किया जा रहा है.
हालांकि, स्मार्ट सिटी लिमिटेड भी चांदपोल बाजार में स्मार्ट रोड का काम कर चुका है. लेकिन यहां भी बारिश के दिनों में सड़कें पानी से लबालब हो गई थी. आलम ये था कि दुकानों में पानी भर जाने से 2 से 3 दिन तक व्यापारी अपना सामान ही सुखा रहे थे. बाद में पानी का डायवर्जन किया गया. ऐसे में स्मार्ट सिटी लिमिटेड ने अब ड्रेनेज सिस्टम को लेकर जिम्मेदारी भले ही ले ली हो. लेकिन काम संतुष्टि पूर्ण होगा या नहीं इस पर सवालिया निशान जरूर बना हुआ है.