जयपुर. पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाले प्लास्टिक के गिलास, चम्मच और प्लेट से लेकर झंडे-बैनर तक 1 जुलाई से प्रतिबंधित हो जाएंगे. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने इनके उत्पादन, भंडारण, वितरण और इस्तेमाल से जुड़े सभी पक्षों को नोटिस जारी किया है. जिसमें 30 जून से पहले स्टॉक खत्म करने के निर्देश दिए गए हैं. केंद्र सरकार की एडवाइजरी के साथ ही प्रदेश में प्लास्टिक के खिलाफ अभियान शुरू कर दिया गया है. खास करके राजधानी के दोनों निगम ने अभियान चलाकर समझाइश शुरू कर दी है. वहीं, दूसरे नगरीय निकायों में भी पहले समझाइश की जाएगी और फिर आवश्यकता पड़ने पर सख्ती बरती जाएगी.
साल 2019 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महात्मा गांधी की 150वीं (Single use plastics banned from july 1 in rajasthan) जयंती के अवसर पर देश को 2022 तक सिंगल यूज प्लास्टिक से मुक्त करने का लक्ष्य रखा था. जिसके बाद युद्ध स्तर पर सभी प्रदेशों में सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाते हुए, इसके विकल्प तलाशे गए. लेकिन कोरोना काल में दोबारा पॉलीथिन बैग, प्लास्टिक की बोतलें, फूड पैकेजिंग का धड़ल्ले से इस्तेमाल शुरू हो गया. यही नहीं सब्जी और फल विक्रेता भी कागज की थैलियां छोड़ एक बार फिर पॉलीथिन थैलियों को इस्तेमाल करने लगे.
1 जुलाई से पूरी तरह बैन होगा प्लास्टिक: हालांकि अब केंद्र सरकार की ओर से सिंगल यूज प्लास्टिक पर 1 जुलाई से पूर्ण प्रतिबंध लगाना प्रस्तावित किया गया है. ऐसे में बेहतर क्रियान्वयन के लिए सभी पहलुओं पर विचार किया जा रहा है. लेकिन विडंबना ये है कि जिन पर सिंगल यूज प्लास्टिक को रोकने की जिम्मेदारी है, उन्हीं के दफ्तरों में सिंगल यूज प्लास्टिक बोतल का इस्तेमाल हो रहा है. यही नहीं कचरे में करीब 20 से 40 फीसदी प्लास्टिक मौजूद रहता है. जिसे सेग्रीगेट कर निस्तारित करने के लिए भी पर्याप्त व्यवस्था नहीं है.
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केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण मंडल की रिपोर्ट के अनुसार राजस्थान में प्रतिबंध के बावजूद हर दिन 1,100 टन से ज्यादा प्लास्टिक वेस्ट जनरेट हो रहा है. हालांकि 2010 में राजस्थान में प्लास्टिक को बैन किया गया था. सख्ती बरतते हुए प्लास्टिक कैरी बैग का इस्तेमाल करने वालों का चालान कर जुर्माना वसूलने और आवश्यकता पड़ने पर कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए. लेकिन अभियान के दौरान ही इन पर नकेल लग पाती है, फिर वापस वही हाल हो जाता है.
ये हैं सिंगल यूज़ प्लास्टिक: 40 माइक्रोमीटर या उससे कम स्तर के प्लास्टिक (Campaign to aware people about harmful effects of plastic) को सिंगल यूज प्लास्टिक में शामिल किया गया है. इसका मतलब प्लास्टिक से बनी वो चीजें, जो एक बार ही उपयोग में लाई जाती हैं और फिर फेंक दी जाती हैं. इनमें सब्जी की पॉलीथिन कैरीबैग, चाय के प्लास्टिक कप, चाट गोलगप्पे वाली प्लास्टिक प्लेट, बाजार से खरीदी पानी की बोतल, स्ट्रॉ सिंगल यूज प्लास्टिक के उदाहरण हैं.
हालांकि ग्रेटर निगम महापौर डॉ सौम्या गुर्जर के अनुसार सबसे ज्यादा प्लास्टिक सब्जी मंडियों के जरिए शहर में आता है. ऐसे में सेंट्रल गवर्नमेंट की एडवाइजरी आने के साथ ही अभियान चलाते हुए सब्जी मंडियों में क्रेता और विक्रेताओं से प्लास्टिक कैरी बैग इस्तेमाल नहीं करने की अपील की गई. साथ ही कपड़े के थैले भी बांटे जा रहे हैं. अगले सप्ताह प्लास्टिक का निर्माण करने वाली फैक्ट्री संचालकों से भी मीटिंग की जाएगी. इस दौरान उन्हें प्लास्टिक का कोई दूसरा सब्स्टीट्यूट तैयार करने की बात रखी जाएगी.
समझाने पर भी नहीं माने तो होगी कार्रवाई: पहले संचालकों को समझाइश की जाएगी, लेकिन यदि इससे काम नहीं चलेगा तो अगले महीने से सख्ती भी की जाएगी. वहीं उन्होंने बताया कि शुरुआत निगम परिसर से की गई है. यहां प्लास्टिक बोतल के इस्तेमाल को खत्म करते हुए कागज के गिलास में पानी पिलाना शुरू किया गया है. हालांकि इन गिलास पर भी प्लास्टिक की परत होती है, ऐसे में नया विकल्प आते ही इसमें भी बदलाव कर दिया जाएगा.
जयपुर में प्लास्टिक वेस्ट को इस्तेमाल करके रिफ्यूज ड्राइ फ्यूल बनाया जा रहा है. जिसका सीमेंट प्लांट में इस्तेमाल किया जाता है. इसके अलावा पर्यटन स्थलों पर प्लास्टिक बोतल क्रश मशीन लगाने की भी प्लानिंग की जा रही है. हेरिटेज निगम कमिश्नर और स्मार्ट सिटी सीईओ अवधेश मीणा के अनुसार हेरिटेज निगम जागृत जयपुर अभियान चलाएगा. साथ ही एनफोर्समेंट टीम गठित कर सख्ती भी की जाएगी. सिंगल यूज प्लास्टिक को लेकर डिटेल गाइडलाइन जारी किया गया है. इसमें सभी प्लास्टिक डिस्पोजल शामिल हैं. उन्होंने माना कि फिलहाल निगम में भी सिंगल यूज प्लास्टिक इस्तेमाल हो रहा है. जब अभियान शुरू होगा तो हेरिटेज निगम भी इसमें लीड करेगा, और सिंगल यूज प्लास्टिक को खत्म किया जाएगा.
प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट की बात की जाए तो: प्रदेश में हर दिन 15000 मीट्रिक टन कचरा जनरेट होता है. इनमें 20 प्रतिशत प्लास्टिक वेस्ट शामिल हैं. जयपुर शहर का कुल वेस्ट 1400 मीट्रिक टन है जिसमें प्लास्टिक वेस्ट 280 मीट्रिक टन है. 300 मीट्रिक टन के लिए आरडीएफ और 300-300 मीट्रिक टन के एमआरएफ का टेंडर लगा रखा है. इसके अलावा 700 मीट्रिक टन कचरा वेस्ट टू एनर्जी में इस्तेमाल किया जा रहा है.
पहले समझाइश, फिर कड़ाई: जयपुर शहर के अलावा प्रदेश के दूसरे नगरीय निकायों को लेकर एलएसजी सचिव डॉ जोगाराम ने कहा कि सिंगल यूज प्लास्टिक को बंद करने की तारीख निर्धारित की गई है. हाल ही में हुई स्टेट लेवल की मीटिंग में सभी म्युनिसिपल कॉरपोरेशन और लोकल बॉडीज को निर्देश दिए गए हैं कि पहले जागरूकता अभियान चलाया जाए और इसके बाद सख्ती का दौर शुरू किया जाएगा. केंद्र सरकार के प्रस्ताव के अनुसार प्रदेश में सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाने के लिए प्रभावित समूहों से चर्चा करने, अनावश्यक उपयोग को कड़ाई से प्रतिबंधित करने और जहां जरूरी है उसके लिए अन्य विकल्प तलाशने के निर्देश भी दिए गए हैं. लेकिन वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए फिलहाल ये एक बड़ी चुनौती रहेगी.