जयपुर. धार्मिक आस्था के नजरिए से सावन माह का महीना बेहद पावन होता है. यह महीना भगवान शिव को अति प्रिय है, इसी महीने नाग पंचमी का पर्व भी आता है. नाग पंचमी का त्यौहार नाग देवताओं को समर्पित है. इस लिए खासतौर पर इस दिन नाग देवता की पूजा की जाती हैं. ऐसे में शनिवार को शुक्ल पंचमी को नाग पंचमी भी है.
सावन के माह में इस बार राजस्थान में नाग पंचमी श्रवण कृष्ण पंचमी यानी 10 जुलाई को थी, जबकि शुक्ल पंचमी 25 जुलाई यानी की आज है. ज्योतिषाचार्य पंडित पुरुषोत्तम गौड़ ने बताया कि, श्रवण मास में कृष्ण पंचमी और शुक्ल पंचमी दोनों आती है.
नाग पंचमी को जिन लोगों के राहु, केतु और उनके मध्य शनि होता है, तो कालसर्प योग बनता है. जिसके तहत काल का मतलब मृत्यु और सर्प यानी सांप तो मृत्यु जैसा जीवन इंसान कालसर्प योग में जीता है. इस योग में कार्य बनते बनते अचानक बिगड़ जाते है, यहां तक की कुछ अशुभ होने की आंशका मन मे बरकरार रहती है. ऐसे में भक्त समझे की ये कालसर्प योग के लक्षण है.
उन्होंने बताया कि, कालसर्प योग के निवारण के लिए सावन माह की पंचमी को पूजन अर्चन किया जाता है, जो कि नाग देवता के लिए किया जाता है. जीव-जंतुओं में नाग को देवता मानकर लोग पूजा करते है. क्योंकि वो भगवान शिव के गले का हार है और इससे पूजन अर्चन करने से अवरुद्ध काम बनने लग जाएंगे. साथ ही अशुभ होने की आंशका का भी निवारण होता है.
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बता दें कि, धार्मिक मान्यताओं के अनुसार नाग पंचमी के दिन नाग देवता की आराधना करने से भक्तों को उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है. क्योंकि भोलेनाथ के गले में भी नाग देवता वासुकि लिपटे रहते हैं. वही इस बार नाग पंचमी के दिन खास संयोग भी बन रहा है. नाग पंचमी पर 8 नाग देवताओं के पूजा का विधान है. इनमें वासुकि, तक्षक, कालिया, मणिभद्रक, ऐरावत, धृतराष्ट्र, कर्कोटक और धनंजय नामक अष्टनाग आते हैं, इनकी पूजा से भक्तों को भय से मुक्ति मिलती है.