जयपुर: शक्ति की उपासना का पर्व शारदीय नवरात्रि (Shardiya Navratri) आज गुरुवार को सम्पन्न हो जाएगा. शारदीय नवरात्रि के 9वें दिन देवी भगवती के सिद्धिदात्री (Siddhidatri) स्वरूप की पूजा की जाती है.
नवदुर्गा में देवी सिद्धिदात्री को भक्तों के सभी कष्टों और विपत्तियों का नाश करने वाली और सांसारिक बंधनों से मुक्ति प्रदान करने वाली माना गया है. मान्यता है कि मोक्ष की कामना रखने वाले भक्तों को देवी भगवती के इस स्वरूप की पूजा करनी चाहिए.
ज्योतिर्विद श्रीराम गुर्जर (Sriram Gurjar) बताते हैं कि जो जातक मोक्ष के अभिलाषी हैं या जो जातक मोक्ष (Moksha) चाहते हैं. उन्हें देवी सिद्धिदात्री की आराधना अवश्य करनी चाहिए. देवी सिद्धिदात्री ही सभी सिद्धियों की स्वामिनी मानी गई हैं. इसलिए जो भक्त अष्टसिद्धियों में से कोई भी सिद्धि प्राप्त करना चाहते हैं. उन्हें भी देवी भगवती के सिद्धिदात्री स्वरूप की आराधना अवश्य करनी चाहिए.
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देवी का यह स्वरूप सांसारिक बंधनों और मोहमाया से मुक्ति देने वाला माना गया है. इसलिए मोह माया से मुक्ति की कामना करने वाले जातक भी देवी के इस स्वरूप की आराधना करते हैं. वे बताते हैं कि देवी सिद्धिदात्री को हलवा, खीर-पूड़ी और नारियल का भोग लगाना चाहिए. लाल, पीले और श्वेत रंग के सुगंधित पुष्प अर्पित करने से भी देवी सिद्धिदात्री प्रसन्न होती हैं और भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी कर दुखों और कष्टों का विनाश करती हैं.
देवी मंदिर में नवाह्न मंत्र से शीघ्र प्रसन्न होती हैं देवी (Mantra Jaap)
नवरात्रि में किसी भी देवी मंदिर में जाकर वहां नवाह्न मंत्र (ॐ ऐं ह्रीं क्लीम चामुंडायै विच्चे) का अधिक से अधिक जाप करना चाहिए. इसके बाद कोई अटका हुआ काम या जो कोई भी मनोकामना हो. उसे पूरी करने की देवी भगवती से प्रार्थना करनी चाहिए.