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Severe Cold Wave In Rajasthan: जमने लगी मरुभूमि, कई जिलों तापमान जमाव बिंदु से नीचे हुआ रिकॉर्ड, जयपुर के जोबनेर में पारा माइनस-5 - Weather Observatory At Sri Karan Narendra Agriculture University

शीतलहर ने पूरी मरुभूमि को अपनी चपेट में ले (Severe Cold Wave In Rajasthan) लिया है. कई जिले बर्फ की चादर में लिपटे नजर आ रहे हैं. जयपुर के जोबनेर कस्बे में न्यूनतम तापमान ने अब तक के सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं.आज कस्बे में पहली बार तापमान माइनस 5 डिग्री पर पहुंच गया.

Severe Cold Wave In Rajasthan
साग सब्जियों पर जमी बर्फ
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Published : Dec 19, 2021, 9:41 AM IST

Updated : Dec 19, 2021, 11:00 AM IST

जोबनेर (जयपुर): शीतलहर का अच्छा खासा असर (Severe Cold Wave In Rajasthan) मरुभूमि में दिख रहा है. धोरों की धरती पर सफेद चादर सी बिछी दिख रही है. पारा जमाव बिंदु को पार कर चुका है. कई जिलों में कल की ही तरह आज (19 दिसंबर 2021) भी तापमान माइनस में रिकॉर्ड किया गया है. जयपुर के जोबनेर कस्बे में न्यूनतम तापमान ने अब तक के सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं.आज कस्बे में पहली बार तापमान माइनस 5 डिग्री पर पहुंच गया. श्री कर्ण नरेंद्र कृषि विश्वविद्यालय की मौसम वेधशाला (Weather Observatory At Sri Karan Narendra Agriculture University ) में ओपन पैन में रखा पानी पूरी तरह से बर्फ बन गया.

जयपुर के जोबनेर में पारा माइनस-5

पेड़, झाड़ी, पानी सब गए जम

डीप फ्रीज में जमे पानी की तरह ही चीजें जमती जा (Temperature Goes Below Freezing Point) रही हैं. अगर बात खेतों की की जाए तो झाड़ियों पर घास फूस पर बर्फ की सफेद पर देखी जा सकती है. हाड़ कम्पाने वाली ठंड के चलते लोगों का घर से निकलना भी मुहाल हो गया है. जोबनेर कस्बे में दूसरी बार लगातार तापमान माइनस में गया है. कल तापमान माइनस 2 डिग्री दर्ज किया गया था. विगत 10 सालों की बात करें तो दिसंबर के शुरुआती 20 दिनों में पहली बार ऐसा हुआ है कि 2 दिन तक लगातार तापमान माइनस में गया है.

पढ़ें- जमा हिल स्टेशन: पारा @0, कड़ाके की ठण्ड से छूटी धुजनी

बर्फ से फसलों को नुकसान

प्रदेश में कई जगह पर तेज कड़ाके की ठंड (Severe Cold Wave In Rajasthan) के साथ बर्फ की परत जमने से फसलों को नुकसान हुआ है. कड़ाके की ठंड और बर्फ ने किसानों का हाल बेहाल कर दिया है. सब्जी और अन्य फसलें प्रभावित हुई हैं. खेतों में धुंआ करके और सिंचाई करके फसलों को बचाने का प्रयास किया जा रहा है.

Severe शीत लहर को लेकर अलर्ट

मौसम विभाग ने आज प्रदेश के 5 जिलों में अति शीतलहर को लेकर ऑरेंज अलर्ट जारी (Severe Cold Wave In Rajasthan) किया है. साथ ही 20 जिलों में शीतलहर को लेकर येलो अलर्ट जारी किया है. विभाग ने अलवर, भीलवाड़ा, झुंझुनू, सीकर और चूरू जिले में अति शीतलहर को लेकर ऑरेंज अलर्ट जारी किया है. वहीं, बारां, बूंदी, चित्तौड़गढ़, जयपुर, दौसा, भरतपुर, धौलपुर, करौली, कोटा, सवाई माधोपुर, प्रतापगढ़, टोंक, बीकानेर, हनुमानगढ़, श्रीगंगानगर और नागौर जिले में शीतलहर की संभावना है.

क्या होता है पाला और उसके लक्षण?

जब वायुमंडल का तापमान शून्य डिग्री सेल्सियस या फिर इससे नीचे चला जाता है ( Temperature Goes Below Freezing Point) तो हवा का प्रवाह बंद हो जाता है, इस वजह से पौधों के Stomata यानी कोशिकाओं के अंदर और ऊपर का पानी जम जाता है. जमा हुआ पानी ठोस बर्फ की पतली परत बना देता है. इसे ही पाला पड़ना कहते हैं. इससे पौधों की कोशिकाओं की दीवारों को नुकसान होता है. पाला पड़ने की वजह से कार्बन डाइऑक्साइड, ऑक्सीजन और वाष्प की विनियम प्रक्रिया भी बाधित होती है. इससे फलदार पेड़ों की Productivity पर विपरीत असर पड़ता है. पत्तियां झूलसने लगती हैं. पत्ते, टहनियां और तने के नष्ट होने से पौधों में अधिक बीमारियां लगने का खतरा रहता है.

किन फसलों पर पड़ता है इसका असर?

सब्जियों, पपीता, आम और अमरूद पर पाले का प्रभाव अधिक पड़ता है. टमाटर, मिर्च, बैंगन, पपीता, मटर, चना, अलसी, सरसों, जीरा, धनिया, सौंफ आदि फसलों पर पाला पड़ने के दिन में ज्यादा नुकसान की आशंका रहती है. जबकि अरहर, गन्ना, गेहूं व जौ पर पाले का असर कम दिखाई देता है. ठंड में उगाए जाने वाले पौधे 2 डिग्री सेंटीग्रेट तक का तापमान सहन कर सकते हैं. इससे कम ये सहन नहीं कर पाते हैं.

जोबनेर (जयपुर): शीतलहर का अच्छा खासा असर (Severe Cold Wave In Rajasthan) मरुभूमि में दिख रहा है. धोरों की धरती पर सफेद चादर सी बिछी दिख रही है. पारा जमाव बिंदु को पार कर चुका है. कई जिलों में कल की ही तरह आज (19 दिसंबर 2021) भी तापमान माइनस में रिकॉर्ड किया गया है. जयपुर के जोबनेर कस्बे में न्यूनतम तापमान ने अब तक के सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं.आज कस्बे में पहली बार तापमान माइनस 5 डिग्री पर पहुंच गया. श्री कर्ण नरेंद्र कृषि विश्वविद्यालय की मौसम वेधशाला (Weather Observatory At Sri Karan Narendra Agriculture University ) में ओपन पैन में रखा पानी पूरी तरह से बर्फ बन गया.

जयपुर के जोबनेर में पारा माइनस-5

पेड़, झाड़ी, पानी सब गए जम

डीप फ्रीज में जमे पानी की तरह ही चीजें जमती जा (Temperature Goes Below Freezing Point) रही हैं. अगर बात खेतों की की जाए तो झाड़ियों पर घास फूस पर बर्फ की सफेद पर देखी जा सकती है. हाड़ कम्पाने वाली ठंड के चलते लोगों का घर से निकलना भी मुहाल हो गया है. जोबनेर कस्बे में दूसरी बार लगातार तापमान माइनस में गया है. कल तापमान माइनस 2 डिग्री दर्ज किया गया था. विगत 10 सालों की बात करें तो दिसंबर के शुरुआती 20 दिनों में पहली बार ऐसा हुआ है कि 2 दिन तक लगातार तापमान माइनस में गया है.

पढ़ें- जमा हिल स्टेशन: पारा @0, कड़ाके की ठण्ड से छूटी धुजनी

बर्फ से फसलों को नुकसान

प्रदेश में कई जगह पर तेज कड़ाके की ठंड (Severe Cold Wave In Rajasthan) के साथ बर्फ की परत जमने से फसलों को नुकसान हुआ है. कड़ाके की ठंड और बर्फ ने किसानों का हाल बेहाल कर दिया है. सब्जी और अन्य फसलें प्रभावित हुई हैं. खेतों में धुंआ करके और सिंचाई करके फसलों को बचाने का प्रयास किया जा रहा है.

Severe शीत लहर को लेकर अलर्ट

मौसम विभाग ने आज प्रदेश के 5 जिलों में अति शीतलहर को लेकर ऑरेंज अलर्ट जारी (Severe Cold Wave In Rajasthan) किया है. साथ ही 20 जिलों में शीतलहर को लेकर येलो अलर्ट जारी किया है. विभाग ने अलवर, भीलवाड़ा, झुंझुनू, सीकर और चूरू जिले में अति शीतलहर को लेकर ऑरेंज अलर्ट जारी किया है. वहीं, बारां, बूंदी, चित्तौड़गढ़, जयपुर, दौसा, भरतपुर, धौलपुर, करौली, कोटा, सवाई माधोपुर, प्रतापगढ़, टोंक, बीकानेर, हनुमानगढ़, श्रीगंगानगर और नागौर जिले में शीतलहर की संभावना है.

क्या होता है पाला और उसके लक्षण?

जब वायुमंडल का तापमान शून्य डिग्री सेल्सियस या फिर इससे नीचे चला जाता है ( Temperature Goes Below Freezing Point) तो हवा का प्रवाह बंद हो जाता है, इस वजह से पौधों के Stomata यानी कोशिकाओं के अंदर और ऊपर का पानी जम जाता है. जमा हुआ पानी ठोस बर्फ की पतली परत बना देता है. इसे ही पाला पड़ना कहते हैं. इससे पौधों की कोशिकाओं की दीवारों को नुकसान होता है. पाला पड़ने की वजह से कार्बन डाइऑक्साइड, ऑक्सीजन और वाष्प की विनियम प्रक्रिया भी बाधित होती है. इससे फलदार पेड़ों की Productivity पर विपरीत असर पड़ता है. पत्तियां झूलसने लगती हैं. पत्ते, टहनियां और तने के नष्ट होने से पौधों में अधिक बीमारियां लगने का खतरा रहता है.

किन फसलों पर पड़ता है इसका असर?

सब्जियों, पपीता, आम और अमरूद पर पाले का प्रभाव अधिक पड़ता है. टमाटर, मिर्च, बैंगन, पपीता, मटर, चना, अलसी, सरसों, जीरा, धनिया, सौंफ आदि फसलों पर पाला पड़ने के दिन में ज्यादा नुकसान की आशंका रहती है. जबकि अरहर, गन्ना, गेहूं व जौ पर पाले का असर कम दिखाई देता है. ठंड में उगाए जाने वाले पौधे 2 डिग्री सेंटीग्रेट तक का तापमान सहन कर सकते हैं. इससे कम ये सहन नहीं कर पाते हैं.

Last Updated : Dec 19, 2021, 11:00 AM IST
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