जयपुर. पतंजलि की ओर से हाल ही में कोरोना की दवा बनाने का दावा किया गया है. राजधानी जयपुर के निम्स मेडिकल यूनिवर्सिटी में इस दवा का ट्रायल किया गया था. लेकिन लॉन्चिंग के बाद से ही दवा विवादों में गिरती नजर आई और इसके क्लीनिकल ट्रायल को लेकर भी सवाल उठने लगे.
जयपुर के निम्स मेडिकल कॉलेज में इस दवा का क्लीनिकल ट्रायल करीब 100 मरीजों पर किया गया था. जब यह जानकारी बाहर आई तो हड़कंप मचा और केंद्र के साथ ही राज्य सरकार ने इस दवा को बैन कर दिया. जिसके बाद राजस्थान सरकार के चिकित्सा विभाग ने निम्स मेडिकल यूनिवर्सिटी से जवाब भी मांगा है कि आखिर किस आधार पर उन्होंने इस दवा का ट्रायल किया.
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जिसे लेकर यूनिवर्सिटी के चेयरमैन डॉ. बीएस तोमर ने कहा कि उनके पास आईसीएमआर की विंग सीटीआरआई का सर्टिफिकेट था, जिसके आधार पर उन्होंने क्लिनिकल ट्रायल किया है. वहीं, इस मामले में जब आयुष मंत्रालय के सीनियर एडवाइजर डॉक्टर डीसी कटोच से ईटीवी भारत ने फोन पर बातचीत की, तो उन्होंने कहा कि क्लिनिकल ट्रायल के लिए आयुष मंत्रालय की परमिशन नहीं बल्कि आईसीएमआर के सीटीआरआई की परमिशन जरूरी होती है.
भारत सरकार की ओर से जारी किए गए एक नोटिफिकेशन को लेकर भी डॉ. डीसी कटोच ने कहा कि गाइडलाइन जारी की गई थी और उसमें नियमों का उल्लेख भी किया गया था.
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हालांकि, निम्स मेडिकल कॉलेज के चेयरमैन डॉक्टर बीएफ तोमर ने भी दावा किया है कि उनके पास आईसीएमआर की ओर से जारी किया गया सर्टिफिकेट है. जिसके आधार पर ही यह क्लिनिकल ट्रायल किया गया है.