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सरपंचों ने कहा- 2 साल से नहीं मिला अनुदान, गांवों में विकास कार्य ठप पड़े हैं - जयपुर न्यूज

सरपंच संघ राजस्थान की ओर से गुरुवार को सरपंचों ने जिला कलेक्टर को ज्ञापन दिया. ज्ञापन के माध्यम से 20 मांगे रखी गई और जल्द से जल्द इन्हें पूरी करने की मांग भी की. इस दौरान जयपुर जिले के सरपंच मौजूद रहे. सरपंचों का कहना है कि 2 साल से उन्हें अनुदान नहीं मिला है जिससे गांव के विकास कार्य ठप पड़े हैं.

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सरपंच संघ राजस्थान
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Published : Feb 11, 2021, 9:30 PM IST

जयपुर. सरपंच संघ राजस्थान की ओर से गुरुवार को सरपंचों ने जिला कलेक्टर को ज्ञापन दिया. ज्ञापन के माध्यम से 20 मांगे रखी गई और जल्द से जल्द इन्हें पूरी करने की मांग भी की. इस दौरान जयपुर जिले के सरपंच मौजूद रहे. सरपंचों का कहना है कि 2 साल से उन्हें अनुदान नहीं मिला है जिससे गांव के विकास कार्य ठप पड़े हैं.

सरपंच संघ राजस्थान ने कलेक्टर को सौंपा ज्ञापन

सरपंच संघ के कार्यकारी अध्यक्ष बंशीधर गढ़वाल के नेतृत्व में सरपंचों ने जिला कलेक्टर को ज्ञापन दिया. ज्ञापन में मांग की गई कि पंचायती राज संस्थाओं को 29 विषय में से पांच विषय के ग्राम पंचायत स्तरीय सभी कार्य कर्मचारी एवं ग्राम पंचायतों के नियंत्रण में किए जाएं और शेष 24 विषयों को भी पंचायती राज संस्थाओं को हस्तांतरित किए जाएं. सरपंच ने मांग की पीड़ी खाता खोलने का निर्णय सरकार ने वापस ले लिया है लेकिन लिखित में कुछ भी आदेश नहीं निकाला गया. इसलिए निदेशालय कोष एवं लेखा विभाग के द्वारा जारी 24 दिसंबर 2020 और पंचायती राज विभाग के आदेश 8 जनवरी 2021 के आदेश को वापस लिया जाए.

पढ़ें: उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू की गोद ली हुई ग्राम पंचायत का सरपंच 20 हजार की रिश्वत लेते गिरफ्तार

राज्य वित्त आयोग पंचम के वर्ष 2019-20 के पहली और दूसरी किश्त एवं प्रोत्साहन राशि के कुल 2964 करोड़ रुपए का भुगतान पंचायती राज संस्थाओं को किया जाए. जिसका भी अनुमोदन मुख्यमंत्री ने कर दिया है. इसके अलावा नरेगा योजना में 1 वर्ष से ज्यादा समय से लंबित सामग्री बिलों का भुगतान किया जाए. सरपंच ने मांग की कि ग्राम पंचायत में कराए जाने वाली निर्माण कार्यों के लिए उपापन नियम 2013 में संशोधन कर ई-टेंडरिंग और ट्रेडिंग प्रणाली से पूर्णता छूट दी जाए और ग्राम पंचायतों से कराए जाने वाले कार्य की सामग्री का क्रय जिला स्तरीय दर निर्धारण समिति द्वारा विधिवत अनुमोदित की गई दर से की जाने की अनुमति दी जाए.

केंद्र और राज्य सरकार से ग्राम पंचायतों को हस्तांतरित राशि की प्रधासनिक एवं वित्तीय स्वीकृति की 5 लाख की सीमा को समाप्त किया जाए और कार्य की लागत के अनुसार प्रशासनिक एवं वित्तीय स्वीकृति निकालने की सभी अधिकार ग्राम पंचायतों को दिए जाएं. केंद्रीय वित्त आयोग एवं राज्य वित्त आयोग में प्राप्त अधिकांश अनुदान का उपयोग पेयजल योजनाओं के विद्युत बिल भुगतान में हो जाता है. इसलिए सरपंचों ने मांग की कि जनता जल योजना सहित सभी पेयजल योजनाएं जिनका सृजन ग्राम पंचायतों द्वारा नहीं किया गया है, उनका विद्युत बिल का भुगतान जन स्वास्थ्य एवं अभियांत्रिकी विभाग व उपभोक्ता समूह से करवाने का प्रावधान किया जाए.

वर्ष 2014 एवं 2019 में पंचायत राज संस्थाओं के पुनर्गठन के बाद नवसृजित 2179 ग्राम पंचायतों में भवनों व अन्य सुविधा उपलब्ध कराई जाए. ग्राम विकास अधिकारियों के रिक्त पदों पर भी भर्ती शीघ्र की जाए. सरपंचों ने अपना मानदेय 4000 से बढ़ाकर 15000 मासिक करने, वार्ड पंचों का बैठक भत्ता 500 रुपये और पंचायत समिति व जिला परिषद सदस्यों का बैठक भत्ता 1000 प्रति बैठक किया जाए. जोबनेर पंचायत समिति की अध्यक्ष शारदा मेहता ने बताया कि केंद्र और राज्य सरकार की ओर से मिलने वाला अनुदान अभी तक हमें नहीं मिला है और पिछले दो साल से सरपंच हाथ पर हाथ रखकर बैठा हुआ है.

जयपुर. सरपंच संघ राजस्थान की ओर से गुरुवार को सरपंचों ने जिला कलेक्टर को ज्ञापन दिया. ज्ञापन के माध्यम से 20 मांगे रखी गई और जल्द से जल्द इन्हें पूरी करने की मांग भी की. इस दौरान जयपुर जिले के सरपंच मौजूद रहे. सरपंचों का कहना है कि 2 साल से उन्हें अनुदान नहीं मिला है जिससे गांव के विकास कार्य ठप पड़े हैं.

सरपंच संघ राजस्थान ने कलेक्टर को सौंपा ज्ञापन

सरपंच संघ के कार्यकारी अध्यक्ष बंशीधर गढ़वाल के नेतृत्व में सरपंचों ने जिला कलेक्टर को ज्ञापन दिया. ज्ञापन में मांग की गई कि पंचायती राज संस्थाओं को 29 विषय में से पांच विषय के ग्राम पंचायत स्तरीय सभी कार्य कर्मचारी एवं ग्राम पंचायतों के नियंत्रण में किए जाएं और शेष 24 विषयों को भी पंचायती राज संस्थाओं को हस्तांतरित किए जाएं. सरपंच ने मांग की पीड़ी खाता खोलने का निर्णय सरकार ने वापस ले लिया है लेकिन लिखित में कुछ भी आदेश नहीं निकाला गया. इसलिए निदेशालय कोष एवं लेखा विभाग के द्वारा जारी 24 दिसंबर 2020 और पंचायती राज विभाग के आदेश 8 जनवरी 2021 के आदेश को वापस लिया जाए.

पढ़ें: उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू की गोद ली हुई ग्राम पंचायत का सरपंच 20 हजार की रिश्वत लेते गिरफ्तार

राज्य वित्त आयोग पंचम के वर्ष 2019-20 के पहली और दूसरी किश्त एवं प्रोत्साहन राशि के कुल 2964 करोड़ रुपए का भुगतान पंचायती राज संस्थाओं को किया जाए. जिसका भी अनुमोदन मुख्यमंत्री ने कर दिया है. इसके अलावा नरेगा योजना में 1 वर्ष से ज्यादा समय से लंबित सामग्री बिलों का भुगतान किया जाए. सरपंच ने मांग की कि ग्राम पंचायत में कराए जाने वाली निर्माण कार्यों के लिए उपापन नियम 2013 में संशोधन कर ई-टेंडरिंग और ट्रेडिंग प्रणाली से पूर्णता छूट दी जाए और ग्राम पंचायतों से कराए जाने वाले कार्य की सामग्री का क्रय जिला स्तरीय दर निर्धारण समिति द्वारा विधिवत अनुमोदित की गई दर से की जाने की अनुमति दी जाए.

केंद्र और राज्य सरकार से ग्राम पंचायतों को हस्तांतरित राशि की प्रधासनिक एवं वित्तीय स्वीकृति की 5 लाख की सीमा को समाप्त किया जाए और कार्य की लागत के अनुसार प्रशासनिक एवं वित्तीय स्वीकृति निकालने की सभी अधिकार ग्राम पंचायतों को दिए जाएं. केंद्रीय वित्त आयोग एवं राज्य वित्त आयोग में प्राप्त अधिकांश अनुदान का उपयोग पेयजल योजनाओं के विद्युत बिल भुगतान में हो जाता है. इसलिए सरपंचों ने मांग की कि जनता जल योजना सहित सभी पेयजल योजनाएं जिनका सृजन ग्राम पंचायतों द्वारा नहीं किया गया है, उनका विद्युत बिल का भुगतान जन स्वास्थ्य एवं अभियांत्रिकी विभाग व उपभोक्ता समूह से करवाने का प्रावधान किया जाए.

वर्ष 2014 एवं 2019 में पंचायत राज संस्थाओं के पुनर्गठन के बाद नवसृजित 2179 ग्राम पंचायतों में भवनों व अन्य सुविधा उपलब्ध कराई जाए. ग्राम विकास अधिकारियों के रिक्त पदों पर भी भर्ती शीघ्र की जाए. सरपंचों ने अपना मानदेय 4000 से बढ़ाकर 15000 मासिक करने, वार्ड पंचों का बैठक भत्ता 500 रुपये और पंचायत समिति व जिला परिषद सदस्यों का बैठक भत्ता 1000 प्रति बैठक किया जाए. जोबनेर पंचायत समिति की अध्यक्ष शारदा मेहता ने बताया कि केंद्र और राज्य सरकार की ओर से मिलने वाला अनुदान अभी तक हमें नहीं मिला है और पिछले दो साल से सरपंच हाथ पर हाथ रखकर बैठा हुआ है.

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