जयपुर. अनलॉक के चौथे चरण में सभी सरकारी और निजी दफ्तर पूरी तरह से खुल चुके हैं. निजी और सरकारी दफ्तरों में कोरोना से बचाव के लिए प्रशासन ने दिशा-निर्देश जारी किए हैं. लेकिन उन निर्देशों को शहर के कई सरकारी दफ्तरों में दरकिनार कर दिया जाता है. सरकार ने सभी सरकारी दफ्तरों को सैनिटाइज करने और कमरों में सैनिटाइजर रखने को लेकर गाइडलाइन बनाई है. जिसकी अवहेलना लगातार देखने को मिलती रहती है. जबकि निजी कार्यालयों और दफ्तरों में सरकारी गाइडलाइन की पालना देखने को मिल रही है.
CMR और CMO तक पहुंचा कोरोना
मुख्यमंत्री निवास और मुख्यमंत्री दफ्तर में भी कोरोना ने दस्तक दे दी है. पिछले दिनों सीएमआर और सीएमओ के कर्मचारी भी कोरोना पॉजिटिव मिले थे. इसके बाद दोनों ही दफ्तरों के सभी कर्मचारियों की सैंपलिंग की गई थी. सीएमआर, सीएमओ और सचिवालय के अलावा अन्य कई सरकारी दफ्तरों में कर्मचारी कोरोना पॉजिटिव हो चुके हैं. जिससे साफ हो जाता है कि सरकारी दफ्तरों में कोविड-19 के दिशा निर्देशों की पालना सही से नहीं की जा रही है.
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कलेक्ट्रेट में भी हो रही लापरवाही
जयपुर जिला कलेक्ट्रेट में पूरे जिले का प्रशासनिक अमला बैठता है. जयपुर जिले का पूरा कंट्रोल यहीं से होता है. इसके बावजूद यहां भी कोविड-19 के दिशा निर्देशों की पालना नहीं की जा रही. जब लॉकडाउन चल रहा था तो बाहर से आने वाले प्रत्येक व्यक्ति का तापमान चेक किया जा रहा था, उसके हाथ सैनिटाइज कराए जा रहे थे.
लेकिन जैसे ही अनलॉक का दौर शुरू हुआ, वैसे ही प्रशासन भी लापरवाही पर उतर आया. आलम ये है कि यहां आने वाले किसी भी व्यक्ति के न तो तापमान की जांच की जाती है और ना ही उसके हाथ सैनिटाइज कराए जाते हैं. जबकि कलेक्ट्रेट में संक्रमण के फैलने का खतरा ज्यादा है, क्योंकि यहां सैंकड़ों लोग अपने काम के लिए पहुंचते हैं.
यहां लगी एकल विंडो भी कोविड-19 के खतरे को निमंत्रण दे रही है. एकल विंडो पर जाति, मूल निवास, ईडब्ल्यूएस प्रमाण पत्र, पेंशन, जन आधार कार्ड, खाद्य सुरक्षा योजना में नाम जुड़वाने सहित कई लोग यहां आते हैं. लेकिन भीड़ ज्यादा होने पर एकल विंडो पर भी सोशल डिस्टेंसिंग की पालना नहीं हो पाती है. कई बार इसकी शिकायत भी अधिकारियों को की जा चुकी है, लेकिन इसके बावजूद भी कोई कार्रवाई नहीं हो रही.
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पॉजिटिव आने के बाद दफ्तर हो रहे सैनिटाइज
आम तौर पर सरकारी दफ्तरों को नियमित सैनिटाइज नहीं किया जा रहा है. किसी व्यक्ति के पॉजिटिव मिलने के बाद ही पूरे कार्यालय को सैनिटाइज किया जा रहा है. पिछले दिनों सीएमआर, सीएमओ, सचिवालय और स्वास्थ भवन में जब पॉजिटिव मरीज सामने आए थे, तो दफ्तरों को भी सैनिटाइज किया गया था.
सरकारी दफ्तरों में आए पॉजिटिव मरीजों की संख्या
मुख्यमंत्री आवास और कार्यालय- 12 लोगों से अधिक
डीजीपी ऑफिस- 1
सचिवालय- 12 लोगों से अधिक
स्वास्थ्य भवन- 30 लोगों से ज्यादा
नगर निगम- 11
पीएचक्यू- 6 लोगों के करीब
नगर निगम ग्रेटर के कमिश्नर दिनेश यादव ने बताया कि अगर किसी दफ्तर, कॉलोनी या घर में कोई पॉजिटिव मरीज आता है, तो उस जगह को सैनिटाइज करने का काम निरंतर किया जा रहा है और आगे भी यह काम निरंतर जारी रखा जाएगा.
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दिनेश यादव ने कहा कि सरकारी दफ्तरों में भी हम नियमित सैनिटाइज करने की व्यवस्था कर रहे हैं. लेकिन सरकारी दफ्तरों में पब्लिक से सीधी डीलिंग होती है. इसलिए वहां पॉजिटिव मरीज आने की संभावना बढ़ जाती है. कमिश्नर यादव ने कहा कि हाल ही में बारिश बहुत ज्यादा हुई. जिसके कारण निगम के अधिकारी भी लोगों के संपर्क में ज्यादा आए हैं. हमारे यहां भी चार डीसी कोरोना पॉजिटिव आ चुके हैं.
निगम सहित अन्य दफ्तरों में भी बचाव के संभावित उपाय किए जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि बचाव ही कोरोना का उपचार है. हम लोगों को कोविड-19 के दिशा निर्देशों की पालना करनी होगी. उन्होंने कहा कि पॉजिटिव मरीजों के साथ ही हमारे राज्य में रिकवरी रेट बहुत अच्छा है.
वाल्मीकि सफाई कर्मचारी संघ के अध्यक्ष नंदकिशोर डंडोरिया ने बताया कि जब उच्च अधिकारियों का निर्देश आता है. उसके बाद हम लोग सरकारी दफ्तरों में सैनिटाइजेशन करते हैं या फिर कोरोना पॉजिटिव मरीज आता है, तो सैनिटाइजेशन कराया जाता है. हालांकि हम लोगों को भी संक्रमित होने का डर रहता है.
हमने पहले भी उच्च अधिकारियों से मास्क, दस्ताने, सैनिटाइजर सहित अन्य सुरक्षा उपकरणों की मांग की थी. जिसकी जरूरत हमें आज भी है. उन्होंने बताया कि कोरोना संक्रमण फैल रहा है, निगम के अधिकारी और कर्मचारी भी इससे अछूते नहीं है. सफाई कर्मचारी इस महामारी से अग्रिम पंक्ति में खड़ा होकर डटकर मुकाबला कर रहा है. कंटेनमेंट जोन में हम पीपीई किट पहनकर सैनिटाइजेशन का काम करते हैं, ताकि हम लोगों का भी बचाव हो सके.