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Kargil Vijay Diwas : अग्निपथ योजना से सैनिकों की एक ही पलटन में वर्गीकरण खतरनाक- मानवेंद्र सिंह

आज यानी 26 जुलाई को कारगिल विजय दिवस है. जम्मू-कश्मीर के कारगिल में भारत और पाकिस्तान के बीच मई से जुलाई 1999 तक युद्ध चला था. इस युद्ध में भारत की जीत हुई थी. इस जंग में जीत के उपलक्ष्य में हर साल 26 जुलाई को 'विजय दिवस' के तौर पर मनाया जाता है. जयपुर में भी सैनिक कल्याण विभाग की और से विजय दिवस मनाया गया . इस दौरान सैनिक कल्याण सलाहकार समिति के अध्यक्ष मानवेंद्र सिंह जसोल ने ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए अग्निपथ योजना को लेकर केंद्र सरकार पर निशाना (Manvendra Singh targeted the central government) साधा.

Kargil Vijay Diwas
सैनिक कल्याण सलाहकार समिति के अध्यक्ष मानवेंद्र सिंह जसोल
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Published : Jul 26, 2022, 4:20 PM IST

जयपुर. आज देश भर में भारतीय सेना के शौर्य और पराक्रम का प्रतीक कारगिल विजय दिवस (Kargil Vijay Diwas) मनाया जा रहा है. यह दिन हर साल 26 जुलाई को मनाया जाता है . साल 1999 में कारगिल युद्ध में देश के बहादुर जवानों ने पाकिस्तान को धूल चटाते हुए विजय हासिल की थी. भारत-पाकिस्तान के बीच हुए कारगिल युद्ध का कोड नाम ऑपरेशन विजय था . इस विजय दिवस को देश भर में गौरव के साथ मनाया जाता है .

कारगिल युद्ध में राजस्थान के 60 वीर सपूतों ने वीरगति प्राप्त की थी. सैनिकों की इस वीरगति को याद करते हुए जयपुर में अमर जवान ज्योति पर सैनिक कल्याण विभाग की और से विजय दिवस मनाया गया. इस मौके पर ईटीवी भारत से ख़ास बात करते हुए सैनिक कल्याण सलाहकार समिति के अध्यक्ष मानवेंद्र सिंह जसोल ने अग्निपथ योजना को लेकर केंद्र की मोदी सरकार को निशाने पर लिया. जसोल ने कहा सैनिकों की एक ही पलटन में वर्गीकरण आने वाली दिनों के लिए खतरनाक होगा.

सैनिक कल्याण सलाहकार समिति के अध्यक्ष मानवेंद्र सिंह जसोल का बयान

पढ़ें: कारगिल विजय दिवस : शेखावाटी के दिलेरों से दहला था दुश्मन देश, वीरांगनाएं बोलीं- अब चीन पर पड़ेंगे भारी

विजय दिवस आने वाली पीढ़ी को प्रेरणा देते हैंः मानवेंद्र सिंह ने कहा कि 26 जुलाई, 1999 को भारतीय सेना ने ऑपरेशन विजय के तहत पाकिस्तान सैनिकों को हराया था. तब से देश के बहादुर सैनिकों की और से दिखाए गए अदम्य साहस, वीरता और सर्वोच्च बलिदान की याद में उस दिन को कारगिल विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है. इससे पहले 1965 और 1971 की जंग में भी पाकिस्तान भारत से हार चुका है. कारगिल की यह जंग 60 दिन से ज्यादा चली थी. इस जंग को ऑपरेशन विजय नाम दिया गया.

इस जंग में पाकिस्तान से लड़ते हुए भारत के 527 जवान शहीद हो गए थे. आज सभी देशवासी देश के लिए अपने प्राण न्योछावर करने वाले शहीदों को याद कर रहे हैं. देश उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित कर रहा है. भारतीय सेना के साहस और शौर्य को नमन किया जा रहा है. जसोल ने कहा कि विभाग की और आगे भी विजय दिवस को इसी तरह से मनाया जाएगा ताकी युवाओं को प्रेरणा मिल सके . जसोल ने कहा कि हमारी आने वाली पीढ़ी को सैनिकों के बलिदान और अदम्य साहस के बारे में जानकारी देना जरुरी है.

सैनिकों के परिजनों को अनुकंपा नियमों में देंगे राहतः मानवेंद्र सिंह जसोल ने कहा भूतपूर्व सैनिकों और शहीद के परिजनों की कुछ समस्याएं है जिसको लेकर आज चर्चा हुई है. जल्द ही उनका निराकरण किया जाएगा. जसोल ने कहा कि कुछ सैनिकों के परिजनों की अनुकंपा नियुक्ति को लेकर नियमों में दिक्कत आ रही है. इस पर भी उच्च स्तर पर फैसला हो चुका है , जल्द ही मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की अध्यक्षता में कैबिनेट की बैठक होगी. इसमें किस तरह से नियमों में सरलीकरण किया जा सकता है, इसको लेकर फैसला होगा . जिन अनुकम्पा नियुक्तियों में दिक्कत आ रही है वो पूरी होगी . शहीदों के परिजनों का सम्मान देश के लिए सबसे पहले है.

पढ़ें: Kargil Vijay Diwas 2022: करगिल के 'शेरशाह' कैप्टन विक्रम बत्रा के बिना अधूरी है उस जंग की कहानी

सैनिकों में वर्गीकरण ठीक नहींः केंद्र सरकार की अग्निपथ योजना को लेकर मानवेंद्र सिंह ने कहा कि अग्निपथ योजना देश और सेना के लिए सही नहीं है, यह खतरनाक योजना है . इससे सेना का बड़ा नुकसान होगा . आरोप लगाते हुछए कहा कि सैनिकों की पलटन में वर्गीकरण ठीक नहीं है . यह रोजगार देने का मामला नहीं है, आर्मी की संस्कृति से खिलवाड़ है . आने वालों दिनों में इसका बहुत खतरनाक असर सामने होगा, जो देश की सुरक्षा के लिए अच्छा नहीं है.

मानवेंद्र सिंह का कहना है कि 6 महीने में सेना का जवान तैयार नहीं हो सकता है. पुलिस के कांस्टेबल को तैयार होने में 9 माह लगते हैं, इसके बाद वह पुलिस की लाठी चलाने के लिए तैयार होता है. 6 माह में तैयार जवान तो लाठी चलाने लायक भी नहीं होगा. सैनिक कैसे तैयार होगा? . उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि सेना में भर्ती जवान को 6 महीने की ट्रेनिंग के बाद वर्दी पहन कर भेज देंगे , जिस यूनिट में भेजेंगे वहां पर उसे स्वीकार नहीं करेंगे. एक सेना की पलटन में वर्गीकरण हो जाएगा. उन्होंने कहा कि सेना के जवान के रिटायरमेंट के बाद जो दिक्क़ते मौजूदा वक्त में आर ही हैं वो ही खत्म नहीं हो रहा है. फिर इस अग्निपथ योजनाओं में लगाए गए सैनिकों को तीन चार साल बाद ही आप घर भेज देंगे, उनकी आने वाली समस्याओं को कौन देखेगा?.

पढ़ें: नागौर: बंदरों के हमले में दो बच्चियां घायल, ग्रामीणों ने एसडीएम और तहसीलदार को सौंपा ज्ञापन

सेना का बेड़ा गर्क करने वाली योजनाः सैनिक कल्याण मंत्री राजेंद्र गुढ़ा ने कहा कि केंद्र की मोदी सरकार जो अग्निपथ योजना लेकर आई है वो सेना और देश का बेड़ा गर्क करने वाली है. इस योजना से देश के सेना के जवानों का जज्बा काम होगा. केंद्र सरकार को इस योजना पर पुनर्विचार करना चाहिए . गुढ़ा ने कहा की यह समझ से परे है की इतने कम समय में कैसे तो बच्चों को ट्रेनिंग दे देंगे और 4 साल के बाद के बाद उन युवाओं का क्या भविष्य होगा?.

जयपुर. आज देश भर में भारतीय सेना के शौर्य और पराक्रम का प्रतीक कारगिल विजय दिवस (Kargil Vijay Diwas) मनाया जा रहा है. यह दिन हर साल 26 जुलाई को मनाया जाता है . साल 1999 में कारगिल युद्ध में देश के बहादुर जवानों ने पाकिस्तान को धूल चटाते हुए विजय हासिल की थी. भारत-पाकिस्तान के बीच हुए कारगिल युद्ध का कोड नाम ऑपरेशन विजय था . इस विजय दिवस को देश भर में गौरव के साथ मनाया जाता है .

कारगिल युद्ध में राजस्थान के 60 वीर सपूतों ने वीरगति प्राप्त की थी. सैनिकों की इस वीरगति को याद करते हुए जयपुर में अमर जवान ज्योति पर सैनिक कल्याण विभाग की और से विजय दिवस मनाया गया. इस मौके पर ईटीवी भारत से ख़ास बात करते हुए सैनिक कल्याण सलाहकार समिति के अध्यक्ष मानवेंद्र सिंह जसोल ने अग्निपथ योजना को लेकर केंद्र की मोदी सरकार को निशाने पर लिया. जसोल ने कहा सैनिकों की एक ही पलटन में वर्गीकरण आने वाली दिनों के लिए खतरनाक होगा.

सैनिक कल्याण सलाहकार समिति के अध्यक्ष मानवेंद्र सिंह जसोल का बयान

पढ़ें: कारगिल विजय दिवस : शेखावाटी के दिलेरों से दहला था दुश्मन देश, वीरांगनाएं बोलीं- अब चीन पर पड़ेंगे भारी

विजय दिवस आने वाली पीढ़ी को प्रेरणा देते हैंः मानवेंद्र सिंह ने कहा कि 26 जुलाई, 1999 को भारतीय सेना ने ऑपरेशन विजय के तहत पाकिस्तान सैनिकों को हराया था. तब से देश के बहादुर सैनिकों की और से दिखाए गए अदम्य साहस, वीरता और सर्वोच्च बलिदान की याद में उस दिन को कारगिल विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है. इससे पहले 1965 और 1971 की जंग में भी पाकिस्तान भारत से हार चुका है. कारगिल की यह जंग 60 दिन से ज्यादा चली थी. इस जंग को ऑपरेशन विजय नाम दिया गया.

इस जंग में पाकिस्तान से लड़ते हुए भारत के 527 जवान शहीद हो गए थे. आज सभी देशवासी देश के लिए अपने प्राण न्योछावर करने वाले शहीदों को याद कर रहे हैं. देश उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित कर रहा है. भारतीय सेना के साहस और शौर्य को नमन किया जा रहा है. जसोल ने कहा कि विभाग की और आगे भी विजय दिवस को इसी तरह से मनाया जाएगा ताकी युवाओं को प्रेरणा मिल सके . जसोल ने कहा कि हमारी आने वाली पीढ़ी को सैनिकों के बलिदान और अदम्य साहस के बारे में जानकारी देना जरुरी है.

सैनिकों के परिजनों को अनुकंपा नियमों में देंगे राहतः मानवेंद्र सिंह जसोल ने कहा भूतपूर्व सैनिकों और शहीद के परिजनों की कुछ समस्याएं है जिसको लेकर आज चर्चा हुई है. जल्द ही उनका निराकरण किया जाएगा. जसोल ने कहा कि कुछ सैनिकों के परिजनों की अनुकंपा नियुक्ति को लेकर नियमों में दिक्कत आ रही है. इस पर भी उच्च स्तर पर फैसला हो चुका है , जल्द ही मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की अध्यक्षता में कैबिनेट की बैठक होगी. इसमें किस तरह से नियमों में सरलीकरण किया जा सकता है, इसको लेकर फैसला होगा . जिन अनुकम्पा नियुक्तियों में दिक्कत आ रही है वो पूरी होगी . शहीदों के परिजनों का सम्मान देश के लिए सबसे पहले है.

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सैनिकों में वर्गीकरण ठीक नहींः केंद्र सरकार की अग्निपथ योजना को लेकर मानवेंद्र सिंह ने कहा कि अग्निपथ योजना देश और सेना के लिए सही नहीं है, यह खतरनाक योजना है . इससे सेना का बड़ा नुकसान होगा . आरोप लगाते हुछए कहा कि सैनिकों की पलटन में वर्गीकरण ठीक नहीं है . यह रोजगार देने का मामला नहीं है, आर्मी की संस्कृति से खिलवाड़ है . आने वालों दिनों में इसका बहुत खतरनाक असर सामने होगा, जो देश की सुरक्षा के लिए अच्छा नहीं है.

मानवेंद्र सिंह का कहना है कि 6 महीने में सेना का जवान तैयार नहीं हो सकता है. पुलिस के कांस्टेबल को तैयार होने में 9 माह लगते हैं, इसके बाद वह पुलिस की लाठी चलाने के लिए तैयार होता है. 6 माह में तैयार जवान तो लाठी चलाने लायक भी नहीं होगा. सैनिक कैसे तैयार होगा? . उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि सेना में भर्ती जवान को 6 महीने की ट्रेनिंग के बाद वर्दी पहन कर भेज देंगे , जिस यूनिट में भेजेंगे वहां पर उसे स्वीकार नहीं करेंगे. एक सेना की पलटन में वर्गीकरण हो जाएगा. उन्होंने कहा कि सेना के जवान के रिटायरमेंट के बाद जो दिक्क़ते मौजूदा वक्त में आर ही हैं वो ही खत्म नहीं हो रहा है. फिर इस अग्निपथ योजनाओं में लगाए गए सैनिकों को तीन चार साल बाद ही आप घर भेज देंगे, उनकी आने वाली समस्याओं को कौन देखेगा?.

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सेना का बेड़ा गर्क करने वाली योजनाः सैनिक कल्याण मंत्री राजेंद्र गुढ़ा ने कहा कि केंद्र की मोदी सरकार जो अग्निपथ योजना लेकर आई है वो सेना और देश का बेड़ा गर्क करने वाली है. इस योजना से देश के सेना के जवानों का जज्बा काम होगा. केंद्र सरकार को इस योजना पर पुनर्विचार करना चाहिए . गुढ़ा ने कहा की यह समझ से परे है की इतने कम समय में कैसे तो बच्चों को ट्रेनिंग दे देंगे और 4 साल के बाद के बाद उन युवाओं का क्या भविष्य होगा?.

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