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Rajasthan Reservation Movement : अलग आरक्षण की मांग सामाजिक जनगणना के बिना कैसे होगी पूरी, MBC रिजर्वेशन को भी कोर्ट में दी थी चुनौती...

भरतपुर में माली समाज का आरक्षण आंदोलन (Demand for Reservation in Bharatpur) भड़क गया है. माली समाज राजस्थान आरक्षण संघर्ष समिति ने 12 फीसदी आरक्षण की मांग के साथ जयपुर-आगरा हाईवे पर प्रदर्शन कर रहा है. लेकिन OBC में 12 प्रतिशत अलग आरक्षण की ये मांग इन समाजों की आबादी का सर्वे कराए या जातिगत आधारित जनगणना के बिना पूरी नहीं हो सकती. यहां समझिए पूरा गणित...

Rajasthan Reservation Movement
माली, कुशवाहा, सैनी और शाक्य मौर्य समाज का आरक्षण आंदोलन
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Published : Jun 14, 2022, 8:24 PM IST

जयपुर. प्रदेश में आरक्षण की आग फिर भड़कने लगी है. इस बार ओबीसी के 21 प्रतिशत आरक्षण में सैनी, माली, मौर्य, कुशवाहा और सूर्यवंशी समाज अलग से 12 प्रतिशत आरक्षण की मांग पर भरतपुर में सड़कों पर आन्दोलनरत है. ये मांग तभी पूरी हो सकती है जब सरकार इन समाजों की आबादी का सर्वे कराए या जातिगत आधारित जनगणना हो. पूर्व में जस्टिस इसरानी आयोग ने नवंबर 2012 में विशेष पिछड़ा वर्ग आरक्षण को लेकर (Caste Based Census in India) जो रिपोर्ट सरकार को सौंपी थी, उसमें भी इन समाजों की आबादी से जुड़े आंकड़े नहीं थे और उसे सार्वजनिक भी नहीं किया गया.

92 समाज ले रहे हैं 21 प्रतिशत आरक्षण का लाभ, ये समाज होंगे नाराज : वर्तमान में प्रदेश में ओबीसी में 92 जातियां शामिल है जो 21 प्रतिशत आरक्षण का लाभ ले रही हैं. अब तक यही बहस चलती आई है कि इसमें सबसे ज्यादा आरक्षण का लाभ कौन सी जाति ले रही है. यह बहस होना लाजमी भी है, क्योंकि पूर्व में गुर्जर सहित पांच समाज जो ओबीसी में आते थे, उन्होंने भी अलग से आरक्षण के लिए लंबी लड़ाई लड़ी और सरकार ने 5 प्रतिशत एमबीसी आरक्षण दिया. हालांकि, यह आरक्षण दिए जाने से प्रदेश में आरक्षण की सीमा 50 प्रतिशत से अधिक हो गई और इसे कोर्ट में चुनोती भी दी गई जो अब भी विचाराधीन है. अब यदि माली, सैनी, मौर्य, कुशवाहा और सूर्यवंशी समाज जो ओबीसी में ही आते हैं, उन्हें 12 प्रतिशत आरक्षण दे दिया गया तो ओबीसी आरक्षण कोटे में शामिल जाट सहित अन्य समाज इससे नाराज हो सकते हैं.

किसने क्या कहा, सुनिए...

समता आंदोलन समिति ने कहा- आंदोलन सरकार द्वारा प्रायोजित, रोहणी आयोग की सिफारिश हो लागू : भरतपुर में चल रहे माली और सैनी समाज के इस आंदोलन को समता आंदोलन समिति अध्यक्ष पाराशर नारायण शर्मा ने सरकार द्वारा प्रायोजित आंदोलन बताया. उन्होंने कहा कि 50 प्रतिशत आरक्षण की सीमा से अधिक आरक्षण पूरी तरह गैरकानूनी और संविधान के खिलाफ है. उनके अनुसार पूर्व में रोहणी आयोग ने ओबीसी आरक्षण के वर्गीकरण की सिफारिश की थी, लेकिन ना केंद्र ने उस पर अमल किया और ना ही राज्य सरकारें इस पर अमल कर रही है. उनके अनुसार आज ओबीसी में शामिल कुछ जातियां ऐसी हैं जो आरक्षण का अधिकतर लाभ उठा रही हैं. ऐसे में सरकार ओबीसी आरक्षण का वर्गीकरण करे, लेकिन आरक्षण की सीमा 50 प्रतिशत से अधिक ना करे, क्योंकि पूर्व में भी ऐसा हुआ और उसके खिलाफ न्यायालय में वाद चल रहे हैं.

एमबीसी आरक्षण संघर्ष समिति ने दिया समर्थन, कहा- आबादी के लिहाज से मिले आरक्षण : उधर गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति और एमबीसी आरक्षण संघर्ष समिति के अध्यक्ष विजय बैंसला ने कुशवाहा, सूर्यवंशी, मौर्य, माली और सैनी समाज के ओबीसी में 12 प्रतिशत आरक्षण की मांग का समर्थन (Vijay Bainsla Supported Protest) करते हुए कहा कि हर समाज को उसकी आबादी के लिहाज से आरक्षण का लाभ मिलना चाहिए. बैंसला ने कहा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत स्वयं इसी समाज से आते हैं. ऐसे में उन्हें अपने समाज से जुड़ी इस मांग को पूरा करने के लिए जो भी वैधानिक प्रक्रिया है, उसे अपनाना चाहिए. बैंसला ने सामाजिक आधार पर जनगणना की मांग का भी समर्थन किया और कहा कि इसके होने से सभी समाजों का आबादी से जुड़ा आंकड़ा सामने आ सकेगा. उनके अनुसार अभी राजनीतिक तौर पर अनुसूचित जाति और जनजाति को आरक्षण मिल रहा है, जबकि इसमें ओबीसी समाज को भी शामिल किया जाना चाहिए.

पढ़ें : Demand for Reservation in Bharatpur : माली, कुशवाहा, सैनी और शाक्य मौर्य समाज का आरक्षण आंदोलन, NH-21 पर किया चक्का जाम

अभी राजस्थान में मिल रहा 64 प्रतिशत आरक्षण : वर्तमान में राजस्थान में कुल 64 प्रतिशत आरक्षण का लाभ विभिन्न जातियों को मिल रहा है. इनमें ओबीसी को 21 प्रतिशत, अनुसूचित जाति समाज को 16 प्रतिशत, अनुसूचित जनजाति समाज को 12 प्रतिशत, ईडब्ल्यूएस को 10 प्रतिशत और एमबीसी समाज को 5 प्रतिशत का आरक्षण दिया जा रहा है. अब माली, सैनी, मौर्य, कुशवाहा और सूर्यवंशी समाज आरक्षण संघर्ष समिति और उसके पदाधिकारी दावा कर रहे हैं कि इन समाजों की जनसंख्या पूरे प्रदेश में करीब 12 से 15 प्रतिशत है. लिहाजा उन्हें उसी अनुपात में आरक्षण दिया जाए.

Demand for Separate Reservation in OBC
आरक्षण की मांग सामाजिक जनगणना के बिना कैसे होगी पूरी

यह आपको बता दें कि ओबीसी के तहत 12 प्रतिशत आरक्षण की मांग को लेकर सूर्यवंशी, कुशवाहा, मौर्य, सैनी और माली समाज के लोग भरतपुर में (Reservation movement in Bharatpur) हाईवे पर जाम लगा कर बैठे हैं. आंदोलनकारियों का कहना है कि सरकार ने मांग पर ध्यान नहीं दिया तो वह रेलवे ट्रैक भी जाम कर देंगे.

जयपुर. प्रदेश में आरक्षण की आग फिर भड़कने लगी है. इस बार ओबीसी के 21 प्रतिशत आरक्षण में सैनी, माली, मौर्य, कुशवाहा और सूर्यवंशी समाज अलग से 12 प्रतिशत आरक्षण की मांग पर भरतपुर में सड़कों पर आन्दोलनरत है. ये मांग तभी पूरी हो सकती है जब सरकार इन समाजों की आबादी का सर्वे कराए या जातिगत आधारित जनगणना हो. पूर्व में जस्टिस इसरानी आयोग ने नवंबर 2012 में विशेष पिछड़ा वर्ग आरक्षण को लेकर (Caste Based Census in India) जो रिपोर्ट सरकार को सौंपी थी, उसमें भी इन समाजों की आबादी से जुड़े आंकड़े नहीं थे और उसे सार्वजनिक भी नहीं किया गया.

92 समाज ले रहे हैं 21 प्रतिशत आरक्षण का लाभ, ये समाज होंगे नाराज : वर्तमान में प्रदेश में ओबीसी में 92 जातियां शामिल है जो 21 प्रतिशत आरक्षण का लाभ ले रही हैं. अब तक यही बहस चलती आई है कि इसमें सबसे ज्यादा आरक्षण का लाभ कौन सी जाति ले रही है. यह बहस होना लाजमी भी है, क्योंकि पूर्व में गुर्जर सहित पांच समाज जो ओबीसी में आते थे, उन्होंने भी अलग से आरक्षण के लिए लंबी लड़ाई लड़ी और सरकार ने 5 प्रतिशत एमबीसी आरक्षण दिया. हालांकि, यह आरक्षण दिए जाने से प्रदेश में आरक्षण की सीमा 50 प्रतिशत से अधिक हो गई और इसे कोर्ट में चुनोती भी दी गई जो अब भी विचाराधीन है. अब यदि माली, सैनी, मौर्य, कुशवाहा और सूर्यवंशी समाज जो ओबीसी में ही आते हैं, उन्हें 12 प्रतिशत आरक्षण दे दिया गया तो ओबीसी आरक्षण कोटे में शामिल जाट सहित अन्य समाज इससे नाराज हो सकते हैं.

किसने क्या कहा, सुनिए...

समता आंदोलन समिति ने कहा- आंदोलन सरकार द्वारा प्रायोजित, रोहणी आयोग की सिफारिश हो लागू : भरतपुर में चल रहे माली और सैनी समाज के इस आंदोलन को समता आंदोलन समिति अध्यक्ष पाराशर नारायण शर्मा ने सरकार द्वारा प्रायोजित आंदोलन बताया. उन्होंने कहा कि 50 प्रतिशत आरक्षण की सीमा से अधिक आरक्षण पूरी तरह गैरकानूनी और संविधान के खिलाफ है. उनके अनुसार पूर्व में रोहणी आयोग ने ओबीसी आरक्षण के वर्गीकरण की सिफारिश की थी, लेकिन ना केंद्र ने उस पर अमल किया और ना ही राज्य सरकारें इस पर अमल कर रही है. उनके अनुसार आज ओबीसी में शामिल कुछ जातियां ऐसी हैं जो आरक्षण का अधिकतर लाभ उठा रही हैं. ऐसे में सरकार ओबीसी आरक्षण का वर्गीकरण करे, लेकिन आरक्षण की सीमा 50 प्रतिशत से अधिक ना करे, क्योंकि पूर्व में भी ऐसा हुआ और उसके खिलाफ न्यायालय में वाद चल रहे हैं.

एमबीसी आरक्षण संघर्ष समिति ने दिया समर्थन, कहा- आबादी के लिहाज से मिले आरक्षण : उधर गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति और एमबीसी आरक्षण संघर्ष समिति के अध्यक्ष विजय बैंसला ने कुशवाहा, सूर्यवंशी, मौर्य, माली और सैनी समाज के ओबीसी में 12 प्रतिशत आरक्षण की मांग का समर्थन (Vijay Bainsla Supported Protest) करते हुए कहा कि हर समाज को उसकी आबादी के लिहाज से आरक्षण का लाभ मिलना चाहिए. बैंसला ने कहा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत स्वयं इसी समाज से आते हैं. ऐसे में उन्हें अपने समाज से जुड़ी इस मांग को पूरा करने के लिए जो भी वैधानिक प्रक्रिया है, उसे अपनाना चाहिए. बैंसला ने सामाजिक आधार पर जनगणना की मांग का भी समर्थन किया और कहा कि इसके होने से सभी समाजों का आबादी से जुड़ा आंकड़ा सामने आ सकेगा. उनके अनुसार अभी राजनीतिक तौर पर अनुसूचित जाति और जनजाति को आरक्षण मिल रहा है, जबकि इसमें ओबीसी समाज को भी शामिल किया जाना चाहिए.

पढ़ें : Demand for Reservation in Bharatpur : माली, कुशवाहा, सैनी और शाक्य मौर्य समाज का आरक्षण आंदोलन, NH-21 पर किया चक्का जाम

अभी राजस्थान में मिल रहा 64 प्रतिशत आरक्षण : वर्तमान में राजस्थान में कुल 64 प्रतिशत आरक्षण का लाभ विभिन्न जातियों को मिल रहा है. इनमें ओबीसी को 21 प्रतिशत, अनुसूचित जाति समाज को 16 प्रतिशत, अनुसूचित जनजाति समाज को 12 प्रतिशत, ईडब्ल्यूएस को 10 प्रतिशत और एमबीसी समाज को 5 प्रतिशत का आरक्षण दिया जा रहा है. अब माली, सैनी, मौर्य, कुशवाहा और सूर्यवंशी समाज आरक्षण संघर्ष समिति और उसके पदाधिकारी दावा कर रहे हैं कि इन समाजों की जनसंख्या पूरे प्रदेश में करीब 12 से 15 प्रतिशत है. लिहाजा उन्हें उसी अनुपात में आरक्षण दिया जाए.

Demand for Separate Reservation in OBC
आरक्षण की मांग सामाजिक जनगणना के बिना कैसे होगी पूरी

यह आपको बता दें कि ओबीसी के तहत 12 प्रतिशत आरक्षण की मांग को लेकर सूर्यवंशी, कुशवाहा, मौर्य, सैनी और माली समाज के लोग भरतपुर में (Reservation movement in Bharatpur) हाईवे पर जाम लगा कर बैठे हैं. आंदोलनकारियों का कहना है कि सरकार ने मांग पर ध्यान नहीं दिया तो वह रेलवे ट्रैक भी जाम कर देंगे.

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