जयपुर. राजस्थान में एक बार फिर पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट की नाराजगी के बाद राजनीतिक हलचल तेज हो गई है. हालांकि, इस बार हालात अब तक पिछले साल जैसे नहीं बने हैं, जब सचिन पायलट अपने विधायकों के साथ बगावत कर मानेसर चले गए थे.
दरअसल, जब से सचिन पायलट (Sachin Pilot) ने उस कमेटी पर सवालिया निशान खड़े किए हैं जो 10 महीने में भी उनके उठाए गए मुद्दों पर सुनवाई नहीं कर सकी है. तब से एक बार फिर राजस्थान में राजनीतिक उठापटक तेज हो गई है. इसी बीच जब जितिन प्रसाद ने भाजपा का दामन थामा तो सचिन पायलट को भी लेकर यह कयास लगने लगे कि नाराजगी में वह भी ऐसा कोई कदम उठा सकते हैं.
सचिन पायलट से मिले विधायक रामनिवास गावड़िया
गुरुवार को सचिन पायलट के आवास पर उनके कैंप के विधायक मिलने पहुंचे. इस दौरान पायलट से मुलाकात कर आए विधायक रामनिवास गावड़िया ने कहा कि सचिन पायलट से आज राजनीतिक मुद्दों (Political Issues) पर बातचीत हुई और कल कांग्रेस पार्टी के महंगाई के विरोध में कार्यक्रम में वह सभी हिस्सा लेंगे. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी केवल 5 साल के लिए चुनाव में नहीं उतरी थी, बल्कि वह सबसे पुरानी पार्टी है जो आगे भी चुनाव लड़ेगी.
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'प्रदेश में पार्टी को मजबूत करने वाले कार्यकर्ताओं की सुनवाई जल्द होनी चाहिए'
गावड़िया ने कहा कि जब प्रदेश में कांग्रेस की सरकार नहीं थी तो प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर सचिन पायलट ने कार्यकर्ताओं (Congress Worker) से वादा किया था कि जब सरकार बनेगी तो उन्हें सरकार में भागीदारी दी जाएगी, कार्यकर्ताओं को मान सम्मान मिलेगा और पार्टी कार्यकर्ताओं की भावनाओं को ध्यान रखते हुए राजनीतिक नियुक्तियां भी दी जाएंगी. कार्यकर्ताओं की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए ही आलाकमान के सामने सचिन पायलट ने पिछले साल अपनी बात रखी थी, लेकिन लंबा समय गुजर जाने के बाद भी अब तक कमेटी की सुनवाई नहीं हुई है. ऐसे में आलाकमान को अब जल्दी से जल्दी निर्णय लेने चाहिए और राजस्थान की राजनीति में पार्टी को मजबूत करने का काम जिन कार्यकर्ताओं ने किया उसकी सुनवाई होनी चाहिए.
'पंजाब में 10-15 दिन में सुनवाई तो यहां क्यों नहीं?'
उन्होंने कहा कि अगर पंजाब (Punjab) में बनी कमेटी की सुनवाई 10 से 15 दिन में हो सकती है तो फिर राजस्थान के लिए बनाई गई कमेटी की सुनवाई अब तक क्यों नहीं की गई? आने वाले समय में पार्टी को मजबूत करने के लिए पार्टी आलाकमान को विचार करना चाहिए कि जनता की जो भावनाएं हमने कांग्रेस आलाकमान के सामने रखी उनके तहत सुनवाई होनी चाहिए. सचिन पायलट के नेतृत्व में हुए चुनाव के बाद जब सरकार बनी तो कार्यकर्ताओं को उम्मीद थी कि कांग्रेस की सरकार में उन्हें तवज्जो मिलेगी अगर वह तवज्जो नहीं मिल रही है और ढाई साल हो गए हैं तो हमारे लिए यह चिंता का विषय है.