जयपुर. प्रदेश कांग्रेस के तमाम पदाधिकारी और कार्यकर्ता आज महंगाई के खिलाफ सड़क पर हल्ला बोलेंगे. केन्द्र की नीतियों को निशाना बना आम लोगों को जताने की कोशिश करेंगे कि किस तरह से महंगाई जनता के लिए अभिशाप बन रही है. प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत आज इसी के चलते दिल्ली में होंगे. वहां वो प्रदर्शन में शिरकत करेंगे. इस विरोध प्रदर्शन की अगुआई प्रियंका और राहुल गांधी कर रहे हैं.
राजस्थान में वैसे तो कांग्रेस पार्टी सत्ता में है, लेकिन साढ़े 3 साल सरकार के पूरे होने के बावजूद आज भी कांग्रेस के लगातार हो रहे प्रदर्शनों से ऐसा लग रहा है मानो कांग्रेस सरकार में नहीं बल्कि विपक्ष में है. जिस तरह कांग्रेस के कार्यकर्ता, नेता, मंत्री और यहां तक कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी धरने प्रदर्शनों में शामिल होते (Ruling party Congress protest in Rajasthan) हैं, इससे कांग्रेस कार्यकर्ता को लग रहा है कि साल 2013 से 2018 तक सत्ता में वापसी के लिए जो संघर्ष किया था, वह अभी जारी है.
हालात ये हैं कि सत्तारूढ़ कांग्रेस की ओर से औसतन हर सप्ताह एक विरोध प्रदर्शन किया गया है. यह विपक्षी दल भाजपा की ओर से किये गए धरने प्रदर्शनों से कहीं ज्यादा है. दिलचस्प बात तो यह है कि राजस्थान में सत्तारूढ़ कांग्रेस ने अकेले जून-जुलाई माह में ही एक दर्जन प्रदर्शन कर कर डाले हैं, जिनमें ईडी, अग्निपथ, महंगाई, ईआरसीपी और खाद्य पदार्थों में जीएसटी के विरोध में प्रदर्शन भी शामिल है.
माना जाता है कि सत्ता में आने के बाद सत्तारूढ़ पार्टी विरोध प्रदर्शनों से परहेज करती है, इक्का-दुक्का अपवाद को छोड़ दिया जाए तो ऐसे उदाहरण पहले कम भी रहे हैं कि सरकार के मुखिया मुख्यमंत्री और मंत्री खुद ही सड़कों पर उतर रहे हों. ऐसा भी नहीं है की यह पहली बार हो रहा है कि राज्य में सरकार किसी दल की हो और केंद्र में किसी और दल की सरकार. लेकिन गहलोत सरकार के वर्तमान शासन काल में जिस तरह से खुद सरकार ही सड़कों पर उतर रही है, वह अपने आप में इतिहास के पन्नों में दर्ज होगा.
आपको बता दें कि जब राजस्थान के मुख्यमंत्री भैरों सिंह शेखावत हुआ करते थे और प्रदेश में भाजपा का शासन था, उस समय केंद्र में ज्यादातर कांग्रेस की सरकार रही, तो वहीं 1998 में जब अशोक गहलोत राजस्थान के मुख्यमंत्री बने, तो केंद्र में भाजपा की सरकार थी. साल 2003 में जब वसुंधरा राजे राजस्थान की मुख्यमंत्री बनीं, तो केंद्र में 2004 में कांग्रेस की सरकार बनी. हालांकि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के दूसरे शासन काल 2008 से 2013 में केंद्र और राज्य में कांग्रेस की सरकार थी और इसी तरह से वसुंधरा राजे के भी दूसरे कार्यकाल में केंद्र और राज्य में भाजपा की ही सरकार थी. अब इस बार फिर केंद्र में भाजपा की सरकार है और राज्य में कांग्रेस की सरकार. ऐसे में नीतियों पर टकराव होना तो स्वभाविक था, लेकिन जिस तरह से सरकार सड़कों पर उतर रही है, वह अपने आप में रोचक घटना है.
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2019 से शुरू हुआ प्रदर्शनों का दौर: 2013 से 2018 तक लगातार संघर्ष करने के बाद कांग्रेस को दिसंबर 2018 में राज्य सत्ता की चाबी मिली, लेकिन कांग्रेस कार्यकर्ता, नेताओं का संघर्ष समाप्त नहीं हुआ. सत्तारूढ़ कांग्रेस का संघर्ष साल 2019 से ही शुरू हो गया था, जब लोकसभा चुनाव से पहले राफेल डील मामले को लेकर कांग्रेस ने प्रदेश भर में आंदोलन किए थे. साल 2021 विरोध प्रदर्शनों में ही बीता. साढ़े तीन साल के शासन में सत्तारूढ़ कांग्रेस जिन मुद्दों को लेकर सड़कों पर उतरी उनमें राफेल डील मामला, सीएए-एनआरसी, युवा बेरोजगारी, सरकार गिराने का षड़यंत्र, कृषि कानून, महंगाई, पेट्रोल-डीजल, पेगासस जासूसी कांड, लखीमपुर कांड, अग्निपथ स्कीम, ईडी और खाद्य पदार्थों में जीएसटी का विरोध शामिल (Congress protest against central government) है.
ये रहे प्रमुख प्रदर्शन, 9 बार मुख्यमंत्री ही दिखे प्रदर्शन (CM in protest) करते:
- दिसम्बर 2019: सीएए-एनआरसी के विरोध में अल्बर्ट हॉल से गांधी सर्किल तक पैदल मार्च
- 14 फरवरी 2020: शहीद स्मारक पर सीएए-एनआरसी के विरोध में महिलाओं के धरने में पहुंचे
- 24 जुलाई 2020: सियासी संकट के दौरान विधायकों के साथ राजभवन का घेराव
- 3 जनवरी 2021: कृषि कानूनों के विरोध में शहीद स्मारक पर हुए धरने में शामिल
- 5 अक्टूबर 2021: लखीमपुर खीरी कांड के विरोध में पीसीसी के बाहर धरने में शामिल
- 12 दिसंबर 2021 : विद्याधर नगर स्टेडियम में हुई राष्ट्रव्यापी महंगाई रैली में शामिल
- 21 जुलाई 2022: सोनिया गांधी से ईडी की पूछताछ के विरोध में हुए प्रदर्शन में शामिल हुए
- 19 जून 2022: अग्निपथ के विरोध में जयपुर की तिरंगा यात्रा में शामिल हुए
- 13 जून 2022: राहुल गांधी पर ईडी की कार्रवाई के विरोध में दिल्ली में हिरासत में लिए गए
इन प्रदर्शनों में मुख्यमंत्री नहीं, लेकिन संगठन के साथ मंत्री रहे मौजूद:
- 13 जून: पैदल मार्च और ईडी कार्यालय के बाहर धरना
- 16 जून: ईडी के विरोध में राजभवन का घेराव
- 19 जून: अग्निपथ के विरोध में जयपुर शहर में तिरंगा यात्रा
- 27 जून: अग्निपथ के विरोध में सभी 200 विधानसभा क्षेत्रों में प्रदर्शन
- 21, 22 जुलाई: दो दिन 400 ब्लॉक में अग्निपथ के विरोध में धरना
- 6 जुलाई: ईआरसीपी पर प्रदेश स्तरीय सम्मेलन
- 16 व 17 जुलाई: दो दिन खाद्य पदार्थों में जीएसटी के विरोध में प्रदर्शन
- 21 जुलाई: ईडी के विरोध में ईडी कार्यालय पर धरना
- 25 जुलाई: ईडी के विरोध में शहीद स्मारक पर सत्याग्रह
- 26 जुलाई: सभी जिलों में ईडी के खिलाफ प्रदर्शन