जयपुर. राजस्थान में 7 करोड़ 28 लाख रुपए की लागत से माइंस विभाग की जियोलोजी विंग को आधुनिकीकृत (Modernization of geology wing of mines department), संसाधन और सुविधायुक्त बनाया जाएगा. इसके लिए यह राशि राजस्थान स्टेट मिनरल एक्सप्लोरेशन ट्रस्ट से उपलब्ध कराई जाएगी. इससे प्रदेश में खनिज खोज व परीक्षण कार्य को गति मिलेगी.
एसीएस माइंस डॉ. अग्रवाल ने आरएसएमईटी की वर्चुअल समीक्षा बैठक के दौरान कहा कि आरएसएमईटी के गठन का प्रमुख उद्देश्य राज्य में खनिज खोज कार्य को गति देने और इसके लिए आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराना है. डॉ. अग्रवाल ने बताया कि आरएसएमईटी द्वारा उपलब्ध कराई जाने वाली इस राशि में से 4 करोड़ 33 लाख रुपए की लागत से खान एवं भूविज्ञान विभाग की लेबोरेटरी में आवश्यक अत्याधुनिक उपकरण उपलब्ध होंगे.
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इनमें वेव लेंथ डिस्पेसिव, एटोमिक एब्ज्रोप्सन स्पेक्ट, डबल बीम यूवी, डबल डिस्टिलेशन यूनिट, क्रूसिबल रिपेयरिंग, मेंटिंनेंस और रिजेंट्स व अन्य कार्य होंगे. उन्होंने बताया कि इसी तरह से ड्रिलिंग विंग को भी 58 लाख की लागत के उपकरण व संसाधन उपलब्ध कराकर सशक्त किया जाएगा. इसके साथ ही 2 करोड़ 45 लाख रुपए की लागत से जियोफिजिकल, रिमोट सेंसिंग व पेट्रलोजी विंग को आवश्यक उपकरण आदि उपलब्ध कराए जाएंगे.
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अतिरिक्त मुख्य सचिव माइंस, पेट्रोलियम व ऊर्जा डॉ. सुबोध अग्रवाल ने कहा कि राजस्थान स्टेट मिनरल एक्सप्लोरेशन ट्रस्ट प्रदेश में खनिज खोज कार्य के लिए आधारभूत संसाधन विकसित करने में वित्तीय, तकनीकी एवं मार्गदर्शीय सहयोग प्रदान करेगी.
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बैठक में निदेशक माइंस केबी पण्डया ने बताया कि आरएसएमईटी की इस साल की कार्ययोजना में खनिज खोज कार्य को भी अंतिम रुप दिया जा रहा है. उन्होंने विश्वास दिलाया कि ट्रस्ट के गठन की भावना के अनुरुप कार्य करते हुए कार्यों को गति दी जाएगी तो उपसचिव माइंस राजेन्द्र शेखर मक्कड ने आरएसएमईटी के गठन और प्रगति की जनकारी दी. उन्होंने बताया कि गठन के उद्देश्यों को पूरा करने के लिए आगामी वर्ष की भी विस्तृत कार्ययोजना तैयार की जा रही है.