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RSLDC घूसकांड: ACB की जांच में कई चौंकाने वाले खुलासे, परिवादी से डील होने के बाद Process शुरू

RSLDC घूसकांड में एसीबी (ACB) की ओर से की जा रही जांच में अनेक चौंकाने वाले खुलासे हो रहे हैं. जांच में सामने आया है कि परिवादी से डील हुई तो आरएसएलडीसी के अधिकारियों ने परिवादी की फर्म का टाइम पीरियड बढ़ा दिया. साथ ही बैंक गारंटी रिलीज करने का प्रोसेस भी शुरू कर दिया.

Rajasthan ACB, RSLDC bribery latest news
राजस्थान एसीबी
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Published : Sep 16, 2021, 8:05 AM IST

जयपुर. आरएसएलडीसी (RSLDC) घूसकांड में एसीबी (ACB) की ओर से की जा रही जांच में अनेक चौंकाने वाले खुलासे हो रहे हैं. परिवादी की दो फर्म को पहले ब्लैक लिस्टेड किया और परिवादी से लाखों रुपए की डील हो जाने के बाद फिर से फर्म को बहाल करने का प्रोसेस आरएसएलडीसी के अधिकारियों ने शुरू कर दिया. इन तमाम चीजों के सबूत एसीबी के पास है और अब इन सबूतों के आधार पर ही जल्द एसीबी आईएएस नीरज के पवन और प्रदीप गवंडे को नोटिस देकर पूछताछ के लिए एसीबी मुख्यालय बुलाएगी.

पढ़ें- RSLDC घूसकांड : बिल पास करने की एवज में ली 5 लाख की रिश्वत...दो IAS अधिकारी फंसे, जोधपुर से नीरज के.पवन के मोबाइल जप्त

इसके साथ ही इस पूरे प्रकरण में अब तक कार्रवाई करते हुए एसीबी (Anti-Corruption Bureau) ने आईएएस (IAS) नीरज के पवन, प्रदीप गवंडे, अशोक सागवान, राहुल, अमित शर्मा, दिनेश सहित 9 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है. एसीबी की ओर से आईएएस नीरज के पवन के खिलाफ अब तक तीन एफआईआर और एक प्राथमिक जांच दर्ज की जा चुकी है. जिसमें पहली एफआईआर एनआरएचएम घोटाले से संबंधित थी, जो वर्ष 2016 में दर्ज की गई.

वहीं, दूसरी एफआईआर (FIR) वर्ष 2017 में दर्ज की गई जो राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम में घोटाले से संबंधित थी. वर्ष 2017 में नीरज के पवन के खिलाफ एसीबी ने एक प्राथमिक जांच दर्ज की जो जन स्वास्थ्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाओं में जिला सलाहकार और लैब टेक्नीशियन की भर्ती में हुई अनियमितता को लेकर थी. वहीं, अब एक बार फिर नीरज के पवन के खिलाफ एसीबी ने तीसरी एफआईआर आरएसएलडीसी घूसकांड को लेकर दर्ज की है.

FIR में बीवीजी कंपनी के प्रतिनिधि का भी नाम

हाल ही में एसीबी (Anti-Corruption Bureau) ने बीवीजी कंपनी के पेंडिंग चल रहे बिलों को पास करने की एवज में करोड़ों रुपए की मांग किए जाने पर तत्कालीन मेयर सौम्या गुर्जर के पति राजाराम गुर्जर सहित अन्य लोगों को गिरफ्तार किया था. वहीं, आरएसएलडीसी घूसकांड में भी बीवीजी कंपनी का जिक्र हुआ है.

दरअसल, जब परिवादी ने अपनी फर्म को ब्लैक लिस्ट में से हटाने के लिए दलाल अमित शर्मा से संपर्क किया तो उसने आईएएस नीरज के पवन के लिए 10 लाख रुपए रिश्वत की मांग की. साथ ही परिवादी को यह विश्वास दिलाया कि उसका काम हो जाएगा. दलाल अमित ने उसकी बात बीवीजी कंपनी के एक प्रतिनिधि दिनेश से करवाई.

पढ़ें- अब गलत तरीके से नहीं उठा सकेंगे बेरोजगारी भत्ता, RSLDC खोलने जा रहा ब्लॉक लेवल पर सेंटर्स

बीवीजी कंपनी (BVG Company) के प्रतिनिधि दिनेश ने परिवादी को बताया कि उनकी कंपनी की ओर से कौशल विकास की ट्रेनिंग कराने के लिए उदयपुर में संचालित सेंटर को आरएसएलडीसी द्वारा ब्लैक लिस्ट किया गया था. जिसे ब्लैक लिस्ट से हटाकर फिर से बहाल कराने के लिए 12 लाख रुपए दलाल अमित शर्मा के जरिए नीरज के पवन तक पहुंचाए गए. इसके बाद उनके उदयपुर सेंटर को फिर से बहाल कर दिया गया.

जैसे ही डील फिक्स हुई वैसे ही परिवादी के पक्ष में होने लगा काम

परिवादी की अमित शर्मा से बातचीत चल ही रही थी कि इतने में एसीबी ने दलाल अमित शर्मा को एक दूसरे मामले में एक अधिकारी के लिए दलाली करने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया. उसके बाद परिवादी की मुलाकात आरएसएलडीसी (RSLDC) के स्टेट कोऑर्डिनेटर अशोक सागवान और मैनेजर राहुल से हुई. उन दोनों ने परिवादी से 10 लाख रुपए में डील फिक्स की.

डील के मुताबिक 5 लाख रुपए एडवांस और 5 लाख रुपए काम होने के बाद देना तय हुआ. जैसे ही परिवादी ने अशोक और राहुल को डील के मुताबिक राशि पहुंचाई वैसे ही परिवादी के पक्ष में काम होना शुरू हो गया. सबसे पहले परिवादी की फर्म के टाइम पीरियड को 3 महीने के लिए बढ़ा दिया गया और साथ ही उसकी बैंक गारंटी रिलीज करने की कार्रवाई शुरू कर दी गई.

इसके साथ ही परिवादी की फर्म को ब्लैक लिस्ट में से बाहर निकाल कर उसे फिर से बहाल करने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई. किसी भी फर्म का टाइम पीरियड बढ़ाना और उसकी बैंक गारंटी रिलीज करने की पावर सिर्फ आईएएस नीरज के पवन, प्रदीप गवंडे और आरएसएलडीसी के जनरल मैनेजर करतार सिंह के पास है. इन तीनों की सहमति से फाइल पर साइन हुए बिना यह काम नहीं किया जा सकता.

वहीं, जैसे ही परिवादी ने डील के हिसाब से रिश्वत की राशि पहुंचाई वैसे ही तीनों अधिकारियों ने परिवादी के पक्ष में काम करना शुरू कर दिया, जो इस बात का पुख्ता प्रमाण है कि आरएसएलडीसी में हो रहे भ्रष्टाचार में दोनों आईएएस अधिकारी और अन्य अधिकारियों की मिलीभगत है.

जयपुर. आरएसएलडीसी (RSLDC) घूसकांड में एसीबी (ACB) की ओर से की जा रही जांच में अनेक चौंकाने वाले खुलासे हो रहे हैं. परिवादी की दो फर्म को पहले ब्लैक लिस्टेड किया और परिवादी से लाखों रुपए की डील हो जाने के बाद फिर से फर्म को बहाल करने का प्रोसेस आरएसएलडीसी के अधिकारियों ने शुरू कर दिया. इन तमाम चीजों के सबूत एसीबी के पास है और अब इन सबूतों के आधार पर ही जल्द एसीबी आईएएस नीरज के पवन और प्रदीप गवंडे को नोटिस देकर पूछताछ के लिए एसीबी मुख्यालय बुलाएगी.

पढ़ें- RSLDC घूसकांड : बिल पास करने की एवज में ली 5 लाख की रिश्वत...दो IAS अधिकारी फंसे, जोधपुर से नीरज के.पवन के मोबाइल जप्त

इसके साथ ही इस पूरे प्रकरण में अब तक कार्रवाई करते हुए एसीबी (Anti-Corruption Bureau) ने आईएएस (IAS) नीरज के पवन, प्रदीप गवंडे, अशोक सागवान, राहुल, अमित शर्मा, दिनेश सहित 9 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है. एसीबी की ओर से आईएएस नीरज के पवन के खिलाफ अब तक तीन एफआईआर और एक प्राथमिक जांच दर्ज की जा चुकी है. जिसमें पहली एफआईआर एनआरएचएम घोटाले से संबंधित थी, जो वर्ष 2016 में दर्ज की गई.

वहीं, दूसरी एफआईआर (FIR) वर्ष 2017 में दर्ज की गई जो राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम में घोटाले से संबंधित थी. वर्ष 2017 में नीरज के पवन के खिलाफ एसीबी ने एक प्राथमिक जांच दर्ज की जो जन स्वास्थ्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाओं में जिला सलाहकार और लैब टेक्नीशियन की भर्ती में हुई अनियमितता को लेकर थी. वहीं, अब एक बार फिर नीरज के पवन के खिलाफ एसीबी ने तीसरी एफआईआर आरएसएलडीसी घूसकांड को लेकर दर्ज की है.

FIR में बीवीजी कंपनी के प्रतिनिधि का भी नाम

हाल ही में एसीबी (Anti-Corruption Bureau) ने बीवीजी कंपनी के पेंडिंग चल रहे बिलों को पास करने की एवज में करोड़ों रुपए की मांग किए जाने पर तत्कालीन मेयर सौम्या गुर्जर के पति राजाराम गुर्जर सहित अन्य लोगों को गिरफ्तार किया था. वहीं, आरएसएलडीसी घूसकांड में भी बीवीजी कंपनी का जिक्र हुआ है.

दरअसल, जब परिवादी ने अपनी फर्म को ब्लैक लिस्ट में से हटाने के लिए दलाल अमित शर्मा से संपर्क किया तो उसने आईएएस नीरज के पवन के लिए 10 लाख रुपए रिश्वत की मांग की. साथ ही परिवादी को यह विश्वास दिलाया कि उसका काम हो जाएगा. दलाल अमित ने उसकी बात बीवीजी कंपनी के एक प्रतिनिधि दिनेश से करवाई.

पढ़ें- अब गलत तरीके से नहीं उठा सकेंगे बेरोजगारी भत्ता, RSLDC खोलने जा रहा ब्लॉक लेवल पर सेंटर्स

बीवीजी कंपनी (BVG Company) के प्रतिनिधि दिनेश ने परिवादी को बताया कि उनकी कंपनी की ओर से कौशल विकास की ट्रेनिंग कराने के लिए उदयपुर में संचालित सेंटर को आरएसएलडीसी द्वारा ब्लैक लिस्ट किया गया था. जिसे ब्लैक लिस्ट से हटाकर फिर से बहाल कराने के लिए 12 लाख रुपए दलाल अमित शर्मा के जरिए नीरज के पवन तक पहुंचाए गए. इसके बाद उनके उदयपुर सेंटर को फिर से बहाल कर दिया गया.

जैसे ही डील फिक्स हुई वैसे ही परिवादी के पक्ष में होने लगा काम

परिवादी की अमित शर्मा से बातचीत चल ही रही थी कि इतने में एसीबी ने दलाल अमित शर्मा को एक दूसरे मामले में एक अधिकारी के लिए दलाली करने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया. उसके बाद परिवादी की मुलाकात आरएसएलडीसी (RSLDC) के स्टेट कोऑर्डिनेटर अशोक सागवान और मैनेजर राहुल से हुई. उन दोनों ने परिवादी से 10 लाख रुपए में डील फिक्स की.

डील के मुताबिक 5 लाख रुपए एडवांस और 5 लाख रुपए काम होने के बाद देना तय हुआ. जैसे ही परिवादी ने अशोक और राहुल को डील के मुताबिक राशि पहुंचाई वैसे ही परिवादी के पक्ष में काम होना शुरू हो गया. सबसे पहले परिवादी की फर्म के टाइम पीरियड को 3 महीने के लिए बढ़ा दिया गया और साथ ही उसकी बैंक गारंटी रिलीज करने की कार्रवाई शुरू कर दी गई.

इसके साथ ही परिवादी की फर्म को ब्लैक लिस्ट में से बाहर निकाल कर उसे फिर से बहाल करने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई. किसी भी फर्म का टाइम पीरियड बढ़ाना और उसकी बैंक गारंटी रिलीज करने की पावर सिर्फ आईएएस नीरज के पवन, प्रदीप गवंडे और आरएसएलडीसी के जनरल मैनेजर करतार सिंह के पास है. इन तीनों की सहमति से फाइल पर साइन हुए बिना यह काम नहीं किया जा सकता.

वहीं, जैसे ही परिवादी ने डील के हिसाब से रिश्वत की राशि पहुंचाई वैसे ही तीनों अधिकारियों ने परिवादी के पक्ष में काम करना शुरू कर दिया, जो इस बात का पुख्ता प्रमाण है कि आरएसएलडीसी में हो रहे भ्रष्टाचार में दोनों आईएएस अधिकारी और अन्य अधिकारियों की मिलीभगत है.

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