जयपुर. राजस्थान पर्यटन निगम की लाइफ लाइन और सबसे ज्यादा राजस्व देने वाली शाही गाड़ी पैलेस ऑन व्हील्स इन दिनों दम तोड़ रही है. इस गाड़ी ने 40 साल अपनी सफलता के झंडे गाड़े हैं लेकिन अब गाड़ी का नंबर नीचे गिरता जा रहा है. उस को पटरी पर लाने के लिए अब पर्यटन निगम का सिस्टम भी फेल हो रहा है.
पर्यटन निगम के जिम्मेदार अफसरों के द्वारा भी इसको चलाने को लेकर किसी तरह की प्लानिंग भी नहीं बनाई जा रही है. इस में काम करने वाले स्टाफ को दूसरे होटलों में लगाकर काम करवाया जा रहा है. इस शाही गाड़ी ने 40 साल अपनी सफलता के झंडे गाड़े हुए थे. उस को पटरी पर लाने के लिए अब पर्यटन निगम का सिस्टम भी फेल हो रहा है.
बता दें कि शाही गाड़ी पैलेस ऑन व्हील्स 70 से 95% तक बुकिंग वाली पैलेस ऑन व्हील्स सीजन के 4 महीने में उकताई से खड़ी है. अब जबकि देशभर में महामारी की वैक्सीन की उम्मीद भी जाग गई है. वहां हाथ पर हाथ धरे बैठे सिस्टम से शाही सफर को लेकर नाउम्मीद भी दिखाई दे रही है. हालांकि, यह किसी से छुपा हुआ नहीं है कि कोविड-19 ने टूरिज्म को सर्वाधिक नुकसान पहुंचाया है लेकिन पिछले 6 महीने से राज्य सरकार के द्वारा पर्यटक स्थल के लिए महल, होटल रेस्टोरेंट, जंगल सफारी, बोटिंग सहित दूसरे निजी उपक्रम महामारी पर पार पाकर पहाड़ों की चहल कदमी बढ़ा रहे हैं.
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देश-दुनिया में प्रदेश के गौरव को लेकर जिम्मेदार बैकफुट पर नजर आ रहे हैं. देश और दुनिया में शाही रेलों के लिए पैलेस ऑन व्हील्स नजीर साबित होती थी. जब उनके पहिए जाम हुए तो पैलेस ऑन व्हील्स की सफलता का जादू सिर चढ़कर अब से उलट सिस्टम अपनी विफलता के लिए उनके बहाने गढ़ रहा है. नए साल पर उनके यहां शाही सफर पटरी पर चलने को है. हमारे यहां रेल में ज्यादातर पर्यटक विदेशी होते हैं. ऐसे में सवाल यह भी खड़ा होता है कि क्या जब तक वह टूरिस्ट नहीं आएंगे तो रेलगाड़ी को खड़ा भी रखा जाएगा या नहीं.
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गौरतलब है कि अभी शाही गाड़ी पैलेस ऑन व्हील्स को अजमेर में खड़ा कर रखा है. पैलेस ऑन व्हील्स में काम करने वाले स्टाफ को पर्यटन निगम के द्वारा दूसरी होटलों में लगा रखा है. वहीं शाही गाड़ी के खड़े होने की वजह से ही उसकी रंगत फीकी होती जा रही है.
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