जयपुर. नाइट कर्फ्यू लगने की वजह से जिन रेस्टोरेंट और ढाबों में शाम ढलने के साथ शहर वासियों का जमावड़ा लगता था, वो अब सूने पड़े रहते हैं. आलम ये है कि रेस्टोरेंट और ढाबा संचालकों को मौजूदा स्टाफ को अपनी जेब से सैलरी देनी पड़ रही है. वहीं अब इन रेस्टोरेंट और ढाबों पर सख्ती भी बरती जा रही है. ऐसे में यहां काम करने वाले कर्मचारी सोमवार को नाइट कर्फ्यू में राहत देने की मांग को लेकर सड़कों पर उतरे.
राजधानी में कोरोना के खिलाफ जंग जारी है. लापरवाही बरतने वाले लोगों के खिलाफ निगम प्रशासन और पुलिस प्रशासन ने अभियान चला रखा है और जुर्माना भी वसूला जा रहा है. वहीं सख्ती बरतते हुए अब बार, रेस्टोरेंट और ढाबों में घुसकर कार्रवाई की जा रही है. उधर, रेस्टोरेंट और ढाबा संचालक काम ठप होने के चलते नाइट कर्फ्यू में राहत देने की मांग को लेकर सोमवार को सड़कों पर उतरे.
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पहले स्टेच्यू सर्किल और फिर अहिंसा सर्किल पर रेस्टोरेंट और ढाबों में काम करने वाले कर्मचारियों ने मौन प्रदर्शन किया और 7:00 बजे तक का प्रतिबंध खत्म करने की मांग की. उन्होंने बताया कि रेस्टोरेंट और ढाबा व्यवसाय से जुड़े हजारों लोग बेरोजगार हो गए हैं और सैकड़ों रेस्टोरेंट्स बंद होने की कगार पर हैं. उन्होंने आर्थिक स्थिति का हवाला देते हुए कहा कि रेस्टोरेंट और ढाबों पर अमूमन लोग रात के समय ही पहुंचते हैं, और यदि 7:00 बजे के बाद नाइट कर्फ्यू रहता है, तो ऐसी स्थिति में उनके लिए ये पूर्ण लॉकडाउन के बराबर ही है. प्रदर्शनकारियों ने रेस्टोरेंट और ढाबा व्यवसाय को बचाने की सरकार से गुहार लगाई.
आपको बता दें कि फिलहाल शहर भर के रेस्टोरेंट और ढाबों पर ग्राहक नहीं पहुंचने की वजह से लाइट और मेंटेनेंस का खर्चा भी नहीं निकल पा रहा है. यहीं नहीं स्टाफ को आधे से कम करने के बावजूद बचे हुए कर्मचारियों को भी जेब से सैलरी देनी पड़ रही है.