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राजस्थान में बिजली संकट के बीच राहत भरी खबर, छबड़ा इकाई से उत्पादन शुरू

राजस्थान में बिजली संकट बढ़ता जा रहा है. बिजली की डिमांड और सप्लाई में 26 सौ मेगावाट का अंतर है. इसके चलते ग्रामीण इलाकों में अघोषित कटौती की जा रही है. ऐसे में राहत वाली बात ये है कि छबड़ा की 660 मेगावाट वाली इकाई से उत्पादन शुरू हो गया है.

राजस्थान में बिजली संकट
राजस्थान में बिजली संकट
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Published : Sep 2, 2022, 5:06 PM IST

Updated : Sep 2, 2022, 9:42 PM IST

जयपुर. प्रदेश में एक बार फिर बिजली का (Power crisis in Rajasthan) संकट गहरा गया है. बारिश का दौर थमने से तापमान में बढ़ोतरी हुई,जिसका असर बिजली सप्लाई पर दिखने लगा है. बिजली की मांग और उपलब्धता में करीब 2600 मेगावाट का अंतर है. इसके चलते ग्रामीण इलाकों में तो अघोषित बिजली की कटौती की जा रही है. हालांकि राहत भरी खबर यह है कि शुक्रवार देर (Production starts at Chhabra unit) शाम छबड़ा की 660 मेगावाट क्षमता वाली इकाई से उत्पादन शुरू हो गया.

वर्तमान में 12 हजार 600 मेगावाट बिजली की डिमांड है, जबकि उपलब्धता 10 हजार मेगावाट से भी कम है. 25 अगस्त को प्रदेश में करीब 25 करोड़ यूनिट बिजली की सप्लाई हुई थी जो 31 अगस्त को बढ़कर 22 करोड़ यूनिट हो गई. मतलब 6 करोड़ यूनिट मांग बढ़ गई. वर्तमान में मांग के अनुरूप बिजली की सप्लाई नहीं हो पा रही है. जिसके चलते ग्रामीण इलाकों में अघोषित रूप से 6 से 8 घंटे की बिजली कटौती की जा रही है.

पढ़ें. राजस्थान बिजली संकट: 1970 मेगावाट क्षमता की 5 इकाइयां बंद,अन्य में 4 से 5 दिन का कोयला शेष...

शहरी इलाकों में भी हो सकती है बिजली की कटौतीः डिस्कॉम और ऊर्जा विभाग के अधिकारियों की मानें तो जिस प्रकार के हालात मौजूदा स्थिति में बने हैं. उसमें यदि जल्द प्रदेश की अन्य बंद पड़ी उत्पादन इकाइयों से बिजली का उत्पादन शुरू नहीं हुआ तो अगले 1 से 2 दिन के बाद शहरी इलाकों में भी पावर कट किया जा सकता है. हालांकि राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम की छबड़ा स्थित 660 मेगावाट क्षमता की इकाई से बिजली का उत्पादन शुक्रवार शाम शुरू हो गया. लेकिन इसके अतिरिक्त भी बिजली की आवश्यकता राजस्थान में है क्योंकि बिजली की मांग और उपलब्धता में करीब 2600 मेगावाट का अंतर है.

ये पावर प्लांट पहले से ही है बंद, ऊर्जा विकास निगम का भी कुप्रबंधन
प्रदेश में सरकारी व निजी कंपनियों के करीब 4000 मेगावाट क्षमता के पावर प्लांट बंद हैं. इसकी संख्या करीब 8 है, जिन्हें वार्षिक रखरखाव या तकनीकी खराबी के चलते कुछ महीने से शटडाउन पर ही रखा गया था. इनमें निजी क्षेत्र की अदानी पावर की कवाई स्थित दो यूनिट जिसकी क्षमता 660-660 मेगा वाट है, बंद है. बताया जा रहा है कि इनमें से एक यूनिट 1 अगस्त से ही शटडाउन पर है वहीं दूसरी यूनिट 30 अगस्त को ट्रिप हो गई थी. इसी तरह निजी क्षेत्र की है बरसिंहसर लिग्नाइट की 125 मेगावाट क्षमता वाली इकाई भी लंबे समय से बंद पड़ी है. इन तीनों निजी क्षेत्र की इकाइयों से शत-प्रतिशत बिजली उत्पादन राज्य को मिलता है.

पढ़ें. Power Crisis in Rajasthan : सौर ऊर्जा में राजस्थान सिरमौर फिर भी बिजली संकट, जानिये क्यों?

विंड से मिलने वाली बिजली में एकाएक आई कमी
राजस्थान को अपने ही प्रदेश में 3 दिन पहले तक पवन ऊर्जा से ढाई हजार मेगावाट बिजली मिल रही थी जो अब महज 200 मेगावाट प्रतिदिन ही रह गई है. पवन ऊर्जा में एकाएक आई कमी के कारण भी राजस्थान में बिजली संकट खड़ा हुआ है.

छत्तीसगढ़ कोयला विवाद से भी बढ़ा संकट
प्रदेश में कोयले की कमी के चलते भी राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम ने अपने कुछ प्लांट शटडाउन पर ले रखे थे. या फिर ये कहें कि मौजूदा परिस्थितियों में जब बिजली की मांग कम थी तो इन प्लांट को बंद कर दिया गया था. अब जब बिजली की डिमांड बढ़ी है तब इन्हें शुरू भी किया जाए तो पूर्ण क्षमता से चलाने के लिए कोयले की आवश्यकता पड़ेगी और उतनी मात्रा में राजस्थान में कोयला नहीं मिल पा रहा.

पढ़ें. Rajasthan Tops In Renewable Energy : अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में राजस्थान देश में पहले स्थान पर, 1 माह पहले था चौथे स्थान पर...

वहीं छत्तीसगढ़ कोल ब्लॉक आवंटन के बाद से चल रहा विवाद अब तक नहीं सुलझा है जिसके चलते राजस्थान को उसके ही हक का कोयला नहीं मिल पा रहा. विभाग के अधिकारियों ने काफी जोर लगा दिया लेकिन इस विवाद को नहीं सुलझा पाए और स्थानीय विरोध के चलते राजस्थान विद्युत उत्पादन निगम यहां कोल माइंस का उपयोग नहीं कर पा रहा. ऐसे में एकमात्र पुरानी खदान पर ही प्रदेश की सरकारी बिजली उत्पादन इकाइयों को निर्भर रहना पड़ रहा है.

अब इन पावर प्लांट के शुरू होने की उम्मीदः उत्पादन निगम की छबड़ा स्थित 660 मेगावाट इकाई से शुक्रवार देर शाम विद्युत उत्पादन शुरू हो गया है. वहीं अगले एक-दो दिन में सूरतगढ़ सुपर क्रिटिकल पावर प्लांट की 660 मेगावाट की 1 यूनिट से बिजली उत्पादन शुरू होने की उम्मीद है. इसके लिए अधिकारी लगातार प्रयासरत हैं. उत्पादन निगम सीएमडी आरके शर्मा के अनुसार जल्द ही इन प्लांट से बिजली का उत्पादन शुरू होने की संभावना है, जिसके बाद बिजली संकट में काफी हद तक राहत मिल सकती है. वही डिस्कॉम अधिकारियों का कहना है कि यदि जल्द अतिरिक्त बिजली का उत्पादन नहीं हुआ तो फिर अगले एक-दो दिन में शहरी क्षेत्र में भी बिजली की कटौती होने की संभावना है.

जयपुर. प्रदेश में एक बार फिर बिजली का (Power crisis in Rajasthan) संकट गहरा गया है. बारिश का दौर थमने से तापमान में बढ़ोतरी हुई,जिसका असर बिजली सप्लाई पर दिखने लगा है. बिजली की मांग और उपलब्धता में करीब 2600 मेगावाट का अंतर है. इसके चलते ग्रामीण इलाकों में तो अघोषित बिजली की कटौती की जा रही है. हालांकि राहत भरी खबर यह है कि शुक्रवार देर (Production starts at Chhabra unit) शाम छबड़ा की 660 मेगावाट क्षमता वाली इकाई से उत्पादन शुरू हो गया.

वर्तमान में 12 हजार 600 मेगावाट बिजली की डिमांड है, जबकि उपलब्धता 10 हजार मेगावाट से भी कम है. 25 अगस्त को प्रदेश में करीब 25 करोड़ यूनिट बिजली की सप्लाई हुई थी जो 31 अगस्त को बढ़कर 22 करोड़ यूनिट हो गई. मतलब 6 करोड़ यूनिट मांग बढ़ गई. वर्तमान में मांग के अनुरूप बिजली की सप्लाई नहीं हो पा रही है. जिसके चलते ग्रामीण इलाकों में अघोषित रूप से 6 से 8 घंटे की बिजली कटौती की जा रही है.

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शहरी इलाकों में भी हो सकती है बिजली की कटौतीः डिस्कॉम और ऊर्जा विभाग के अधिकारियों की मानें तो जिस प्रकार के हालात मौजूदा स्थिति में बने हैं. उसमें यदि जल्द प्रदेश की अन्य बंद पड़ी उत्पादन इकाइयों से बिजली का उत्पादन शुरू नहीं हुआ तो अगले 1 से 2 दिन के बाद शहरी इलाकों में भी पावर कट किया जा सकता है. हालांकि राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम की छबड़ा स्थित 660 मेगावाट क्षमता की इकाई से बिजली का उत्पादन शुक्रवार शाम शुरू हो गया. लेकिन इसके अतिरिक्त भी बिजली की आवश्यकता राजस्थान में है क्योंकि बिजली की मांग और उपलब्धता में करीब 2600 मेगावाट का अंतर है.

ये पावर प्लांट पहले से ही है बंद, ऊर्जा विकास निगम का भी कुप्रबंधन
प्रदेश में सरकारी व निजी कंपनियों के करीब 4000 मेगावाट क्षमता के पावर प्लांट बंद हैं. इसकी संख्या करीब 8 है, जिन्हें वार्षिक रखरखाव या तकनीकी खराबी के चलते कुछ महीने से शटडाउन पर ही रखा गया था. इनमें निजी क्षेत्र की अदानी पावर की कवाई स्थित दो यूनिट जिसकी क्षमता 660-660 मेगा वाट है, बंद है. बताया जा रहा है कि इनमें से एक यूनिट 1 अगस्त से ही शटडाउन पर है वहीं दूसरी यूनिट 30 अगस्त को ट्रिप हो गई थी. इसी तरह निजी क्षेत्र की है बरसिंहसर लिग्नाइट की 125 मेगावाट क्षमता वाली इकाई भी लंबे समय से बंद पड़ी है. इन तीनों निजी क्षेत्र की इकाइयों से शत-प्रतिशत बिजली उत्पादन राज्य को मिलता है.

पढ़ें. Power Crisis in Rajasthan : सौर ऊर्जा में राजस्थान सिरमौर फिर भी बिजली संकट, जानिये क्यों?

विंड से मिलने वाली बिजली में एकाएक आई कमी
राजस्थान को अपने ही प्रदेश में 3 दिन पहले तक पवन ऊर्जा से ढाई हजार मेगावाट बिजली मिल रही थी जो अब महज 200 मेगावाट प्रतिदिन ही रह गई है. पवन ऊर्जा में एकाएक आई कमी के कारण भी राजस्थान में बिजली संकट खड़ा हुआ है.

छत्तीसगढ़ कोयला विवाद से भी बढ़ा संकट
प्रदेश में कोयले की कमी के चलते भी राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम ने अपने कुछ प्लांट शटडाउन पर ले रखे थे. या फिर ये कहें कि मौजूदा परिस्थितियों में जब बिजली की मांग कम थी तो इन प्लांट को बंद कर दिया गया था. अब जब बिजली की डिमांड बढ़ी है तब इन्हें शुरू भी किया जाए तो पूर्ण क्षमता से चलाने के लिए कोयले की आवश्यकता पड़ेगी और उतनी मात्रा में राजस्थान में कोयला नहीं मिल पा रहा.

पढ़ें. Rajasthan Tops In Renewable Energy : अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में राजस्थान देश में पहले स्थान पर, 1 माह पहले था चौथे स्थान पर...

वहीं छत्तीसगढ़ कोल ब्लॉक आवंटन के बाद से चल रहा विवाद अब तक नहीं सुलझा है जिसके चलते राजस्थान को उसके ही हक का कोयला नहीं मिल पा रहा. विभाग के अधिकारियों ने काफी जोर लगा दिया लेकिन इस विवाद को नहीं सुलझा पाए और स्थानीय विरोध के चलते राजस्थान विद्युत उत्पादन निगम यहां कोल माइंस का उपयोग नहीं कर पा रहा. ऐसे में एकमात्र पुरानी खदान पर ही प्रदेश की सरकारी बिजली उत्पादन इकाइयों को निर्भर रहना पड़ रहा है.

अब इन पावर प्लांट के शुरू होने की उम्मीदः उत्पादन निगम की छबड़ा स्थित 660 मेगावाट इकाई से शुक्रवार देर शाम विद्युत उत्पादन शुरू हो गया है. वहीं अगले एक-दो दिन में सूरतगढ़ सुपर क्रिटिकल पावर प्लांट की 660 मेगावाट की 1 यूनिट से बिजली उत्पादन शुरू होने की उम्मीद है. इसके लिए अधिकारी लगातार प्रयासरत हैं. उत्पादन निगम सीएमडी आरके शर्मा के अनुसार जल्द ही इन प्लांट से बिजली का उत्पादन शुरू होने की संभावना है, जिसके बाद बिजली संकट में काफी हद तक राहत मिल सकती है. वही डिस्कॉम अधिकारियों का कहना है कि यदि जल्द अतिरिक्त बिजली का उत्पादन नहीं हुआ तो फिर अगले एक-दो दिन में शहरी क्षेत्र में भी बिजली की कटौती होने की संभावना है.

Last Updated : Sep 2, 2022, 9:42 PM IST
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