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लॉक डाउन 2.0: मजदूरों का टूट रहा सब्र, महाकर्फ्यू तोड़कर पैदल ही नाप रहे घर का रास्ता

ईटीवी भारत की टीम लगातार पलायन कर रहे मजदूरों को लेकर सरकार तक ग्राउंड रियलिटी पहुंचाने की कवायद कर रहा है. टीम ने जब जयपुर के सड़कों की रियलिटी चेक किया तो सामने आया कि मजदूरों का पलायन बदस्तूर जारी है. आर्थिक संकट ने इन्हें पलायन के लिए मजबूर कर दिया है. वहीं, दूसरी ओर एक और बात सामने आई कि पैसे लेकर सरकारी एंबुलेंस लोगों को घर छोड़ रही है. पढ़िए ये स्पेशल रिपोर्ट...

मजदूरों का पलायन, covid 19,  Jaipur Road Reality Check
मजबूरी का पलायन
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Published : Apr 19, 2020, 6:13 PM IST

जयपुर. वैश्विक महामारी कोरोना के संक्रमण को रोकने के लिए पूरे देश में लॉकडाउन है. पूरे देश में लॉकडाउन 2.0 लगा दिया गया है और इसकी अवधि 3 मई तक बढ़ा दी गई है. लॉकडाउन की अवधि बढ़ने के कारण अब श्रमिकों का सब्र टूट रहा है और वे महाकर्फ्यू को भी तोड़कर अपने घर की ओर बढ़ रहे हैं. सरकार की ओर से कई इलाकों में कर्फ्यू लगाया गया है तो कई इलाकों में महाकर्फ्यू लगाया है, लेकिन इन सबके बावजूद श्रमिकों का पलायन जोड़ पकड़ रहा है.

मजदूरों का पलायन बदस्तूर जारी

मजदूरों का पलायन जारी

ईटीवी भारत की टीम लगातार पलायन कर रहे मजदूरों को लेकर सरकार तक ग्राउंड रियलिटी पहुंचाने की कवायद कर रहा है. पहले भी ईटीवी भारत ने बताया था कि किस तरह से बड़े पैमाने पर सरकारी दावों के बावजूद श्रमिकों का पलायन जारी है. इस बार ईटीवी भारत की टीम जब जयपुर के सड़कों की रियलिटी चेक किया तो सामने आया कि मजदूरों का पलायन बदस्तूर जारी है.

सरकारी स्कूल के शेल्टर होम का जायजा

आर्थिक संकट ने किया पलायन को मजबूर

जयपुर की सड़क पर भीलवाड़ा की धागा फैक्ट्री के मजदूर आए और वह भी तब जब इलाके में महाकर्फ्यू लगा हुआ है. ऐसे ही बॉर्डर सील होने के बावजूद भी गुजरात से आए श्रमिकों का पलायन बदस्तूर जारी है. पहले 14 अप्रैल तक की उम्मीद को लेकर यह श्रमिक अपने कार्य स्थलों पर रुके हुए थे, लेकिन जैसे ही 3 मई की तारीख का ऐलान हुआ इनके लिए यथा स्थान रुकना मुश्किल हो गया. आर्थिक संकट ने इन्हें पलायन के लिए मजबूर कर दिया.

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कामगार कर रहे पलायन

पढ़ें- REALITY CHECK: सरकारी मदद को तरस रहे प्रवासी श्रमिक, प्रशासन के सभी दावे अलवर में निकले झूठे

बता दें कि पुलिस की सख्ती और कड़े प्रावधानों के कारण श्रमिक अकेले या फिर 2 लोगों के समूह में निकल कर अपने गांव की ओर रुख कर रहे हैं. इन लोगों को उम्मीद थी कि 14 अप्रैल को लॉक डाउन खत्म हो जाएगा तो हालात बेहतर होंगे. लेकिन आज की परिस्थितियों में ऐसा मुमकिन नजर नहीं आता है.

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भीलवाड़ा के मजदूर

रेड जोन इलाकों से भी मजदूर कर रहे पलायन

कारखानों पर ताले जड़े हुए हैं और मजदूरों के पास जमा पूंजी भी खर्च हो चुकी है, ऐसे में रहने और खाने का खर्चा नहीं होने पर यह लोग अपनी जान को जोखिम में डालकर भीलवाड़ा जैसे रिस्की जोन से निकलकर जयपुर तक आ गए तो कुछ गुजरात की सीमा को लांघकर करीब 6 जिलों को पार करते हुए जयपुर के बाद यूपी में दाखिल होने का सपना देख रहे हैं. यह तस्वीर जाहिर करती है कि सरकार के दावे कितने खोखले हैं और सच्चाई कितनी भयावह.

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गुजरात के मजदूर

श्रमिकों का आरोप पैसे लेकर घर छोड़ रही सरकारी एंबुलेंस

पलायन की तस्वीर के बीच ईटीवी भारत की टीम ने जयपुर शहर के पंचवटी सर्किल पर बने सरकारी स्कूल के शेल्टर होम का जायजा लिया. यहां दिल्ली से अपने गांव टोडाभीम जाने वाली महिला पति और छोटे बच्चे के साथ फंस गई है. महिला का कहना है कि अगर उसे शेल्टर होम से जाने की इजाजत मिल जाए तो गांव की एक सरकारी एंबुलेंस प्रति व्यक्ति 4 हजार किराया लेकर उसे स्थान तक पहुंचा सकती है.

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प्रशासन नहीं रोक पा रहा पलायन

पलायन को रोकने में प्रशासन नाकाम

महिला के कहने से साफ है कि सरकार की नाक के नीचे ही धत्ता बताते हुए पलायन को रोकने में प्रशासन पूरी तरह से नाकाम है. टीम ने जब इस पूरे मसले पर हालात को जाना तो सामने आया कि सरकार की तरफ से बनाए गए शेल्टर होम पहले से ही अधिक संख्या के कारण भरे जा चुके हैं. ऐसे हालात में अब नए लोगों को रखने के लिए प्रशासन के पास ना तो निर्देश है और ना ही कोई व्यवस्था. बता दें कि जयपुर के 23 शेल्टर होम में फिलहाल 1700 से ज्यादा लोग रह रहे हैं. जब इस बारे में जयपुर जिला कलेक्टर से पूछा गया तो उनका जवाब था कि निर्देश आने पर ही कुछ किया जा सकता है.

पढ़ें- लॉकडाउन की यादेंः शेल्टर होम के तजुर्बे ताउम्र याद रहेंगे...

सिस्टम लाचार है और लोग बेबस और ऐसे हालात में जोखिम की किसी को भी परवाह नहीं है. सब की मंजिल फिलहाल अपने घरों की ओर है. वहीं जहां तक सवाल सुरक्षा का है तो यह तस्वीर बताती है कि दावे सिर्फ वाहवाही लूटने के लिए होते हैं. जमीन की हकीकत हर चेहरे से नकाब उतार देती है.

जयपुर. वैश्विक महामारी कोरोना के संक्रमण को रोकने के लिए पूरे देश में लॉकडाउन है. पूरे देश में लॉकडाउन 2.0 लगा दिया गया है और इसकी अवधि 3 मई तक बढ़ा दी गई है. लॉकडाउन की अवधि बढ़ने के कारण अब श्रमिकों का सब्र टूट रहा है और वे महाकर्फ्यू को भी तोड़कर अपने घर की ओर बढ़ रहे हैं. सरकार की ओर से कई इलाकों में कर्फ्यू लगाया गया है तो कई इलाकों में महाकर्फ्यू लगाया है, लेकिन इन सबके बावजूद श्रमिकों का पलायन जोड़ पकड़ रहा है.

मजदूरों का पलायन बदस्तूर जारी

मजदूरों का पलायन जारी

ईटीवी भारत की टीम लगातार पलायन कर रहे मजदूरों को लेकर सरकार तक ग्राउंड रियलिटी पहुंचाने की कवायद कर रहा है. पहले भी ईटीवी भारत ने बताया था कि किस तरह से बड़े पैमाने पर सरकारी दावों के बावजूद श्रमिकों का पलायन जारी है. इस बार ईटीवी भारत की टीम जब जयपुर के सड़कों की रियलिटी चेक किया तो सामने आया कि मजदूरों का पलायन बदस्तूर जारी है.

सरकारी स्कूल के शेल्टर होम का जायजा

आर्थिक संकट ने किया पलायन को मजबूर

जयपुर की सड़क पर भीलवाड़ा की धागा फैक्ट्री के मजदूर आए और वह भी तब जब इलाके में महाकर्फ्यू लगा हुआ है. ऐसे ही बॉर्डर सील होने के बावजूद भी गुजरात से आए श्रमिकों का पलायन बदस्तूर जारी है. पहले 14 अप्रैल तक की उम्मीद को लेकर यह श्रमिक अपने कार्य स्थलों पर रुके हुए थे, लेकिन जैसे ही 3 मई की तारीख का ऐलान हुआ इनके लिए यथा स्थान रुकना मुश्किल हो गया. आर्थिक संकट ने इन्हें पलायन के लिए मजबूर कर दिया.

मजदूरों का पलायन, covid 19,  Jaipur Road Reality Check
कामगार कर रहे पलायन

पढ़ें- REALITY CHECK: सरकारी मदद को तरस रहे प्रवासी श्रमिक, प्रशासन के सभी दावे अलवर में निकले झूठे

बता दें कि पुलिस की सख्ती और कड़े प्रावधानों के कारण श्रमिक अकेले या फिर 2 लोगों के समूह में निकल कर अपने गांव की ओर रुख कर रहे हैं. इन लोगों को उम्मीद थी कि 14 अप्रैल को लॉक डाउन खत्म हो जाएगा तो हालात बेहतर होंगे. लेकिन आज की परिस्थितियों में ऐसा मुमकिन नजर नहीं आता है.

मजदूरों का पलायन, covid 19,  Jaipur Road Reality Check
भीलवाड़ा के मजदूर

रेड जोन इलाकों से भी मजदूर कर रहे पलायन

कारखानों पर ताले जड़े हुए हैं और मजदूरों के पास जमा पूंजी भी खर्च हो चुकी है, ऐसे में रहने और खाने का खर्चा नहीं होने पर यह लोग अपनी जान को जोखिम में डालकर भीलवाड़ा जैसे रिस्की जोन से निकलकर जयपुर तक आ गए तो कुछ गुजरात की सीमा को लांघकर करीब 6 जिलों को पार करते हुए जयपुर के बाद यूपी में दाखिल होने का सपना देख रहे हैं. यह तस्वीर जाहिर करती है कि सरकार के दावे कितने खोखले हैं और सच्चाई कितनी भयावह.

मजदूरों का पलायन, covid 19,  Jaipur Road Reality Check
गुजरात के मजदूर

श्रमिकों का आरोप पैसे लेकर घर छोड़ रही सरकारी एंबुलेंस

पलायन की तस्वीर के बीच ईटीवी भारत की टीम ने जयपुर शहर के पंचवटी सर्किल पर बने सरकारी स्कूल के शेल्टर होम का जायजा लिया. यहां दिल्ली से अपने गांव टोडाभीम जाने वाली महिला पति और छोटे बच्चे के साथ फंस गई है. महिला का कहना है कि अगर उसे शेल्टर होम से जाने की इजाजत मिल जाए तो गांव की एक सरकारी एंबुलेंस प्रति व्यक्ति 4 हजार किराया लेकर उसे स्थान तक पहुंचा सकती है.

मजदूरों का पलायन, covid 19,  Jaipur Road Reality Check
प्रशासन नहीं रोक पा रहा पलायन

पलायन को रोकने में प्रशासन नाकाम

महिला के कहने से साफ है कि सरकार की नाक के नीचे ही धत्ता बताते हुए पलायन को रोकने में प्रशासन पूरी तरह से नाकाम है. टीम ने जब इस पूरे मसले पर हालात को जाना तो सामने आया कि सरकार की तरफ से बनाए गए शेल्टर होम पहले से ही अधिक संख्या के कारण भरे जा चुके हैं. ऐसे हालात में अब नए लोगों को रखने के लिए प्रशासन के पास ना तो निर्देश है और ना ही कोई व्यवस्था. बता दें कि जयपुर के 23 शेल्टर होम में फिलहाल 1700 से ज्यादा लोग रह रहे हैं. जब इस बारे में जयपुर जिला कलेक्टर से पूछा गया तो उनका जवाब था कि निर्देश आने पर ही कुछ किया जा सकता है.

पढ़ें- लॉकडाउन की यादेंः शेल्टर होम के तजुर्बे ताउम्र याद रहेंगे...

सिस्टम लाचार है और लोग बेबस और ऐसे हालात में जोखिम की किसी को भी परवाह नहीं है. सब की मंजिल फिलहाल अपने घरों की ओर है. वहीं जहां तक सवाल सुरक्षा का है तो यह तस्वीर बताती है कि दावे सिर्फ वाहवाही लूटने के लिए होते हैं. जमीन की हकीकत हर चेहरे से नकाब उतार देती है.

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