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बजट बैठक में जिस वक्त शराब बंदी का सुझाव दिया, उसी समय सरकार ने जारी की नई आबकारी नीति

गहलोत सरकार शराबबंदी के मूड में नहीं लगती. कुछ माह पहले शराबबंदी लागू करने के विचार से बिहार में अफसरों को भेज उनके मॉडल का अध्यन किया गया था. लेकिन अब सरकार ने नई आबकारी नीति (New Excise policy) जारी कर दी है. जबकि लगातार शराबबंदी को लेकर मांगें उठ रही थीं. पढ़ें विस्तृत खबर...

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Published : Feb 8, 2020, 6:27 PM IST

Updated : Feb 8, 2020, 8:17 PM IST

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जयपुर. प्रदेश की गहलोत सरकार बजट पेश करने से पहले सभी वर्गों से सुझाव ले रही है. शनिवार को सचिवालय में सामाजिक संगठनों के साथ हुई बैठक में शराबबंदी को लेकर सुझाव आया. खास बात यह रही कि जिस वक्त बैठक में यह सुझाव दिए जा रहे थे उसी वित्त विभाग ने प्रदेश में नई आबकारी नीति जारी कर दी. इतना ही नहीं, वित्त विभाग ने इसके आधिकारिक आदेश भी जारी कर दिए.

दरअसल, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सचिवालय में सामाजिक संगठनों के साथ बजट में क्या कुछ जोड़ा जा सकता है, इसको लेकर सुझाव ले रहे थे. इस दौरान गांधीवादी विचारक और सामाजिक कार्यकर्ता सवाई सिंह ने आग्रह किया कि सरकार गांधी जी की 150वीं जयंती मना रही है. लेकिन गांधी जी को सच्ची श्रद्धांजलि तभी होगी जब उनके द्वारा बताए गए आदर्शों को अपनाया जाए.

शराबबंदी के मूड में नहीं सरकार, जारी की नई आबकारी नीति

पढे़ंः SMS अस्पताल को उत्तरी भारत का सबसे बड़ा ऑर्गन ट्रांसप्लांट केंद्र बनाया जाएगा : रघु शर्मा

सवाई सिंह ने कहा कि गांधी जी ने शराबबंदी को लेकर स्वयं कहा था कि अगर उन्हें एक दिन के लिए तानाशाह बना दिया जाए तो सबसे पहले शराब को बंद करेंगे. सामाजिक कार्यकर्ता सवाई सिंह ने बैठक में यह भी बताया कि शराब नीति से प्रदेश की आर्थिक आमद नहीं बढ़ेगी. अगर सरकार उनके सुझाव को अपनाते हुए शराबबंदी करती है तो उससे ज्यादा आर्थिक आमद बढ़ेगी. समाज सुधार होगा. प्रदेश में समृद्धि आएगी.

उन्होंने कहा कि पुलिस के आंकड़े बताते हैं कि 80 फीसदी अपराध भी शराब के नशे में होते हैं और शराब की वजह से 25 लाख से अधिक परिवारों को नुकसान हुआ है. ऐसे में सरकार को चाहिए कि वह एक प्रयोग करके देखे. ताकि इसका असर देखने को मिले. शराबबंदी से ना केवल समाज में सुधार होगा बल्कि सरकार की आर्थिक आमदनी बढ़ेगी.

पढे़ंः पिछले एक साल में बिगड़े हालात, आगामी बजट में चिकित्सा सुविधाओं पर करें फोकस : सराफ

गौरतलब है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत खुद राजस्थान के गांधी माने जाते हैं. वे गांधी जी के सिद्धांतों को अपनाते हैं. इससे पहले शराबबंदी को लेकर राजस्थान के अफसरों के एक दल ने बिहार में शराबबंदी के मॉडल का वहां जाकर अध्यन किया था. लेकिन उसके कोई ठोस परिणाम नहीं निकले. वहीं, शराबबंदी को लेकर कई बार आवाजें भी उठ चुकी हैं. प्रदेश में कई आंदोलन हो चुके हैं. दिवंगत विधायक गुरुचरण छाबड़ा ने प्रदेश में शराबबंदी को लेकर आंदोलन करते हुए अपनी जान तक गंवा दी थी. लेकिन नई शराब नीति की घोषणा के बाद अब आसार कम ही नजर आते हैं.

जयपुर. प्रदेश की गहलोत सरकार बजट पेश करने से पहले सभी वर्गों से सुझाव ले रही है. शनिवार को सचिवालय में सामाजिक संगठनों के साथ हुई बैठक में शराबबंदी को लेकर सुझाव आया. खास बात यह रही कि जिस वक्त बैठक में यह सुझाव दिए जा रहे थे उसी वित्त विभाग ने प्रदेश में नई आबकारी नीति जारी कर दी. इतना ही नहीं, वित्त विभाग ने इसके आधिकारिक आदेश भी जारी कर दिए.

दरअसल, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सचिवालय में सामाजिक संगठनों के साथ बजट में क्या कुछ जोड़ा जा सकता है, इसको लेकर सुझाव ले रहे थे. इस दौरान गांधीवादी विचारक और सामाजिक कार्यकर्ता सवाई सिंह ने आग्रह किया कि सरकार गांधी जी की 150वीं जयंती मना रही है. लेकिन गांधी जी को सच्ची श्रद्धांजलि तभी होगी जब उनके द्वारा बताए गए आदर्शों को अपनाया जाए.

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सवाई सिंह ने कहा कि गांधी जी ने शराबबंदी को लेकर स्वयं कहा था कि अगर उन्हें एक दिन के लिए तानाशाह बना दिया जाए तो सबसे पहले शराब को बंद करेंगे. सामाजिक कार्यकर्ता सवाई सिंह ने बैठक में यह भी बताया कि शराब नीति से प्रदेश की आर्थिक आमद नहीं बढ़ेगी. अगर सरकार उनके सुझाव को अपनाते हुए शराबबंदी करती है तो उससे ज्यादा आर्थिक आमद बढ़ेगी. समाज सुधार होगा. प्रदेश में समृद्धि आएगी.

उन्होंने कहा कि पुलिस के आंकड़े बताते हैं कि 80 फीसदी अपराध भी शराब के नशे में होते हैं और शराब की वजह से 25 लाख से अधिक परिवारों को नुकसान हुआ है. ऐसे में सरकार को चाहिए कि वह एक प्रयोग करके देखे. ताकि इसका असर देखने को मिले. शराबबंदी से ना केवल समाज में सुधार होगा बल्कि सरकार की आर्थिक आमदनी बढ़ेगी.

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गौरतलब है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत खुद राजस्थान के गांधी माने जाते हैं. वे गांधी जी के सिद्धांतों को अपनाते हैं. इससे पहले शराबबंदी को लेकर राजस्थान के अफसरों के एक दल ने बिहार में शराबबंदी के मॉडल का वहां जाकर अध्यन किया था. लेकिन उसके कोई ठोस परिणाम नहीं निकले. वहीं, शराबबंदी को लेकर कई बार आवाजें भी उठ चुकी हैं. प्रदेश में कई आंदोलन हो चुके हैं. दिवंगत विधायक गुरुचरण छाबड़ा ने प्रदेश में शराबबंदी को लेकर आंदोलन करते हुए अपनी जान तक गंवा दी थी. लेकिन नई शराब नीति की घोषणा के बाद अब आसार कम ही नजर आते हैं.

Intro:
नोट:- फीड लाइव यू से भेजी गई है शराब नीति के नाम से

बजट बैठक में जिस वक्त शराब बंदी का सुझाव दिया उसी वक्त आई नई शराब नीति

एंकर:- प्रदेश की गहलोत सरकार बजट पेश करने से पहले सभी वर्गों से सुझाव ले रही है आज सचिवालय में सामाजिक संगठनों के साथ हुई बैठक में शराबबंदी को लेकर सुझाव आया जिस वक्त यह सुझाव दिए जा रहे थे उसी वक्त गहलोत सरकार ने प्रदेश में नई आबकारी नीति जारी कर दी , राज्य के वित्त विभाग ने उसी वक्त इसका आधिकारिक आदेश जारी कर दिया , मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने आज सचिवालय में सामाजिक संगठनों के साथ बजट में क्या कुछ जोड़ा जा सकता है इसको लेकर सुझाव ले रहे थे इस दौरान गांधीवादी विचारक और सामाजिक कार्यकर्ता सवाई सिंह ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से बैठक में जरिए आग्रह किया कि सरकार गांधी जी की 150वीं जयंती मना रही है और इस 150 जयंती को पूरे वर्ष मनाया जा रहा है लेकिन गांधी जी को श्रद्धांजलि तब होगी जब उनके द्वारा बताए गए आदर्शो को अपनाया जाए गांधी जी ने शराबबंदी को लेकर स्वयं कहा था कि अगर उन्हें 1 दिन के लिए तानाशाह बना दिया जाए या वह 1 दिन के लिए तानाशाह बन जाए तो सबसे पहले वह शराब को सबसे पहले बंद करें सामाजिक कार्यकर्ता सवाई सिंह ने बैठक में यह भी बताया कि शराब नीति से प्रदेश की आर्थिक आमद नहीं बढ़ेगी अगर सरकार इसे अपनाती है और प्रदेश में शराबबंदी करती है तो उससे और ज्यादा आर्थिक आमद बढ़ेगी समाज सुधार होगा प्रदेश में समृद्धि आएगी उन्होंने कहा कि 80 फीट जी अपराधी पुलिस द्वारा भी बताए गए हैं वह शराब के नशे में हुए हैं शराब की वजह से 25 लाख से अधिक परिवारों को नुकसान हुआ है ऐसे में सरकार को चाहिए कि वह एक प्रयोग करके देखें सरकार कुछ साथ दिखाएं ताकि यह चीज निकल के सामने आए किस शराबबंदी से ना केवल समाज सुधार होगा बल्कि सरकार की आर्थिक आमदी बढ़ेगी बहराल ऐसा नहीं है कि शराबबंदी को लेकर पहली बार कोई आवाज उठी हो इससे पहले भी परदेस में लगातार शराबबंदी को लेकर आंदोलन होते रहे यहां तक कि पूर्व विधायक गुरुचरण सावड़ा प्रदेश में शराबबंदी को लेकर आंदोलन करते हुए अपनी जान गवा चुके हैं लेकिन खास बात यह है कि जब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत आज बजट में सामाजिक कार्यकर्ताओं को सुझाव ले रहे थे और जिस समय शराबबंदी को लेकर सुझाव उनके समक्ष आया उसी वक्त वित्त विभाग ने शराब नीति जारी की इसमें बड़ा सवाल ये कि क्या वाकई प्रदेश में जो मुख्यमंत्री अशोक गहलोत राजस्थान के गांधी कहीं जाते हैं वह गांधी जी के आदर्शों का अनुसरण करते हुए शराबबंदी पर कुछ ठोस निर्णय लेंगे
बाइट:- सवाई सिंह - सामाजिक कार्यकर्ता Body:VoConclusion:Vi
Last Updated : Feb 8, 2020, 8:17 PM IST
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