जयपुर. प्रदेश की गहलोत सरकार बजट पेश करने से पहले सभी वर्गों से सुझाव ले रही है. शनिवार को सचिवालय में सामाजिक संगठनों के साथ हुई बैठक में शराबबंदी को लेकर सुझाव आया. खास बात यह रही कि जिस वक्त बैठक में यह सुझाव दिए जा रहे थे उसी वित्त विभाग ने प्रदेश में नई आबकारी नीति जारी कर दी. इतना ही नहीं, वित्त विभाग ने इसके आधिकारिक आदेश भी जारी कर दिए.
दरअसल, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सचिवालय में सामाजिक संगठनों के साथ बजट में क्या कुछ जोड़ा जा सकता है, इसको लेकर सुझाव ले रहे थे. इस दौरान गांधीवादी विचारक और सामाजिक कार्यकर्ता सवाई सिंह ने आग्रह किया कि सरकार गांधी जी की 150वीं जयंती मना रही है. लेकिन गांधी जी को सच्ची श्रद्धांजलि तभी होगी जब उनके द्वारा बताए गए आदर्शों को अपनाया जाए.
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सवाई सिंह ने कहा कि गांधी जी ने शराबबंदी को लेकर स्वयं कहा था कि अगर उन्हें एक दिन के लिए तानाशाह बना दिया जाए तो सबसे पहले शराब को बंद करेंगे. सामाजिक कार्यकर्ता सवाई सिंह ने बैठक में यह भी बताया कि शराब नीति से प्रदेश की आर्थिक आमद नहीं बढ़ेगी. अगर सरकार उनके सुझाव को अपनाते हुए शराबबंदी करती है तो उससे ज्यादा आर्थिक आमद बढ़ेगी. समाज सुधार होगा. प्रदेश में समृद्धि आएगी.
उन्होंने कहा कि पुलिस के आंकड़े बताते हैं कि 80 फीसदी अपराध भी शराब के नशे में होते हैं और शराब की वजह से 25 लाख से अधिक परिवारों को नुकसान हुआ है. ऐसे में सरकार को चाहिए कि वह एक प्रयोग करके देखे. ताकि इसका असर देखने को मिले. शराबबंदी से ना केवल समाज में सुधार होगा बल्कि सरकार की आर्थिक आमदनी बढ़ेगी.
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गौरतलब है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत खुद राजस्थान के गांधी माने जाते हैं. वे गांधी जी के सिद्धांतों को अपनाते हैं. इससे पहले शराबबंदी को लेकर राजस्थान के अफसरों के एक दल ने बिहार में शराबबंदी के मॉडल का वहां जाकर अध्यन किया था. लेकिन उसके कोई ठोस परिणाम नहीं निकले. वहीं, शराबबंदी को लेकर कई बार आवाजें भी उठ चुकी हैं. प्रदेश में कई आंदोलन हो चुके हैं. दिवंगत विधायक गुरुचरण छाबड़ा ने प्रदेश में शराबबंदी को लेकर आंदोलन करते हुए अपनी जान तक गंवा दी थी. लेकिन नई शराब नीति की घोषणा के बाद अब आसार कम ही नजर आते हैं.