जयपुर. राजस्थान में भाजपा के पूर्व राज्यसभा सदस्य और प्रदेश अध्यक्ष रहे मदन लाल सैनी के निधन से खाली हुई सीट पर उपचुनाव होने जा रहे हैं. इसके लिए पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह 13 अगस्त यानी मंगलवार को नामांकन दाखिल करने आ रहे हैं. हालांकि, इन चुनाव को महज औपचारिकता माना जा रहा है, क्योंकि मनमोहन सिंह को जीतने के लिए जितने वोट चाहिए वह खुद कांग्रेस पार्टी के पास है.
दरअसल, राज्यसभा चुनाव एक फार्मूले के तहत होते हैं. राजस्थान में कुल 200 सदस्य हैं, लेकिन अभी दो विधायक खींवसर से हनुमान बेनीवाल और मंडावा से नरेंद्र कुमार सांसद बन गए हैं. ऐसे में राजस्थान विधानसभा में सदस्यों की संख्या 198 रह गई है. राजस्थान में क्योंकि एक सीट पर राज्यसभा सदस्य का चुनाव होना है ऐसे में एक सदस्य को चुनाव जीतने के लिए जितने विधायकों का वोट चाहिए यह तय करने के लिए कुल विधायकों की संख्या को 2 से विभाजित करके उसमें एक जोड़ दिया जाता है. यानी कि वर्तमान में राजस्थान विधानसभा में 198 सदस्य हैं. इसे 2 से विभाजित करने पर 99 की संख्या आती है, जिसमें एक जोड़ने पर संख्या 100 हो जाती है.
इसका मतलब यह है कि 1 सीट पर हो रहे उपचुनाव में जीत के लिए कांग्रेस के प्रत्याशी पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को 100 वोटों की जरूरत होगी. हालांकि अगर चुनाव एक से ज्यादा सीटों पर होता तो उसमें प्राथमिकता के हिसाब से वोट दिया जाता. क्योंकि एक ही सीट पर चुनाव हो रहा है, ऐसे में प्राथमिकता का कोई मतलब नहीं रह जाता. जिस उम्मीदवार को 100 वोट पहली प्राथमिकता के मिल जाएंगे वह जीत जाएगा. हम आपको बता दें कि राजस्थान में कांग्रेस के स्वयं के 100 विधायक हैं और अभी 200 में से 2 सीटें खाली हैं.
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इसलिए 198 सीटों में से एक उम्मीदवार को जीतने के लिए वर्तमान में 100 वोटों की जरूरत होगी. कांग्रेस के पास स्वयं के 100 विधायक मौजूद हैं. ऐसे में कांग्रेस के पास खुद के दम पर अपने प्रत्याशी को जिताने के लिए पूरा बहुमत मौजूद है. इसके अलावा हम बात करें तो 13 निर्दलीय विधायकों में से एक मात्र ओम प्रकाश हुड़ला को छोड़कर सभी 12 निर्दलीय विधायक कांग्रेस के समर्थन में हैं. वहीं, आरएलडी के विधायक सुभाष गर्ग कांग्रेस सरकार में मंत्री है इसके साथ बसपा के भी सभी 6 विधायकों ने कांग्रेस को समर्थन दे रखा है.
ऐसे में यह संख्या बढ़कर 119 हो गई है. वहीं, कांग्रेस के सामने इस सीट पर जीतने में कोई दिक्कत नहीं दिखाई दे रही है, बशर्ते कि कोई क्रॉस वोटिंग या गलती से भाजपा को वोट ना कर दे. ऐसे में अगर भाजपा कोई उम्मीदवार उतारती है या किसी अन्य उम्मीदवार को समर्थन भी देती है तो उस उम्मीदवार को 20 वोटर ऐसे चाहिए जो या तो क्रॉस वोटिंग करें या फिर गलती से कांग्रेस की जगह भाजपा समर्थित उम्मीदवार को वोट दे दें. जिसकी संभावना ना के बराबर लगती है. इस स्थिति में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का जीतना लगभग तय है.